उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले की एक 15 वर्षीय किशोरी को पीजीआई लखनऊ के डॉक्टरों ने नई जिंदगी दी है। किशोरी को मासिक धर्म संबंधी समस्या थी, जिसके कारण उसे असहनीय दर्द हो रहा था। पीजीआई के डॉक्टरों ने तीन सर्जरी कर किशोरी की जान बचाई है।
Menstrual Problems : हरदोई की किशोरी को पीजीआई लखनऊ में मिली नई जिंदगी, डॉक्टरों ने तीन सर्जरी कर बचाई जान
Dec 04, 2024 16:45
Dec 04, 2024 16:45
पीरियड्स की समस्या और प्रारंभिक इलाज
किशोरी के माता-पिता के अनुसार, जब उनकी बेटी 8 साल की थी, तब से ही उसे पेट में दर्द की शिकायत थी। शुरू में दर्द की दवाइयों से राहत मिल जाती थी, लेकिन जैसे-जैसे वह बड़ी हुई, दर्द और असहनीय हो गया। 12 साल की उम्र में उसे अधिक परेशानी होने लगी। परिवार ने शाहजहांपुर के एक सर्जन से संपर्क किया। अल्ट्रासाउंड के बाद सर्जन ने बताया कि बच्चेदानी का मुंह छोटा था, जिस वजह से मासिक स्राव बाहर नहीं निकल पा रहा था। इसके समाधान के लिए सर्जरी की गई, जिसमें बच्चेदानी का मुंह चौड़ा किया गया।
सर्जरी के बाद उत्पन्न नई समस्याएं
इस सर्जरी से मासिक स्राव तो बाहर आने लगा, लेकिन कुछ महीनों बाद किशोरी को पेट में फिर से दर्द और असुविधा महसूस होने लगी। इसके अलावा, मूत्र के रास्ते से असामान्य रूप से मल आना शुरू हो गया। यह स्थिति बेहद जटिल और चिंताजनक थी, जिसके कारण किशोरी के माता-पिता ने इलाज के लिए अन्य अस्पतालों की ओर रुख किया।
अलीगढ़ में भी कराई जांच
इसके बाद अलीगढ़ के एक अस्पताल में जांच के बाद पता चला कि किशोरी की बच्चेदानी पूरी तरह से विकसित नहीं हुई थी और उसकी वेजाइना भी छोटी थी। इससे रेक्टो वेजाइनल फिस्टुला (Recto-Vaginal Fistula) जैसी समस्या उत्पन्न हो गई थी। इस स्थिति का इलाज करने के लिए डॉक्टरों ने बच्चेदानी और ओवरी को निकालने का फैसला लिया, साथ ही मल का रास्ता अलग करने के लिए एक बैग भी लगाया गया। लेकिन इन प्रयासों के बावजूद किशोरी की समस्या का समाधान नहीं हुआ। इसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें संजय गांधी पीजीआई (PGI) रेफर कर दिया।
संजय गांधी पीजीआई में उपचार
किशोरी की स्थिति को देखकर संजय गांधी पीजीआई के गैस्ट्रो सर्जरी विभाग के प्रमुख प्रो. अशोक कुमार और उनकी टीम ने तुरंत सर्जरी करने का निर्णय लिया। प्रो. अशोक कुमार ने बताया कि किशोरी के मल और मूत्र द्वार के रास्तों को अलग करने के लिए तीन सर्जरी की गई। पहली सर्जरी में आंत का रास्ता मलद्वार से जोड़ा गया, उसके बाद दीवार बनाकर मलद्वार का रास्ता ठीक किया गया। इसके बाद तीसरी सर्जरी में वेजिनोप्लास्टी की गई, जिससे किशोरी का शरीर सामान्य रूप से कार्य करने लगा।
नॉर्मल लाइफ के लिए दी जाएगी हार्मोनल थेरेपी
किशोरी की सर्जरी सफल रही, लेकिन बच्चेदानी और ओवरी न होने के कारण वह मां नहीं बन सकेगी। बावजूद इसके, डॉक्टर्स ने किशोरी की नॉर्मल लाइफ के लिए हार्मोनल थेरेपी और अन्य उपचार देने का निर्णय लिया। प्रो. अशोक कुमार ने कहा कि छह सप्ताह बाद किशोरी को हार्मोनल थेरेपी दी जाएगी, जिससे वह सामान्य महिला की तरह अपनी बाकी जिंदगी जी सकेगी।
जटिल सर्जरी में टीम का योगदान
इस जटिल उपचार प्रक्रिया में प्रो. अशोक कुमार के साथ डॉ. सारंगी, डॉ. कुश, डॉ. शाहरुख, डॉ. रोहित, एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डॉ. अरुणा भारती और उनकी पूरी टीम ने मिलकर किशोरी का उपचार किया। नर्सिंग ऑफिसर सविता ने भी इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉक्टरों का कहना है कि इस इलाज के बाद किशोरी को एक नई जिंदगी मिलेगी। अब वह दर्द और असुविधा के बिना एक सामान्य जीवन जीने की दिशा में कदम बढ़ा सकती है।
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