मानव तस्करी का एक बड़ा मामला सामने आया है। रेलवे सुरक्षा बल (RPF) ने बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से 26 बच्चों को अमृतसर ले जा रहे दो ठेकेदारों को गिरफ्तार किया है।
मानव तस्करी का भंडाफोड़ : 26 बच्चों के साथ बेगमपुरा एक्सप्रेस में सफर कर रहा था व्यक्ति, आरपीएफ ने दो ठेकेदारों को दबोचा
Jul 13, 2024 21:52
Jul 13, 2024 21:52
ऐसे हुआ रैकेट का खुलासा
यह घटना तब सामने आई जब ट्रेन संख्या 12237 वाराणसी-जम्मूतवी बेगमपुरा एक्सप्रेस लखनऊ स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर छह पर शाम 5:15 बजे पहुंची। आरपीएफ की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (एएचटीयू) की टीम, स्थानीय आरपीएफ दल और बचपन बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ता मिलकर स्टेशन पर नियमित जांच कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने बेगमपुरा एक्सप्रेस के एक जनरल डिब्बे में कुछ संदिग्ध गतिविधियां देखीं। जब टीम ने उस डिब्बे की जांच की, तो उन्हें एक व्यक्ति के साथ कई नाबालिग बच्चे दिखाई दिए। पूछताछ के दौरान पता चला कि ये बच्चे उत्तर प्रदेश और बिहार के विभिन्न हिस्सों से लाए गए थे और उन्हें अमृतसर में नाशपाती के बागों में काम करने के लिए ले जाया जा रहा था।
आरपीएफ ने 26 बच्चों को बचाया सुरक्षित
उत्तर रेलवे लखनऊ के वरिष्ठ मंडल सुरक्षा आयुक्त देवांश शुक्ल के अनुसार तत्काल कार्रवाई करते हुए आरपीएफ ने सभी 26 बच्चों को सुरक्षित बचा लिया और उन्हें चाइल्ड हेल्पलाइन की देखरेख में सौंप दिया। साथ ही, इस अवैध कार्य में शामिल दो ठेकेदारों को गिरफ्तार कर लिया गया। यह कार्रवाई उत्तर रेलवे लखनऊ के वरिष्ठ मंडल सुरक्षा आयुक्त देवांश शुक्ल के निर्देशन में चल रहे 'ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते' का हिस्सा थी।
नाशपाती तोड़ने ले जा रहे थे बच्चे
अमृतसर के बगीचों में लगे नाशपाती को तोड़ने के लिए बच्चें तस्कर करके ले जाए जा रहे थे। इन बच्चों की उम्र 10 से 15 वर्ष के बीच थी। बेगमपुरा एक्सप्रेस की महिला बोगी के बगल वाले जनरल कोच में एक संदिग्ध व्यक्ति के साथ कुछ नाबालिग बच्चे दिखाई दिए। इन लोगों से आरपीएफ ने पूछताछ की। पता चला कि बच्चे ठेकेदार के साथ अमृतसर में नाशपाती का काम करने के लिए जा रहे थे।
पैसे के लालच में भेजे थे बच्चे
आरपीएफ ने ट्रेन से उतरने के बाद बच्चों के साथ यात्रा कर रहे ठेकेदार से पूछताछ की। ठेकेदार ने खुलासा किया कि वे बच्चों के परिवारों को आर्थिक लाभ का प्रलोभन देकर उन्हें साथ ले जा रहे थे। कुछ मामलों में, परिवारों को अग्रिम भुगतान भी किया गया था। ये बच्चे उत्तर प्रदेश के चंदौली, वाराणसी, जौनपुर और बिहार के भभुआ जिलों से लाए गए थे। उन्हें अमृतसर ले जाया जा रहा था, जहां उनसे श्रम कराने की योजना थी।
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