Sawan Maas 2024 : सावन माह की इन महत्वपूर्ण तिथियों पर करें रुद्राभिषेक, भोले करेंगे सबका कल्याण

सावन माह की इन महत्वपूर्ण तिथियों पर करें रुद्राभिषेक, भोले करेंगे सबका कल्याण
UPT | जानें रुद्राभिषेक की महत्वपूर्ण तिथियां

Jul 23, 2024 00:59

श्रावण मास हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण माह माना जाता है। इस माह में भगवान शिव की विशेष आराधना की जाती है, जिसमें रुद्राभिषेक एक प्रमुख अनुष्ठान है। इस वर्ष, श्रावण मास की शुरुआत 22 जुलाई 2024  यानी सोमवार से हो गई है। यह दिन शिव कृपा, सूर्य कृपा, और ...

Jul 23, 2024 00:59

Lucknow News : श्रावण मास हिंदू धर्म में एक अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण माह माना जाता है। इस माह में भगवान शिव की विशेष आराधना की जाती है, जिसमें रुद्राभिषेक एक प्रमुख अनुष्ठान है। इस वर्ष, श्रावण मास की शुरुआत 22 जुलाई 2024  यानी सोमवार से हो गई है। लखनऊ के प्रसिद्ध श्री पितामह ज्योतिष केंद्र के आचार्य शुभम त्रिवेदी ने इस माह की महत्वपूर्ण तिथियों और उनके विशेष महत्व के बारे में विस्तृत जानकारी दी है।

प्रीति योग के साथ-साथ सायन सूर्य की सिंह संक्रांति 
श्रावण मास (सावन मास) का आरंभ 22 जुलाई को प्रथम श्रावण सोमवार के साथ हो रहा है। इस दिन प्रीति योग के साथ-साथ सायन सूर्य की सिंह संक्रांति भी है। आचार्य त्रिवेदी के अनुसार, यह दिन शिव कृपा, सूर्य कृपा, और आरोग्य प्राप्ति के लिए विशेष रूप से शुभ है। इसके अतिरिक्त, इस दिन किए गए पुण्य कार्यों का फल अक्षय होता है। धन-समृद्धि की प्राप्ति और किसी भी प्रकार के विवाद में सुलह के लिए यह दिन सर्वोत्तम माना जाता है।

