हरदोई में नहर विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों पर फिर एक बार आरोप लगा है कि नहर विभाग की एक कोठी की जमीन पर खेती कराकर उसकी फसल काटने के बाद उसे बेच दिया गया है । जनपद में इस तरह की कई नहर की कोठी हैं जिममें सैकड़ों बीघे जमीन पड़ी हुई है। विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से इस पर खेती कराकर फसल बेचने का मामला सामने आया है। जिला अधिकारी को इस बाबत शिकायत की गई है।
नहर विभाग की जमीन पर फसल काटने के आरोप : कई नहर कोठियों पर ऐसी घटनाएं हो रहीं, जिला अधिकारी से की शिकायत
Oct 23, 2024 14:16
Oct 23, 2024 14:16
गेहूं के बाद अब धान की फसल भी बेची गई
हरदोई के सिकरोहरी स्थित नहर की एक खंडहर कोठी है, जिसके अंतर्गत लगभग 20 बीघे जमीन आती है। शिकायतकर्ता अभिषेक सिंह के अनुसार, इस जमीन के चारों ओर विभाग द्वारा बाउंड्री वॉल बनाई गई है। इस बाउंड्री के अंदर की खेती योग्य जमीन पर कई वर्षों से विभाग के पेट्रोलिंग स्टाफ की मिलीभगत से अवैध रूप से खेती की जा रही है। इससे पहले यहां पर गेहूं की फसल उगाई गई थी, जिसे बिना नीलामी किए काट लिया गया। अब इसी जमीन पर धान की फसल भी उगाई और काटी जा चुकी है। अभिषेक सिंह ने बताया कि उन्होंने इस मामले में जिला अधिकारी को शिकायत दी है और पहले उगाई गई फसल की कीमत वसूलने के साथ-साथ मौजूदा फसल की नीलामी की मांग की है।
नहर विभाग के अधिकारी कर रहे राजस्व का नुकसान
यह घटना नहर विभाग में हो रहे भ्रष्टाचार की ओर इशारा करती है। विभाग में ऐसी गड़बड़ियां कोई नई बात नहीं हैं। विभाग के रिकॉर्ड्स में नहर की मरम्मत और रखरखाव के नाम पर काम किए जाते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। नहर की पटरियों पर साफ-सफाई की कोई उचित व्यवस्था नहीं है। सिकरोहरी से लेकर बालामऊ तक नहर के दोनों ओर की पटरियां क्षतिग्रस्त स्थिति में हैं। इस सबके बावजूद,अधिकारियों द्वारा गेहूं और धान की फसलें उगाकर बेचने की घटना ने विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ऐसे मामलों से न केवल विभाग की साख पर असर पड़ता है, बल्कि सरकारी राजस्व को भी नुकसान होता है।
जिला अधिकारी करवा रहे मामले की जांच
हरदोई के जिला अधिकारी मंगला प्रसाद सिंह ने इस मामले में जांच का भरोसा दिलाया है। उन्होंने बताया कि शिकायत मिलने के बाद मामले की गहन जांच कराई जा रही है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यह देखना होगा कि जांच के बाद किस प्रकार की कार्रवाई होती है और क्या विभागीय अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाती है या नहीं।
इस घटना ने नहर विभाग की कार्यप्रणाली और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जहां एक तरफ प्रशासन अवैध कब्जों और खेती को रोकने के लिए कदम उठा रहा है, वहीं दूसरी तरफ विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से ऐसी घटनाएं सामने आना भ्रष्टाचार की गंभीर स्थिति को दर्शाता है। इस मामले में निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई ही लोगों के विश्वास को वापस ला सकती है।
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