हार्ट अटैक से होने वाली कुल मौतों में दो तिहाई पुरुष शामिल थे। इस्केमिक हार्ट डिजीज पुरुषों में मौत का मुख्य कारण रही। वहीं, महिलाओं में वॉल्व संबंधी बीमारियां, जन्मजात हृदय दोष, संक्रमण और हृदय मांसपेशियों के मोटापे से जुड़ी बीमारियां ज्यादा घातक साबित हुईं।
Heart Attack : 22.1 प्रतिशत मरीज एक साल में गंवा बैठे जान, कुल मौतों में दो तिहाई पुरुष, केजीएमयू की रिपोर्ट में खुलासा
Jan 09, 2025 11:43
Jan 09, 2025 11:43
हार्ट अटैक के आंकड़ों और उसके पैटर्न को समझकर बचाव की कोशिश
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) इस रजिस्ट्री का नोडल सेंटर है। यहां के हृदय रोग विशेषज्ञों के अनुसार देश में पहली बार दिल से संबंधित बीमारियों की रजिस्ट्री बनाई गई है। इसका उद्देश्य हार्ट अटैक के आंकड़ों और उसके पैटर्न का अध्ययन कर बचाव के उपाय सुनिश्चित करना है।
53 केंद्रों और 10,850 मरीजों पर आधारित है रिपोर्ट
देशभर के 53 केंद्रों के 10,850 मरीजों पर आधारित इस रिपोर्ट में यह सामने आया कि हार्ट अटैक से होने वाली मौतों में पुरुषों का प्रतिशत अधिक है। मरीजों की औसत उम्र 59.9 वर्ष रही। इनमें से 31.1 प्रतिशत महिलाएं थीं। हालांकि, 524 मरीज फॉलोअप के लिए उपलब्ध नहीं हो सके। बाकी 10,326 मरीजों की गहन निगरानी की गई।
पुरुषों में इस्केमिक हार्ट डिजीज प्रमुख
हार्ट अटैक से होने वाली कुल मौतों में दो तिहाई पुरुष शामिल थे। इस्केमिक हार्ट डिजीज (हृदय की धमनी का संकुचन) पुरुषों में मौत का मुख्य कारण रही। वहीं, महिलाओं में वॉल्व संबंधी बीमारियां, जन्मजात हृदय दोष, संक्रमण और हृदय मांसपेशियों के मोटापे से जुड़ी बीमारियां ज्यादा घातक साबित हुईं।
हृदय रोगियों में अधिकांश को थी ये समस्याएं
- रिपोर्ट के अनुसार, हार्ट फेल वाले मरीजों में से अधिकांश हाइपरटेंशन और डायबिटीज के शिकार थे।
- 68.5 प्रतिशत मरीजों में आनुवांशिकता से हृदय मांसपेशियों का मोटापा पाया गया।
- 79.1 प्रतिशत मरीजों को हृदय धमनी का संकुचन और 25 प्रतिशत मरीजों को वॉल्व की बीमारी थी।
- गर्भावस्था के अंतिम चरण में दिल की बीमारी (पेरिपार्टम कार्डियोमायोपैथी) वाले 14.2 प्रतिशत मरीजों में हाइपरटेंशन मिला।
- इस्केमिक हार्ट डिजीज: 71.9 प्रतिशत
- डाइलेडेट कार्डियोमायोपैथी: 17.3 प्रतिशत
- रुमेटिक हार्ट डिजीज: 5.4 प्रतिशत
- नॉन-रुमेटिक हार्ट डिजीज: 1.9 प्रतिशत
- हाइपरट्रॉपिक कार्डियोमायोपैथी: 0.8 प्रतिशत
- कॉग्निटल हार्ट डिजीज (जन्मजात): 0.7 प्रतिशत
- पेरिपार्टम कार्डियोमायोपैथी: 0.5 प्रतिशत
- रीस्ट्रक्टिव कार्डियोमायोपैथी: 0.4 प्रतिशत
- इंफेक्टिव इंडोकार्डिटिस: 0.1 प्रतिशत
- इंफेक्टिव इंडोकार्डिटिस : 50 प्रतिशत
- रीस्ट्रक्टिव कार्डियोमायोपैथी : 36.8 प्रतिशत
- कॉग्निटल हार्ट डिजीज : 34.6 प्रतिशत
- पेरिपार्टम कार्डियोमायोपैथी : 12 प्रतिशत
- इस्केमिक हार्ट डिजीज : 21.1 प्रतिशत
- डाइलेडेट कार्डियोमायोपैथी : 23.7 प्रतिशत
- रुमेटिक हार्ट डिजीज : 27.5 प्रतिशत
- नॉन-रुमेटिक हार्ट डिजीज : 25.1 प्रतिशत
- हाइपरट्रॉपिक कार्डियोमायोपैथी : 13.0 प्रतिशत
नेचर पत्रिका में प्रकाशित इस रिपोर्ट के जरिए यह समझा जा सकता है कि दिल के मरीजों के इलाज और उनके बाद की देखभाल में क्या सुधार किए जा सकते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरह केजएमयू की नेशनल हार्ट फेल रजिस्ट्री की रिपोर्ट के आधार पर कदम उठाते हुए मौतों को कम किया जा सकता है। इससे मरीजों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए भी ठोस कदम उठाने में मदद मिलेगी।
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