रुद्राभिषेक की महत्वपूर्ण तिथियां
  • 23 जुलाई को द्विपुष्कर योग और सिद्धा तिथि का संयोग है। यह दिन अभीष्ट सिद्धि और इष्ट देव की कृपा प्राप्त करने के लिए उत्तम है। भक्तों को इस दिन विशेष पूजा-अर्चना करने की सलाह दी जाती है।
  • 24 जुलाई को गणेश चतुर्थी है। यह तिथि समस्त विघ्नों के नाश और बुद्धि तथा समृद्धि प्राप्ति के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। गणपति की पूजा से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है।
  • 25 जुलाई को रवियोग और सिद्धा तिथि का संयोग है। यह दिन लंबित कार्यों को पूरा करने और अनावश्यक विघ्नों को दूर करने के लिए विशेष रूप से अनुकूल है। इस दिन किए गए प्रयास अधिक सफल होने की संभावना रहती है।
  • 26 जुलाई एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है, क्योंकि इस दिन नागपंचमी, सिद्धा तिथि और रवियोग का त्रिवेणी संगम है। यह दिन कालसर्प दोष, नागकरण में जन्म, श्लेषा नक्षत्र जन्य दोष, बुध दशा जन्य दोष, सर्पशाप, और पंचमी तिथि में जन्म आदि की शांति के लिए सर्वोत्तम है। इसके अतिरिक्त, यह दिन शिव कृपा प्राप्ति, शत्रु नाश, संक्रामक रोगों से मुक्ति, ऋण मुक्ति और समृद्धि प्राप्ति के लिए भी विशेष रूप से शुभ है।
  • 28 जुलाई को अष्टमी तिथि, शूल योग और सर्वार्थसिद्धि योग का संयोग है। यह दिन समृद्धि, मानसिक शांति, और देवी कृपा प्राप्ति के लिए उत्तम है। इसके साथ ही, इस दिन पथरी रोग और दर्द या वेदना से संबंधित रोगों के निवारण के लिए विशेष पूजा-अर्चना की जा सकती है।
  • 29 जुलाई को द्वितीय श्रावण सोमवार है, जो भरणी नक्षत्र में पड़ रहा है। यह दिन देवी कृपा, शिव कृपा और शुक्र दशा जन्य अनिष्ट निवारण के लिए विशेष रूप से शुभ है।
  • 30 जुलाई मंगलवार को दशमी तिथि और सर्वार्थसिद्धि योग का संयोग है। यह दिन लक्ष्मी जी की प्रसन्नता, ऋण मुक्ति, मंगल दोष निवारण, मांगलिक दोष निवारण, और सूर्य एवं चंद्रमा दशा जन्य अनिष्ट निवारण के लिए उत्तम है।
  • 31 जुलाई बुधवार को कामदा एकादशी, रोहिणी नक्षत्र और सर्वार्थसिद्धि योग का त्रिवेणी संगम है। यह दिन अभीष्ट सिद्धि, इष्ट कृपा प्राप्ति, चंद्र दशा जन्य अनिष्ट निवारण, श्रीमन्नारायण कृपा प्राप्ति और पितृ दोष निवारण के लिए सर्वोत्तम है।
शिव कृपा प्राप्ति के लिए विशेष रूप से शुभ है प्रदोष व्रत 
आचार्य शुभम त्रिवेदी और ज्योतिषाचार्य ब्रजेश पाठक के अनुसार, 1 अगस्त गुरुवार को प्रदोष व्रत है, जो शिव कृपा प्राप्ति के लिए विशेष रूप से शुभ है। 2 अगस्त को सर्वार्थसिद्धि योग है, जो समृद्धि प्राप्ति के लिए उत्तम है। 

शीघ्र विवाह के लिए मासशिवरात्रि व्रत विशेष फलदायी
3 अगस्त को मासशिवरात्रि व्रत है और श्लेषा नक्षत्र में सूर्य का संक्रमण होगा। यह दिन मनचाहा फल प्राप्ति, शीघ्र विवाह, अभिचार कर्म या ऊपरी बाधा से मुक्ति और शिव कृपा प्राप्ति के लिए सर्वोत्तम है। इसके अतिरिक्त, यह दिन कालसर्प दोष, नागकरण में जन्म, श्लेषा नक्षत्र जन्य दोष, बुध दशा जन्य दोष, सर्पशाप और पंचमी तिथि में जन्म आदि की शांति के लिए भी विशेष रूप से शुभ है।

4 अगस्त को होगा श्रावण मास का समापन 
श्रावण मास का समापन 4 अगस्त को अमावस्या के साथ होगा। इस दिन रविपुष्य योग और सिद्धि योग का संयोग है। यह दिन अभीष्ट सिद्धि, सूर्य कृपा प्राप्ति, पितृ दोष निवारण, पितरों की प्रसन्नता, शनि दशा जन्य अनिष्ट निवारण, मानसिक शांति, दर्श शांति, साधना सिद्धि, दुर्गम कार्य सिद्धि और तंत्र-मंत्र अभिचार दोष निवारण के लिए सर्वोत्तम है।

कई गुना बढ़ जाता है इस माह की गई पूजा का फल
आचार्य शुभम त्रिवेदी ने भक्तों को सलाह दी है कि वे इन तिथियों पर विशेष पूजा-अर्चना करें और रुद्राभिषेक का आयोजन करें। उन्होंने कहा कि शिवपुराण के मुताबिक सावन के सभी सोमवार को भगवान भोलेनाथ का रुद्राभिषेक किया जा सकता है। श्रावण मास में की गई साधना और पूजा का फल कई गुना बढ़ जाता है। इसलिए, सभी श्रद्धालुओं को इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए और अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए इन शुभ मुहूर्तों का उपयोग करना चाहिए।

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