कोरोना कमजोर हुआ खत्म नहीं : जुकाम-बुखार और सांस के के 30 प्रतिशत मरीज मिले संक्रमित, एसजीपीजीआई का खुलासा

जुकाम-बुखार और सांस के के 30 प्रतिशत मरीज मिले संक्रमित, एसजीपीजीआई का खुलासा
UPT | प्रतीकात्मक तस्वीर

Dec 18, 2024 11:05

रिपोर्ट ने यह भी चेतावनी दी कि एंटीबायोटिक दवाओं का अंधाधुंध उपयोग मरीजों में लंबे समय में दवा प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर सकता है। इससे भविष्य में इन दवाओं का असर खत्म हो सकता है।

Dec 18, 2024 11:05

Lucknow News : कोरोना महामारी का दौर यादकर लोग आज भी सिहर उठते हैं। संक्रमण काल में लोगों ने न सिर्फ अपनों को खोया बल्कि उनको देखने तक को तरस गए। महामारी का दौर भले ही थम गया हो। लेकिन, इसके ओमिक्रॉन वैरिएंट के मरीज अब भी सामने आ रहे हैं। संजय गांधी पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एसजीपीजीआई) लखनऊ ने जुलाई से नवंबर 2024 के बीच 840 मरीजों पर एक विस्तृत अध्ययन किया। इन मरीजों में जुकाम, बुखार और सांस से जुड़ी समस्याएं पाई गई थीं। रिपोर्ट के अनुसार, मरीजों के नाक और गले से स्वैब लेकर आरटीपीसीआर जांच की गई। जांच में 153 मरीजों में संक्रमण की पुष्टि हुई। इनमें 70 प्रतिशत मरीज इंफ्लूएंजा से और 30 प्रतिशत ओमिक्रॉन वैरिएंट से संक्रमित पाए गए।

संक्रमण का प्रारंभ और शिखर : जुलाई-अगस्त का समय
अध्ययन के अनुसार, संक्रामक रोगों की शुरुआत आमतौर पर जुलाई से होती है। जुलाई-अगस्त में इंफ्लुएंजा और कोविड-19 के ओमिक्रॉन वैरिएंट के मामले लगभग समान स्तर पर थे।
जुलाई-अगस्त : संक्रमित मरीजों में 26 प्रतिशत इंफ्लूएंजा और 27 प्रतिशत ओमिक्रॉन वैरिएंट पाया गया।
सितंबर : कोविड के मामले गिरकर 2.5 प्रतिशत हो गए, जबकि 19.5 प्रतिशत मरीज इंफ्लुएंजा से पीड़ित पाए गए।
नवंबर : कोरोना का कोई भी मामला नहीं पाया गया, लेकिन इंफ्लुएंजा के 12.5 प्रतिशत मामले दर्ज किए गए।



गंभीर संक्रामक बीमारी है इंफ्लुएंजा
इंफ्लुएंजा एक संक्रामक वायरल संक्रमण है, जो मुख्य रूप से श्वसन तंत्र पर हमला करता है। इसमें बुखार, शरीर में दर्द, ठंड लगना, थकान और कमजोरी जैसी समस्याएं होती हैं। टाइप-ए इंफ्लूएंजा सामान्य रूप से सबसे ज्यादा संक्रमण फैलाने वाला वायरस है। नवंबर तक, इंफ्लुएंजा-ए के मामले धीरे-धीरे इंफ्लुएंजा-बी में बदल गए।

कोरोना वायरस की कमजोरी का प्रमाण
अध्ययन की रिपोर्ट में कहा गया है कि समय के साथ कोरोना वायरस कमजोर हो गया है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (NIV), पुणे ने इस निष्कर्ष की पुष्टि की है। रिपोर्ट के अनुसार, अब कोरोना और इंफ्लूएंजा भारत में श्वसन तंत्र से जुड़ी बीमारियों के लिए प्रमुख रोगजनक बने हुए हैं।

एंटीबायोटिक का विवेकपूर्ण इस्तेमाल आवश्यक
रिपोर्ट ने यह भी चेतावनी दी कि एंटीबायोटिक दवाओं का अंधाधुंध उपयोग मरीजों में लंबे समय में दवा प्रतिरोधक क्षमता (एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस) विकसित कर सकता है। इससे भविष्य में इन दवाओं का असर खत्म हो सकता है। एंटीबायोटिक दवाओं का सीमित और विवेकपूर्ण उपयोग करने की सलाह दी गई है।
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष
  • कोरोना महामारी का असर भले ही कम हो गया है, लेकिन ओमिक्रॉन वैरिएंट अभी भी सक्रिय है।
  • इंफ्लूएंजा संक्रमण के मामले कोविड से अधिक पाए गए।
  • कोरोना वायरस की घातकता समय के साथ कमजोर हो रही है।
  • चिकित्सा विशेषज्ञों ने संक्रमण से बचाव और दवा के विवेकपूर्ण उपयोग पर जोर दिया है।
आम जनता के लिए सुझाव
सावधानी बरतें : जुकाम या बुखार होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
दवा का सही उपयोग करें : डॉक्टर की सलाह के बिना एंटीबायोटिक का इस्तेमाल न करें।
टीकाकरण: कोविड और फ्लू के लिए टीकाकरण करवाना सुनिश्चित करें।
स्वच्छता का ध्यान रखें : नियमित रूप से हाथ धोएं और भीड़भाड़ वाली जगहों पर मास्क पहनें।

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