धरने पर बैठे कर्मचारियों ने स्पष्ट किया कि जब तक नौकरी से हटाए गए कर्मचारियों को वापस नहीं लिया जाता, वह किसी भी स्थिति में काम पर नहीं लौटेंगे। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि छंटनी से उन्हें बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है और अधिकारियों की उदासीनता से उनकी समस्याएं और बढ़ गई हैं।
मध्यांचल मुख्यालय के बाहर संविदा कर्मियों का प्रदर्शन : वेतन और छंटनी के खिलाफ बुलंद की आवाज, ठेकेदारी प्रथा बंद करने की मांग
Jan 17, 2025 23:54
Jan 17, 2025 23:54
19 जिलों से संविदा कर्मी पहुंचे मध्यांचल मुख्यालय, हर जिले से 500 लोग बेरोजगार
मध्यांचल विद्युत वितरण निगम मुख्यालय के बाहर बड़ी संख्या में संविदा कर्मचारी सुबह से पहुंच गए। देखते ही देखते इन्होंने पूरी सड़क घेर ली और धरना प्रदर्शन करने लगे। संविदा कर्मियों के प्रदर्शन को देखते हुए पुलिस फोर्स और पीएसी को मुख्यालय के बाहर तैनात कर दिया गया। इसके साथ ही सड़क ब्लॉक कर दी गई, जिससे उन्हें एक स्थान पर रोका जा सके। इस दौरान संविदाकर्मियों ने अपने साथ नाइंसाफी होने का आरोप लगाया और जमकर नारेबाजी की। प्रदर्शन में मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के आने वाले 19 जिलों के संविदाकर्मी शामिल हुए। इनमें बदायूं, बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर, लखीमपुर, हरदोई, सीतापुर, उन्नाव, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, गोंडा, बाराबंकी, रायबरेली, अयोध्या, सुलतानपुर, अंबेडकरनगर, लखनऊ और अमेठी जिले के लोग शामिल रहे। उन्होंने कहा कि अधिकारियों के निर्णय से हर जिले से करीब 450 से 500 लोग बेरोजगार हो रहे हैं।
इन मांगों को लेकर सड़क की जाम
संविदाकर्मियों ने अपनी मांगे पूरी होने तक आंदोलन जारी रखने की बात कही। उन्होंने कहा कि हम लंबे समय से अपनी आवाज उठाते हुए मांगों को पूरा करने की गुजारिश कर रहे हैं। लेकिन, अफसर अनसुनी कर रहे हैं। हमने अभी तक काम भी जारी रखा, जिससे उपभोक्ताओं को दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़े। लेकिन फिर भी मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के अधिकारी सुनने को तैयार नहीं हैं। प्रदर्शनकारियों ने संविदा कर्मियों को 18,000 रुपये प्रतिमाह एकमुश्त वेतन, ठेकेदारी प्रथा को पूरी तरह खत्म करने और विभाग का निजीकरण रोकने की मांग की। साथ ही पूर्व में हुए ईपीएफ घोटाले की भी जांच की मांग की। उन्होंने विभागीय अधिकारियों पर अनदेखी का आरोप लगाते हुए जोरदार विरोध जताया।
हटाए गए कर्मचारियों की बहाली तक जारी रहेगा प्रदर्शन
धरने पर बैठे कर्मचारियों ने स्पष्ट किया कि जब तक नौकरी से हटाए गए कर्मचारियों को वापस नहीं लिया जाता, वह किसी भी स्थिति में काम पर नहीं लौटेंगे। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि छंटनी से उन्हें बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है और अधिकारियों की उदासीनता से उनकी समस्याएं और बढ़ गई हैं। संविदा कर्मियों ने 17 जनवरी को सामूहिक सत्याग्रह और 18 जनवरी को पूर्ण कार्य बहिष्कार की घोषणा की थी। इसी के तहत वह राजधानी में जमा हुए।
नए टेंडर का विरोध : उपभोक्ताओं पर बढ़ेगा बोझ
कर्मचारियों का कहना है कि उनकी आवाज को अनसुना करना अब संभव नहीं होगा। नई टेंडर प्रक्रिया में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के उपकेंद्रों पर कर्मचारियों की संख्या में कटौती की गई है। नए टेंडर के अनुसार, शहरी क्षेत्रों के उपकेंद्रों पर केवल 18 कर्मचारी और ग्रामीण क्षेत्रों के उपकेंद्रों पर 12 कर्मचारी तैनात किए जाएंगे। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह संख्या बहुत कम है, जिससे बिजली सेवाएं प्रभावित होंगी और आम जनता को समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। इसके साथ ही, कम कर्मचारियों की तैनाती से बाकी कर्मियों पर काम का दबाव बढ़ेगा।
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