राजधानी लखनऊ में मंगलवार को संविधान दिवस के अवसर पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुख्य रूप से भाग लिया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि बाबा साहब भीमराव अंबेडकर द्वारा तैयार किए गए संविधान में "सेक्युलर" और "सोशलिस्ट" शब्द नहीं थे, इन्हें कांग्रेस ने चुपके से जोड़ दिया।
Constitution Day : लोकभवन में आयोजित समारोह में सीएम योगी बोले-संविधान का गला घोंटने वालों को जनता ने सिखाया सबक
Nov 26, 2024 13:40
Nov 26, 2024 13:40
- अंबेडकर के संविधान में नहीं थे 'सेक्युलर' और 'समाजवादी'
- संविधान ने किया 140 करोड़ भारतीयों को एकजुट
- हर नागरिक को मिला समान मताधिकार का हक
अंबेडकर के संविधान में नहीं थे 'सेक्युलर'
सीएम ने कहा कि बाबा साहेब अंबेडकर ने जो संविधान 26 नवंबर 1949 को दिया था, उसमें 'सेक्युलर' और 'समाजवादी' शब्द नहीं थे। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने इन शब्दों को चुपके से संविधान में जोड़ा और संविधान की आत्मा को नष्ट किया। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन लोगों ने संविधान का गला घोंटने की कोशिश की, उन्हें जनता ने सबक सिखाया है।
संविधान के मूल कर्तव्यों के पालन का निर्देश
सीएम योगी ने संविधान दिवस के मौके पर प्रदेशवासियों को बधाई देते हुए कहा कि यह दिन हमें लोकतंत्र और संविधान की महानता का याद दिलाता है। उन्होंने डॉ. अंबेडकर को भारत का सच्चा सपूत बताते हुए कहा कि संविधान सभा की ड्राफ्टिंग कमेटी ने न्याय, समानता और बंधुता जैसे मूल्यों को संविधान में शामिल कर देश को सशक्त भविष्य दिया। सीएम योगी ने आगे कहा कि भारत का संविधान 140 करोड़ नागरिकों को एकता के सूत्र में बांधता है और इसे हम सबका दायित्व है कि हम संविधान के मूल कर्तव्यों का पालन करें।
हर नागरिक को समान मताधिकार का हक
मुख्यमंत्री ने संविधान की यात्रा की महत्वपूर्ण बातें साझा करते हुए बताया कि संविधान सभा का गठन 1946 में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की मांग पर किया गया था। उन्होंने कहा कि भारत का संविधान हर नागरिक को समान मताधिकार देता है, जो दुनिया के अन्य लोकतंत्रों में नहीं था। भारत ने पहले आम चुनाव में हर वयस्क नागरिक को वोट देने का अधिकार दिया, जो बाबा साहब अंबेडकर की दूरदर्शिता का परिणाम है।
भारत ने महिलाओं को पहले दी वोटिंग का अधिकार
सीएम योगी ने यह भी कहा कि दुनिया के तमाम लोकतंत्रों से पहले भारत ने महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिया था। अब भारत ने और भी कदम बढ़ाए हैं, जैसे कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा नारी शक्ति वंदन अधिनियम पारित कर विधायिका में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण दिया। यह भी दुनिया में सबसे पहले भारत में हुआ।
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