यूपी में 30 साल की लीज पर पर्यटक आवास गृह देने का विरोध : भाकपा बोली- भाजपा सरकार ने बनाया पूंजीपतियों का निवाला

भाकपा बोली-  भाजपा सरकार ने बनाया पूंजीपतियों का निवाला
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Aug 29, 2024 14:36

डॉ. गिरीश ने घाटे में चल रहे पर्यटक आवास गृह निजी सेक्टर को 30 वर्षों तक लीज पर देने के योगी सरकार के फैसले पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा आजादी के बाद ये होटल प्रदेश में पर्यटन के विकास और मुसाफिरों को सस्ती और अच्छी सुविधा दिलाने के उद्देश्य से बनाए गए थे।

Aug 29, 2024 14:36

Lucknow News : योगी सरकार के निजी उद्यमियों को अब 30 साल तक के लिए पर्यटक आवास गृह देने के निर्णय का भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने विरोध किया है। पार्टी ने यूपी कैबिनेट से पारित इस प्रस्ताव को लेकर कहा है कि सार्वजनिक संपत्ति इस तरह निजी हाथों में सौंपना सही नहीं है। पार्टी के राष्ट्रीय सचिव डॉ. गिरीश ने गुरुवार को अपने बयान में कहा कि आजादी के बाद अथक प्रयासों से संजोयी गयी जनता के स्वामित्व वाली संपत्तियों को बेहद कम कीमतों पर पूंजीपतियों को सौंप देने वाले कदम जनता की कठिनाइयों में इजाफा करते हैं, उनकी जेब पर डाका डालते हैं। उन्होंने कहा कि ये आमजन की आकांक्षा में बसी समाजवाद की भावना के विपरीत है। यूं तो साढ़े तीन दशक से सभी पूंजीवादी सरकारों में इन संपत्तियों को बेचने का खुला खेल चल रहा है, पर भाजपा की सरकारें इस काम में सबसे आगे हैं।

भाजपा पर सार्वजनिक संपत्तियों को पूंजीपतियों को सौंपने का आरोप
डॉ. गिरीश ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार का सरकारी होटलों को निजी कंपनियों को बेचने का फैसला सामने आया है। केंद्र सरकार दर्जन भर से अधिक सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की हिस्सेदारी पूंजीपतियों के हाथों बेचने का काम कर रही है तो भाजपा की ही मध्य प्रदेश सरकार ने गत वर्षों में रोडवेज को प्राइवेट कर आम जनता को सड़कों पर ला कर खड़ा कर दिया। जिन नई आर्थिक नीतियों को अमल में लाते हुये पूंजीवादी दलों ने सार्वजनिक संपत्तियों और सार्वजनिक उपक्रमों को पूंजीपतियों को सौंपना शुरू किया है, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी शुरू से ही इसका पुरजोर विरोध कर रही है।

सस्ती और अच्छी सुविधा के उद्देश्य से बनाए गए पर्यटक आवास गृह
डॉ. गिरीश ने घाटे में चल रहे पर्यटक आवास गृह निजी सेक्टर को 30 वर्षों तक लीज पर देने के योगी सरकार के फैसले पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा आजादी के बाद ये होटल प्रदेश में पर्यटन के विकास और मुसाफिरों को सस्ती और अच्छी सुविधा दिलाने के उद्देश्य से बनाए गए थे। लेकिन, हाल के दशकों में प्रदेश की सत्ता पर काबिज रही सरकारों ने इनको खोखला बना कर बेचने के लिए आधार तैयार किया है।

भाजपा पर जन्मकाल से ही पूंजीवाद और निजीकरण की अंध समर्थक रहने का आरोप
उन्होंने कहा कि आज भी इन होटलों के पास बेशकीमती पर्याप्त भूमि है और वे उचित दामों में सुविधाएं मुहैया कराते हैं, जो निजी होटलों की तुलना में कम और अच्छी हैं। लेकिन, सरकारों ने इनमें नए स्टाफ की भर्ती, मरम्मत और विकास की प्रक्रिया रोक कर इन्हें दम तोड़ने की स्थिति में ला दिया। बावजूद इसके वर्तमान कर्मचारी इन्हें अपनी मेहनत और लगन से चला रहे हैं। इन होटलों को आर्थिक मदद देकर मौजूदा स्थिति से उबारने की जरूरत है। लेकिन, भाजपा सरकार ने इन्हें पूंजीपतियों का निवाला बना दिया। जनता के स्तर से इसका पुरजोर विरोध अपेक्षित है। उन्होंने कहा कि अपने जन्मकाल से ही पूंजीवाद और निजीकरण की अंध समर्थक रही भाजपा हर स्तर पर सार्वजनिक संपत्तियों को बेचने के काम में लगी है। केंद्र सरकार ने लगभग 12 पब्लिक सेक्टर यूनिट्स की हिस्सेदारी को पूंजीपतियों के स्वामित्व वाली कंपनियों को बेचने की योजना बनाई है।

जनता को निजीकरण का उठाना पड़ता है खामियाजा
डॉ. गिरीश ने कहा कि सार्वजनिक उपयोग के उपक्रमों के निजीकरण से जनता को कितनी कठिनाइयों से गुजरना होता है, यह मध्य प्रदेश के परिवहन निगम के निजीकरण से समझा जा सकता है। अगस्त 2004 से नवंबर 2005 तक मात्र 15 महीने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे बाबूलाल गौर ने वहां की रोडवेज को ही बेच डाला। बस अड्डों, परिवहन निगम के कार्यालयों की अपार संपत्ति और हजारों बसों के काफिले को पूंजीपतियों को दे डाला। मध्य प्रदेश जैसे विशाल क्षेत्र वाले प्रदेश जिसमें रेल नेटवर्क भी सीमित है, की जनता तभी से प्राइवेट बस मालिकों की मनमानी, दादागीरी और लूट को झेल रही है।

उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले के विरोध में आंदोलन की चेतावनी
उन्होंने कहा कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने उस समय भी इस निजीकरण को जनता के प्रति कुठाराघात बताते हुये अपनी आवाज उठाई थी और अब पुनः 'मध्य प्रदेश परिवहन निगम को पुनः चालू करो : निजी बस आपरेटरों की लूट से जनता को बचाओ' नारे के अंतर्गत एक दूरगामी आंदोलन की शुरुआत की है। 30 अगस्त को भाकपा समूचे मध्य प्रदेश में धरने-प्रदर्शन करेगी। इसी तरह उत्तर प्रदेश में भी सरकारी होटलों की बिक्री और केंद्रीय उपक्रमों को बेचे जाने को आगामी आंदोलनों के मुद्दों में शामिल किया जाएगा और धर्म, विभाजन, नाम परिवर्तन और बुलडोजर की आड़ में जनता की संपत्तियों को पूंजीपतियों को सौंपे जाने को लेकर भाजपा और उसकी सरकार को बेनकाब किया जाएगा।

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