सहारनपुर के सीएमओ पर लगाया एक लाख का जुर्माना : हाईकोर्ट ने आदेश की अनदेखी पर लगाई कड़ी फटकार

हाईकोर्ट ने आदेश की अनदेखी पर लगाई कड़ी फटकार
UPT | सांकेतिक फोटो।

Dec 18, 2024 14:12

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सहारनपुर के सीएमओ पर आदेश की अनदेखी के लिए एक लाख जुर्माना लगाया। बाजोरिया रोड स्थित अनाया हेल्थ सेंटर के किरायानामा विवाद के बीच, सीएमओ ने लाइसेंस नवीनीकरण अस्वीकार किया। न्यायालय ने इसे कानून का उल्लंघन मानते हुए कार्रवाई की।

Dec 18, 2024 14:12

Prayagraj News :  इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सहारनपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। यह कार्रवाई सीएमओ द्वारा अदालत के आदेश का अनुपालन न करने और कानून की अनदेखी करने पर की गई। यह आदेश न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति डोनादी रमेश की खंडपीठ ने अनाया हेल्थ सेंटर और अन्य की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया।



डॉक्टर गुप्ता ने परिसर खाली करने से इनकार कर दिया
सहारनपुर के बाजोरिया रोड पर स्थित अनाया हेल्थ सेंटर का संचालन डॉ. अंशुल गुप्ता द्वारा किराए के भवन में किया जा रहा था। किरायानामा समाप्त होने के बाद मकान मालिक उषा गुप्ता ने भवन खाली करने की मांग की। लेकिन, डॉक्टर गुप्ता ने परिसर खाली करने से इनकार कर दिया और इसे लेकर विवाद गहरा गया। मकान मालिक ने बेदखली का आवेदन दायर किया, जबकि याची ने सिविल जज (सीनियर डिवीजन) के समक्ष वाद दाखिल कर दिया। कोर्ट ने 23 फरवरी 2024 को अस्थायी निषेधाज्ञा आदेश जारी किया, जिसमें याची को परिसर में बने रहने की अनुमति दी गई।

लाइसेंस नवीनीकरण का विवाद
इस बीच, अनाया हेल्थ सेंटर ने अस्पताल के लाइसेंस नवीनीकरण के लिए सीएमओ कार्यालय में आवेदन किया। लेकिन, मकान मालिक ने मंडलायुक्त के समक्ष इसका विरोध किया। मंडलायुक्त के निर्देश पर सीएमओ ने नवीनीकरण आवेदन खारिज कर दिया। सीएमओ ने दावा किया कि विवादित परिसर के संबंध में किरायानामा की प्रति प्रस्तुत नहीं की गई थी, जो आवश्यक दस्तावेज है। इसके बाद, याची ने हाईकोर्ट का रुख किया। याचिका में दावा किया गया कि सीएमओ ने जानबूझकर अदालत के आदेश की अनदेखी की और पंजीकरण नवीनीकरण से इनकार कर दिया।

हाईकोर्ट की टिप्पणी और आदेश
याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि सिविल कोर्ट के अस्थायी निषेधाज्ञा आदेश के बावजूद सीएमओ ने लाइसेंस का नवीनीकरण अस्वीकार कर दिया। यह आदेश का स्पष्ट उल्लंघन है। अदालत ने यह भी कहा कि रेंट-डीड की गैर-मौजूदगी नवीनीकरण से इनकार करने का आधार नहीं हो सकती। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सीएमओ ने जानबूझकर कानून का उल्लंघन किया, जिससे याची को दो बार अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा। हाईकोर्ट ने सीएमओ को निर्देश दिया कि वे तुरंत अस्पताल का पंजीकरण नवीनीकृत करें। साथ ही, अदालत ने यह स्पष्ट किया कि यह आदेश सिविल जज (सीनियर डिवीजन) द्वारा बेदखली आवेदन के निर्णय के अधीन होगा।

सीएमओ पर जुर्माना
अदालत ने सीएमओ की लापरवाही और जानबूझकर आदेश की अनदेखी को गंभीरता से लिया और उन पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया। यह राशि याची को होने वाली असुविधा के लिए क्षतिपूर्ति के रूप में दी जाएगी। हाईकोर्ट के इस आदेश ने सरकारी अधिकारियों के जवाबदेही सुनिश्चित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया है। यह मामला न्यायिक प्रक्रिया और कानून के प्रति लापरवाही के गंभीर परिणामों का एक उदाहरण है। अदालत का यह फैसला न केवल याची को राहत प्रदान करता है, बल्कि प्रशासनिक जिम्मेदारियों को भी स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है।  

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