अस्पताल की कारस्तानी : मोटी रकम वसूलने के लिए मृत मरीज को वेंटिलेटर पर रखा, परिजनों ने किया हंगामा

मोटी रकम वसूलने के लिए मृत मरीज को वेंटिलेटर पर रखा, परिजनों ने किया हंगामा
UPT | रुपये वसूलने के लिए मृत मरीज को वेंटिलेटर पर रखा

Jan 19, 2025 15:39

चौक के निजी अस्पताल में मौत के बाद मरीज को वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखने का झांसा देकर परिजनों से मोटी रकम वसूलने की कोशिश की गई। इसकी जानकारी होने पर परिवारजनों ने जमकर हंगामा किया।

Jan 19, 2025 15:39

Lucknow News : राजधानी लखनऊ के चौक स्थित निजी अस्पताल में रविवार को सामने आया एक मामला बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार की 2015 में रिलीज हुई फिल्म 'गब्बर इज बैक' की याद दिलाता है। फिल्म में दिखाए गए उस चर्चित दृश्य में एक युवक की मौत के बाद निजी अस्पताल ने इलाज के नाम पर भारी रकम वसूलने की कोशिश की थी। चौक के यूनाइटेड अस्पताल में घटी घटना भी ठीक वैसी ही है, जहां मौत के बाद मरीज को वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखने का झांसा देकर परिजनों से मोटी रकम ऐंठने का प्रयास किया गया। अस्पताल की इस कारस्तानी की भनक लगने पर परिवारजनों ने जमकर हंगामा किया।

सेवानिवृत्त शिक्षक की हुई थी कुल्हे की सर्जरी
मृतक नरेश चंद्र के बेटे गोविंद ने बताया कि उनके पिता सिक शिक्षा विभाग में शिक्षक के पद से सेवानिवृत्त हो चुके थे। 26 दिसंबर को उन्हें मोहनलालगंज के सिग्मा ट्रॉमा सेंटर में कुल्हे की सर्जरी के लिए भर्ती कराया कराया गया। सर्जरी के बाद घर आने पर उनकी तबीयत बिगड़ने लगी। सांस फूलने के साथ टांकों में संक्रमण हो गया। इसके बाद उन्हें आशियाना के क्रिटीकेयर अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां इलाज में करीब ढाई लाख रुपये खर्च हुए। स्वास्थ्य में कोई खास सुधार नहीं होने पर मल्हौर के एमएमसी अस्पताल में शिफ्ट किया गया। इस बीच अचानक उनकी स्थिति बिगड़ गई।



16 जनवरी को यूनाइटेड अस्पताल में कराया भर्ती 
गोविंद ने बताया कि 16 जनवरी को पिता को यूनाइटेड अस्पताल में भर्ती कराया। अस्तपताल में भर्ती होने के तीन दिन बीतने के बावजूद इलाज शुरू नहीं हुआ। इस दौरान मरीज की हालत तेजी से बिगड़ने लगी। बार-बार शिकायत करने के बाद ही किसी डॉक्टर को नहीं बुलाया गया। रविवार सुबह अस्पताल प्रबंधन ने बताया कि मरीज की हालत गंभीर है। कुछ देर बाद बताया गया कि मरीज की नहीं बचाया जा सका। यह सुनकर परिजन सकते में आ गए।  

मौत के बाद शव वेंटिलेटर पर रखने का आरोप
परिजनों का आरोप है कि अस्पताल ने इलाज के नाम पर पहले ही 20 हजार रुपये एडवांस जमा करा लिए थे, लेकिन वहां न तो कोई डॉक्टर मौजूद था और न ही मरीज को कोई सपोर्ट दिया गया। मरीज की मौत के बाद पहले हो चुकी थी। अस्पताल प्रबंधन ने पैसा बनाने के लिए उनके मरीज को वेंटिलेटर पर रखा और लगातार बिल बनाते रहे। रविवार सुबह बताया गया कि आपके मरीज की मौत हो गई है। इस पर परिजनों ने अस्पताल में हंगामा शुरू कर दिया। इसके बाद अस्पताल प्रबंधन बैकफुट पर नजर आया।

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