समाजवादी सरकार में मंत्री रहे पसमांदा मुस्लिम समाज के अध्यक्ष अनीस मंसूरी ने मंगलवार को प्रेस कांफ्रेंस कर महिला आयेगी कि अध्यक्ष बबिता चौहान के बयान पर आपत्ति जताई।
महिलाओं के कपड़ों की पुरुष टेलर के माप लेने पर आपत्ति क्यों : अनीस मंसूरी बोले- लैंगिक आधार पर काम का विभाजन समाज के हित में नहीं
Nov 12, 2024 17:37
Nov 12, 2024 17:37
बबिता चौहान के बयान को बताया अनुचित
बबीता चौहान ने हाल ही में बयान दिया था कि पुरुषों को टेलरिंग शॉप पर महिलाओं के कपड़ों की नाप लेने से परहेज करना चाहिए। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए मंसूरी ने कहा कि समाज में पुरुष और महिलाएं सभी कार्यक्षेत्रों में एक साथ काम करते हैं और अपनी सेवाएं देते हैं। पुरुष डॉक्टर महिलाओं का इलाज करते हैं, उनका ऑपरेशन करते हैं, और कई मामलों में प्रसव जैसी संवेदनशील जिम्मेदारियां भी निभाते हैं। ऐसे में टेलरिंग जैसे कार्यों में महिलाओं के कपड़ों की नाप लेने पर आपत्ति करना किसी भी तरह से उचित नहीं है।
पुरुष चिकित्सकों के महिलाओं के इलाज का किया जिक्र
मंगलवार को एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए पसमांदा मुस्लिम समाज के अध्यक्ष अनीस मंसूरी ने कहा कि समाज को ऐसी सोच से ऊपर उठने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ टेलरिंग या कपड़ों की नाप का विषय नहीं है, बल्कि इसके गहरे सामाजिक प्रभाव हैं। उन्होंने उदाहरण देकर कहा कि पुरुष डॉक्टर और नर्स विभिन्न स्वास्थ्य सेवाओं में महिलाओं का इलाज और देखभाल करते हैं, जिसमें सर्जरी और प्रसव जैसी जिम्मेदारियां भी शामिल हैं। यदि चिकित्सा क्षेत्र में लैंगिक आधार पर कार्यों का विभाजन किया जाए, तो स्वास्थ्य सेवाओं में बड़ी असुविधा हो सकती है, जो समाज के हित में नहीं है।
टेलरिंग, मेंहदी जैसे काम पुरुषों के रोजगार का जरिया
अनीस मंसूरी ने कहा कि समाज में समानता और एकता बनाए रखना हम सबकी जिम्मेदारी है। जब हम ऐसे बयान देते हैं जो भेदभाव और असमानता को बढ़ावा देते हैं, तो यह समाज में नकारात्मकता और असंतोष को जन्म देता है। अनीस मंसूरी ने कहा कि हमारे देश की शक्ति उसकी विविधता में है, और हमें इसे नष्ट करने के बजाय इसे प्रोत्साहित करना चाहिए। मंसूरी ने यह भी कहा कि टेलरिंग, फैशन डिजाइनिंग, स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा, मेंहदी और ब्यूटी पार्लर जैसे विभिन्न कार्यों में पुरुषों की सक्रिय भागीदारी है और यह उनके लिए रोजगार का एक जरिया भी है। यदि हम इस तरह के भेदभावपूर्ण नियम बनाते हैं, तो हम उन लाखों परिवारों की आजीविका पर असर डालते हैं जो इन व्यवसायों पर निर्भर हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि रोजगार के अवसर सभी को मिलने चाहिए, चाहे वे पुरुष हों या महिला।
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