ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि यूपी में ऐसा फरमान इसलिए लागू किया जा रहा है ताकि कोई कांवड़िया गलती से मुसलमान की दुकान का कुछ खा न लें।
Kanwar Yatra : यूपी पुलिस के फैसले पर भड़के ओवैसी, कह दी ये बड़ी बात, जवाब में डीजीपी ने दी अपनी प्रतिक्रिया
Jul 17, 2024 22:36
Jul 17, 2024 22:36
प्रशासन के आदेश पर ओवैसी ने उठाए सवाल
इसको लेकर AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने सोशल मीडिया पर सवाल उठाए हैं। ओवैसी ने लिखा कि उत्तर प्रदेश पुलिस के आदेश के अनुसार अब हर खाने वाली दुकान या ठेले के मालिक को अपना नाम बोर्ड पर लगाना होगा ताकि कोई कांवड़िया गलती से मुसलमान की दुकान से कुछ न खरीद ले। इसे दक्षिण अफ्रीका में अपारथाइड कहा जाता था और हिटलर की जर्मनी में इसका नाम 'Judenboycott' था।
उत्तर प्रदेश पुलिस के आदेश के अनुसार अब हर खाने वाली दुकान या ठेले के मालिक को अपना नाम बोर्ड पर लगाना होगा ताकि कोई कांवड़िया गलती से मुसलमान की दुकान से कुछ न खरीद ले। इसे दक्षिण अफ्रीका में अपारथाइड कहा जाता था और हिटलर की जर्मनी में इसका नाम 'Judenboycott' था। https://t.co/lgvCf2HoQE
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) July 17, 2024
एसपी ने क्या दिए थे आदेश
बता दें कि मुजफ्फरनगर के एसएसपी अभिषेक सिंह ने कांवड़ यात्रा में पड़ने वाले सभी भोजनालयों और खाने-पीने का सामान बेचने वाली दुकानों और ठेलों पर मालिक का नाम लिखने के आदेश दिए हैं। जहां से कांवड़िए समान खरीद सकते हैं। एसएसपी ने अपने आदेश में कहा है कि ऐसा करने से कांवड़ियों को भ्रम नहीं होगा। इसके अलावा ऐसी स्थिति न पैदा हो कि आरोप-प्रत्यारोप हो और बाद में कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब न हो।
ओवैसी को डीजीपी प्रशांत ने दिया ये जवाब
ओवैसी द्वारा दिए गए बयान का जवाब देते हुए डीजीपी प्रशांत कुमार ने कहा कि सावन में कांवड़ यात्रा के दौरान समीपवर्ती राज्यों से पश्चिमी उत्तर प्रदेश होते हुए भारी संख्या में कांवड़िये हरिद्वार से जल उठाकर मुजफ्फरनगर से होकर गुजरते हैं। इस पवित्र माह में कांवड़िये अपने खानपान में कुछ खाद्य सामग्री से परहेज करते हैं। पूर्व में ऐसे कई मामले हैं, जहां कांवड़ मार्ग पर खाद्य सामग्री बेचने वाले कुछ दुकानदारों द्वारा अपनी दुकानों के नाम इस प्रकार से रखे गए, जिससे कांवड़ियो में भ्रम की स्थिति उत्पन्न होकर कानून व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न हुई। इस प्रकार की पुनरावृत्ति रोकने एवं श्रद्धालुओं की आस्था को देखते हुए कांवड़ मार्ग पर पड़ने वाले होटल, ढाबे एवं खानपान की सामग्री बेचने वाले दुकानदारों से अनुरोध किया गया है कि वे स्वेच्छा से अपने मालिक और काम करने वालों का नाम प्रदर्शित करें। इस आदेश का मतलब है कि किसी प्रकार का धार्मिक विभेद ना होकर सिर्फ मुजफ्फरनगर से गुजरने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा, आरोप-प्रत्यारोप एवं कानून व्यवस्था की स्थिति को बचाना है। यह व्यवस्था पूर्व में भी प्रचलित रही है।
हरिद्वार से जल भरकर लाते हैं श्रद्धालु
बता दें कि कांवड़ मेले के दौरान शिव भक्त कांवड़िए हरिद्वार हर की पौड़ी से गंगाजल उठाकर मुजफ्फरनगर से होते हुए अपने-अपने गंतव्य की ओर प्रस्थान करते हैं। मुजफ्फरनगर जनपद से ही दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों के कांवड़िए गुजरते हैं। इसलिए कांवड़ यात्रा के मध्य नजर मुजफ्फरनगर जनपद एक मुख्य बिंदु कहलाता है।
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