पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन ने इस मॉडल को सपा सरकार के असफल प्रयोग के रूप में वर्णित किया। उन्होंने याद दिलाया कि 2013 में भी इस मॉडल को लागू करने की कोशिश हुई थी। लेकिन, भारी विरोध के कारण इसे वापस लेना पड़ा। संगठन ने चेताया कि वर्तमान में इस मॉडल को फिर से लागू करने की कोशिश करना प्रदेश के बिजली ढांचे के लिए घातक साबित हो सकता है।
UPPCL : निजीकरण में आरक्षण के मुद्दे पर अफसरों ने साधी चुप्पी, पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन ने गिनाई घाटे की वजह
Nov 26, 2024 15:48
Nov 26, 2024 15:48
निजी कंपनियों का फोकस उपभोक्ता हित के बजाय मुनाफा कमाना
बैठक में एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि यूपीपीसीएल को सबसे पहले इस बात का जवाब देना चाहिए कि आखिर घाटे का जिम्मेदार कौन है। यूपीपीसीएल 1.10 लाख करोड़ के घाटे का हवाला देकर निजीकरण की तैयारी कर रहा हैं, जबकि निजी कंपनी की प्राथमिकता सिर्फ लाभ कमाना होगा। अडानी, अंबानी, टाटा, एनपीसीएल टोरंट, बजाज आदि सभी निजी कंपनियों का फोकस केवल अपना मुनाफा कमाना है। साथ ही इस मॉडल से दलित और पिछड़े वर्गों के आरक्षण पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। आरक्षण दलित और पिछड़े वर्गों का संवैधानिक अधिकार है और इसे खत्म करने की किसी भी साजिश को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
संविधान दिवस पर आरक्षण बचाने का संकल्प
बैठक में उपस्थित अभियंताओं और अधिकारियों ने संविधान दिवस पर आरक्षण बचाने का संकल्प लिया। उन्होंने कहा कि आरक्षण खत्म होने से दलित और पिछड़े वर्ग के अभियंता और अधिकारी अपने अधिकारों से वंचित हो जाएंगे। इस दौरान अवधेश वर्मा ने पावर कारपोरेशन प्रबंधन से पूछा कि इस ट्रिपल पी मॉडल में संविधान में दिए गए आरक्षण का क्या होगा, क्योंकि यह तो निजीकरण का प्रयोग है। ऐसे में इससे दलितों और पिछड़े वर्ग के कार्मिकों के आरक्षण पर बड़ा कुठाराघात होना तय है। उन्होंने कहा कि दलित अभियंता का पहले पदोन्नति में आरक्षण ले लिया गया, अब नौकरी में आरक्षण ले लिया जाएगा, तो वह क्या करेंगे। उनके पास न जमीन है, न संसाधन। प्रबंधन इस पर जवाब दे, तब आगे की बात होगी।
सपा सरकार के फ्लॉप मॉडल को योगी सरकार में क्यों लागू करने पर तुले हैं अफसर
एसोसिएशन ने इस मॉडल को सपा सरकार के असफल प्रयोग के रूप में वर्णित किया। उन्होंने याद दिलाया कि 2013 में भी इस मॉडल को लागू करने की कोशिश हुई थी। लेकिन, भारी विरोध के कारण इसे वापस लेना पड़ा। संगठन ने चेताया कि वर्तमान में इस मॉडल को फिर से लागू करने की कोशिश करना प्रदेश के बिजली ढांचे के लिए घातक साबित हो सकता है। एसोसिएशन ने कहा कि अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संज्ञान में जब आएगा कि सपा सरकार का फ्लाप मॉडल लागू किया जा रहा है, तो आप क्या जवाब देंगे?
घाटे का असली कारण गलत नीतियां और एमओयू प्रोजेक्ट
पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन ने बिजली कंपनियों के घाटे के पीछे सरकारों की गलत नीतियों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर योजना की बात करें तो शुरुआत में ये 18,000 करोड़ रुपये की थी। लेकिन, इसका टेंडर 27,000 करोड़ रुपयेमें पास किया गया। यह अतिरिक्त 9,000 करोड़ का अंतर घाटे में तब्दील हो रहा है। इसी तरह, उदय योजना और पावर फॉर ऑल जैसी योजनाओं में भी सरकार की नीतियों के चलते घाटा बढ़ा।
उद्योगपतियों को फायदा, उपभोक्ताओं को नुकसान
एसोसिएशन ने आरोप लगाया कि बिजली क्षेत्र में निजीकरण का उद्देश्य केवल उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाना है। स्मार्ट प्रीपेड मीटर के टेंडर में 10 प्रतिशत बैंक गारंटी को 3 प्रतिशत कर दिया गया। अधिकारी बताएं आखिर यह किसके हित में किया गया। संगठन ने कहा कि यह सारी प्रक्रियाएं निजी कंपनियों के फायदे के लिए हैं, जबकि बिजली कंपनियों और उपभोक्ताओं को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
पावर कारपोरेशन के अफसर नहीं दे सके जवाब
एसोसिएशन ने कहा कि आने वाले समय में बिजली कंपनियां को बेचने की बात हो रही है। लेकिन, उद्योगपति केवल लाभ कमाने के लिए यहां आएंगे और अपने हित में प्रस्ताव तैयार कर के लाभ कमाएंगे। एसोसिएशन ने कहा कि उनके उठाए तमाम बिंदुओं पर यूपीपीसीएल प्रबंधन जवाब नहीं दे पाया। आरक्षण के सवाल पर वह चुप्पी साधे रहा। संविधान दिवस के मौके पर इस अहम मुद्दे पर बोर्ड के सदस्य कोई ठोस उत्तर नहीं दे सके। एसोसिएशन ने स्पष्ट किया कि वह आरक्षण के अधिकारों के लिए संवैधानिक लड़ाई लड़ने को तैयार है।
वार्ता में पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन की तरफ से महासचिव अनिल कुमार, सचिव आरपी, अतिरिक्त महासचिव अजय कुमार, संगठन सचिव बिंदा प्रसाद, सुशील कुमार वर्मा, अजय कुमार, विनय कुमार और प्रभाकर सिंह मौजूद रहे। वहीं यूपीपीसीएल की तरफ से अध्यक्ष डॉ. आशीष कुमार गोयल, निदेशक वित्त वितरण व कार्मिक प्रबंधन सहित मध्यांचल के निदेशक वाणिज्य व अन्य क्षेत्रों के मुख्य अभियंता उपस्थित रहे।
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