रेलवे बोर्ड की ओर से कई सवाल तैयार किए गए हैं। इन्हें लेकर रेलवे के सभी शाखाओं से जुड़े लोगों से पूछताछ जारी है। यह पूछताछ कई दिनों तक जारी रहेगी। इसके आधार पर ही किसी नतीजे पर पहुंचा जाएगा। इसलिए बारीकी से पूछताछ की जा रही है।
गोंडा रेल हादसा : रेलवे सुरक्षा आयुक्त की पूछताछ में कर्मचारियों के निकल रहे पसीने, नहीं पहुंचे प्रत्यक्षदर्शी
Jul 22, 2024 21:04
Jul 22, 2024 21:04
बोर्ड ने कई बिंदुओं पर तैयार किए हैं सवाल
अफसरों के मुताबिक रेलवे बोर्ड की ओर से कई सवाल तैयार किए गए हैं। इन्हें लेकर रेलवे के सभी शाखाओं से जुड़े लोगों से पूछताछ जारी है। यह पूछताछ कई दिनों तक जारी रहेगी। इसके आधार पर ही किसी नतीजे पर पहुंचा जाएगा। इसलिए बारीकी से पूछताछ की जा रही है। इस प्रकरण में शुरुआती तौर पर लापरवाही को बड़ा कारण माना जा रहा है। ऐसे में अफसर बयान दर्ज करते समय कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते। वहीं जवाब देने वालों के भी पसीने छूट रहे हैं। उनका एक एक शब्द बेहद मायने रखता है। इसलिए हर सवाल को लेकर उनके माथे पर शिकन भी है।
बयान के आधार पर तैयार की जाएगी रिपोर्ट
माना जा रहा है कि जांच पूरी होने पर कई जिम्मेदार लोगों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसलिए बयान के आधार पर दुर्घटना की कारण स्पष्ट तौर पर सामने लाने का प्रयास किया जाएगा। साथ ही इसके लिए जिम्मेदार लोगों, लापरवाही और भविष्य में इस तरह की घटनाएं रोकने के लिए जरूरी बिंदुओं को रिपोर्ट में शामिल किया जाएगा। इसके बाद ये पूरी रिपोर्ट रेलवे बोर्ड को सौंपी जाएगी। माना जा रहा है कि इसके करीब 10 से 15 दिनों का वक्त लग सकता है।
प्रत्यक्षदर्शियों के पास पहुंचकर बयान होंगे दर्ज
जांच की कड़ी में गोंडा रेल दुर्घटना में प्रत्यक्षदर्शी लोगों के भी बयान दर्ज किए जाएंगे। इसके लिए उन्हें सोमवार को डीआरएम कार्यालय बुलाया गया था। हालांकि घटनास्थल मोतीगंज-झिलाही स्टेशन के पास के लोग कार्यालय नहीं पहुंचे। जांच की सही दिशा और नतीजे तक पहुंचने के लिए इनके बयान बेहद अहम माने जा रहे हैं। इसलिए माना जा रहा है कि अधिकारी इन लोगों के पास जाकर भी जानकारी कर सकते हैं, जिससे उनके बयान दर्ज किए जा सकें।
लापरवाही के कारण हुआ हादसा
इस बीच फिलहाल कहा जा रहा है कि चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस के डिरेलमेंट में प्राथमिक गलती इंजिनियरिंग विभाग की है। रेलवे की जॉइंट रिपोर्ट के मुताबिक ट्रैक और पटरियों को जोड़ने वाले नट-बोल्ट को मशीन से नहीं कसा गया था। वहीं इमिडिएट रिमूवल डिफेक्ट मशीन से जांच के दौरान ट्रैक में डिफेक्ट निकला था। इसके बाद भी साइट का प्रोटेक्शन नहीं किया गया। कॉशन भी दोपहर ढाई बजे जारी किया गया, जबकि 2:31 पर आठ डिब्बे डिरेल हो चुके थे। रिपोर्ट के मुताबिक इंजन निकलने के बाद सबसे पहले पीछे की पावर जनरेटर कार का पहिया पटरी से उतरा। इसकी वजह से लोको पायलट को झटका लगा तो उसने इमरजेंसी ब्रेक लगा दिए।
तकनीकी विवरण और हादसे के हर पहलू की विस्तृत जांच
इस वजह से 86 किमी प्रति घंटे की गति से दौड़ रही ट्रेन 400 मीटर दूर जाकर रुकी, तब तक 8 डिब्बे पटरी से उतर चुके थे। मानक के मुताबिक आईएमआर मशीन की जांच में गड़बड़ी मिलने पर पहले साइट का प्रोटेक्शन किया जाता है फिर कॉशन दिया जाता है। कॉशन दिए जाने पर डिफेक्टिव हिस्से से ट्रेन को 30 किमी प्रति घंटे की गति से चलाया जाता है। लेट कॉशन के कारण ट्रेन 86 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गुजर गई। सीपीआरओ के मुताबिक सीआरएस जांच शुरू की जा चुकी है और सुनवाई जारी है। इसमें तकनीकी विवरण और छोटी-छोटी जानकारियों के साथ हादसे के हर पहलू की विस्तृत जांच शुरू हो गई है। इसके बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचना सही होगी। लखनऊ मंडल के गोंडा-मनकापुर रेल खंड पर 18 जुलाई को मोतीगंज-झिलाही स्टेशन के पास 15904 चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस के 19 डिब्बे पटरी से उतर गए थे। हादसे चार की मौत हो गई थी। रेलवे ने दुर्घटना की सीआरएस जांच के आदेश दिए हैं।
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