मिल्कीपुर उपचुनाव में भाजपा को एक मजबूत और नए चेहरे की तलाश है। इस सीट पर 12 से अधिक उम्मीदवारों ने दावेदारी पेश की है। इनमें सुरेंद्र रावत का नाम भी काफी चर्चा में है। हालांकि प्रशासनिक सेवा में होने की वजह से उनके नाम पर खुले तौर पर चर्चा नहीं की जा रही है। लेेकिन, उनके इस रेस में होने की काफी पहले से चर्चा है।
उप परिवहन आयुक्त सुरेंद्र रावत ने मांगा वीआरएस : मिल्कीपुर का सियासी पारा गरमाया, भाजपा के टिकट की रेस में आगे
Jan 11, 2025 11:17
Jan 11, 2025 11:17
भाजपा के टिकट के लिए बढ़ी दावेदारी
मिल्कीपुर उपचुनाव में भाजपा को एक मजबूत और नए चेहरे की तलाश है। इस सीट पर 12 से अधिक उम्मीदवारों ने दावेदारी पेश की है। इनमें सुरेंद्र रावत का नाम भी काफी चर्चा में है। हालांकि प्रशासनिक सेवा में होने की वजह से उनके नाम पर खुले तौर पर चर्चा नहीं की जा रही है। लेेकिन, उनके इस रेस में होने की काफी पहले से चर्चा है। अब जिस तरह से उन्होंने वीआरएस के लिए आवेदन किया है, उससे इन चर्चाओं ने और जोर पकड़ लिया है। यूपी की सियासत में विगत विधानसभा चुनाव में असीम अरुण और राजेश्वर सिंह ने आईपीएस सेवा में रहते वीआरएस लिया था। इनमें अब असीम अरुण प्रदेश सरकार में मंत्री और राजेश्वर सिंह विधायक हैं।
31 साल की सरकारी सेवा के बाद सियासी पारी की तैयारी
सुरेंद्र रावत ने परिवहन विभाग में 31 वर्षों तक सेवा दी है। वर्तमान में वह लखनऊ परिक्षेत्र में उप परिवहन आयुक्त के पद पर कार्यरत हैं। अपने वीआरएस आवेदन में उन्होंने परिवहन आयुक्त और प्रमुख सचिव को इसकी जानकारी दी है। उनका यह फैसला उनकी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत का संकेत माना जा रहा है।
पार्टी स्तर पर गहन मंथन जारी, नए चेहरे की तलाश
जानकारी के अनुसार, मिल्कीपुर सीट पर भाजपा प्रत्याशी के चयन को लेकर गहन मंथन कर रही है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और चुनाव समिति इस पर चर्चा कर रही है कि नए चेहरे को टिकट देने पर जनता के बीच क्या प्रभाव पड़ेगा। भाजपा की रणनीति क्षेत्र में एक ऐसा उम्मीदवार उतारने की है जो न केवल संगठन को मजबूत करे, बल्कि आगामी विधानसभा चुनावों में भी पार्टी के लिए लाभदायक साबित हो। स्थानीय स्तर पर सुरेंद्र रावत की दावेदारी को लेकर चर्चा जोरों पर है। दरअसल मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर भाजपा एक नए और प्रभावी चेहरे की तलाश कर रही है। पार्टी का मानना है कि क्षेत्र में नया चेहरा जनता के बीच सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। इसके साथ ही, स्थानीय मुद्दों पर बेहतर पकड़ रखने वाले व्यक्ति को टिकट देने की योजना है।
पारिवारिक कारण या राजनीतिक महत्वाकांक्षा
वीआरएस के आवेदन में सुरेंद्र रावत ने पारिवारिक परिस्थितियों का हवाला दिया है। हालांकि, यह माना जा रहा है कि उनका यह कदम राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है। भाजपा के टिकट के लिए उनकी प्रबल दावेदारी और क्षेत्र में उनकी सक्रियता इस बात की ओर इशारा करती है कि वह अब प्रशासनिक भूमिका से बाहर आकर सार्वजनिक जीवन में सक्रिय होना चाहते हैं।
टिकट की रेस में इनके नाम की भी चर्चा
मिल्कीपुर विधानभा को लेकर भाजपा के टिकट की रेस में पूर्व विधायक गोरखनाथ बाबा का नाम भी चल रहा है। गोरखनाथ बाबा वर्ष 2017 में इस सीट से विधायक रह चुके हैं। उन्हें विधानभा चुनाव 2022 में सपा के अवधेश प्रसाद से शिकस्त का सामना करना पड़ा था। इसके अलावा पूर्व विधायक रामू प्रियदर्शी के नाम की भी चर्चा है। वह 1991 में सोहवल से विधायक रह चुके हैं और मिल्कीपुर से वर्ष 2012 में चुनाव लड़ चुके हैं। हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। भाजपा मिल्कीपुर में गैरविवादित नए चेहरे को उतारने की रणनीति पर काम कर रही है।
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