बलरामपुर, बहराइच और श्रावस्ती जिलों में नो मैंस लैंड पर अवैध निर्माण और अतिक्रमण की बढ़ती घटनाएं चिंता का विषय बन गई हैं। इन इलाकों में कई जगह नो मेंस लैंड पर अतिक्रमण कर सड़कें बना दी गई हैं
यूपी के तीन सीमावर्ती जिले बने मुसीबत : नेपाल सीमा पर नो मैन्स लैंड पर बनी सड़कें, सुरक्षा बलों के लिए नई चुनौती
Oct 28, 2024 13:18
Oct 28, 2024 13:18
सीमा पर बदलती परिस्थितियां
सीमावर्ती क्षेत्रों का सर्वेक्षण बताता है कि कई स्थानों पर नो मैंस लैंड को समतल कर अवैध सड़कें बना दी गई हैं। पिलर संख्या 570/1 से 649/3 तक के क्षेत्र में की गई जांच में यह तथ्य सामने आया है कि इन अवैध मार्गों का उपयोग तस्करी और अवैध आवागमन के लिए किया जा रहा है। भारी वाहनों का आवागमन भी इन मार्गों से होने लगा है, जो सुरक्षा की दृष्टि से चिंताजनक है। देवीपाटन मंडल के डीआईजी अमरेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि नेपाल सीमा की सुरक्षा को लेकर पुलिस लगातार चौकसी बरत रही है और सीमावर्ती गांवों में समय-समय पर गश्त व सत्यापन अभियान चलाया जा रहा है। इसके बावजूद सीमा पर तस्करी रोकना बड़ी चुनौती बना हुआ है, क्योंकि यह क्षेत्र खुला है और नियंत्रण की स्थिति में कई समस्याएँ आती हैं। सीमा सुरक्षा बल (एसएसबी) ने भी इस समस्या की ओर ध्यान आकर्षित किया है। बीओपी (बॉर्डर आउट पोस्ट) बना दी गई है, लेकिन जवानों की संख्या और चौकसी में वृद्धि की आवश्यकता है।
जनसांख्यिकीय परिवर्तन की चुनौतियां
नो मेंस लैंड और उसके आसपास के क्षेत्रों में अवैध निर्माण, खासकर मस्जिदों और मदरसों का निर्माण तेजी से बढ़ रहा है। सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट के अनुसार पिछले एक दशक में सीमावर्ती क्षेत्रों की जनसांख्यिकी में महत्वपूर्ण बदलाव आए हैं। फरवरी 2018 से सितंबर 2024 के बीच धार्मिक स्थलों की संख्या में लगभग 200 की वृद्धि हुई है। 1,349 से बढ़कर यह संख्या 1,540 तक पहुंच गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह केवल आबादी वृद्धि का मामला नहीं है, बल्कि यह एक व्यवस्थित प्रक्रिया का हिस्सा हो सकता है। इसके लिए एटीएस (आतंकवाद निरोधक दस्ता) को भी जांच में शामिल किया गया है और एसएसबी को 15 किमी के भीतर के धर्मस्थलों की स्थिति का ब्योरा तैयार करने का निर्देश दिया गया है।
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सुरक्षा व्यवस्था की चुनौतियां
नेपाल बॉर्डर के हालात का अध्ययन करने वाले यशोदा लाल बताते हैं कि श्रावस्ती जिले का ककरदरी गांव इस स्थिति का एक उदाहरण है। यहां मदरसा दारुल उलूम गुलशने रजा नो मेंस लैंड से बिल्कुल सटकर बनाया गया है, जिसका मुख्य गेट सीमा पिलर नंबर 12/640 के सामने ही खुलता है। यह मदरसा सीमा सुरक्षा के लिए एक चुनौती बना हुआ है और सुरक्षा एजेंसियां इस तरह के निर्माणों पर विशेष नजर रख रही हैं। एसएसबी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि खुली सीमा होने के कारण सुरक्षा चुनौतियां बढ़ गई हैं। बॉर्डर आउट पोस्ट (बीओपी) की स्थापना की गई है, लेकिन जनशक्ति की कमी एक बड़ी समस्या है। चुनावी ड्यूटी के कारण सीमा से जवानों को हटाना पड़ता है। जिससे सुरक्षा व्यवस्था प्रभावित होती है।
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संवेदनशील गांवों की स्थिति
तीनों जिलों में कुल 97 ऐसे गांव हैं जो या तो सीधे नेपाल सीमा से जुड़े हैं या फिर आधे-आधे दोनों देशों में स्थित हैं। श्रावस्ती में 38, बहराइच में 23 और बलरामपुर में 36 गांव इस श्रेणी में आते हैं। इन गांवों की आबादी का नेपाल से नियमित संपर्क और पारिवारिक संबंध हैं, जो सुरक्षा की दृष्टि से चुनौतीपूर्ण स्थिति पैदा करता है।
सरकारी प्रयास और कार्रवाई
सरकार ने इस मसले पर कई महत्वपूर्ण कदम उठाने का निर्णय लिया है। गृह मंत्रालय द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि सीमावर्ती इलाकों में मौजूद इंटेलिजेंस नेटवर्क को और अधिक मजबूत करने की आवश्यकता है, ताकि अवैध गतिविधियों पर नजर रखी जा सके। इसके अतिरिक्त, एटीएस और एसएसबी को मिलकर कार्य करने की योजना है, जिससे सीमावर्ती इलाकों में अवैध धार्मिक स्थलों की गतिविधियों की प्रभावी तरीके से निगरानी हो सके। देवीपाटन मंडल के डीआईजी अमरेंद्र प्रताप सिंह के अनुसार, पुलिस नियमित रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों में गश्त और सत्यापन अभियान चलाती है। एसएसबी को सीमा से 15 किलोमीटर के दायरे में स्थित धार्मिक स्थलों की विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया गया है।
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