कर्नाटक की विशेषताओं पर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने मैसूर महल की चर्चा की और इसे कर्नाटक की ऐतिहासिक महिमा का प्रतीक बताया। उन्होंने कर्नाटक के प्रसिद्ध शिव तांडव नृत्य का भी उल्लेख किया और बताया कि कैसे यह नृत्य राज्य की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे राज्यों में कला और संस्कृति के प्रति जागरूकता बढ़ाने पर विशेष जोर दिया जाता है।
यूपी राजभवन में मनाया गया कर्नाटक-तमिलनाडु का स्थापना दिवस : राज्यपाल आनंदीबेन बोलीं- युवा विद्यार्थी सीखें अन्य राज्यों की भाषा और संस्कृति
Nov 07, 2024 18:11
Nov 07, 2024 18:11
दक्षिण भारत की संस्कृति को समझने का अवसर
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने बताया कि अक्सर दक्षिण भारत की संस्कृति की ओर कम ध्यान दिया जाता है। ऐसे कार्यक्रम विद्यार्थियों को इन क्षेत्रों की समृद्ध संस्कृति, इतिहास और परंपराओं से अवगत कराते हैं। उन्होंने कहा कि एक भारत, श्रेष्ठ भारत की संकल्पना को साकार करने के लिए यह आवश्यक है कि युवा विद्यार्थी अन्य राज्यों की भाषाएं और संस्कृति सीखें। यह न केवल उनके ज्ञान में वृद्धि करता है, बल्कि राष्ट्रीय एकता को भी मजबूत करता है।
भाषाओं और संस्कृतियों की शिक्षा पर जोर
राज्यपाल ने विद्यार्थियों को सलाह दी कि वे विभिन्न भाषाओं और सांस्कृतिक परंपराओं का अध्ययन करें। उन्होंने कहा कि बिना भाषाओं की समझ के क्षेत्रीय साहित्य और ज्ञान तक पहुंचना मुश्किल है। अपनी मातृभाषा के महत्व को समझने पर भी उन्होंने जोर दिया। कार्यक्रम में शामिल कलाकारों की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी मुद्राएं और भावभंगिमाएं देखने से संदेश को समझने में मदद मिलती है।
तमिलनाडु के प्रमुख स्थल और ऐतिहासिकता
राज्यपाल ने तमिलनाडु के अद्वितीय स्थलों महाबलीपुरम का विश्व धरोहर स्थल और विवेकानंद स्टैच्यू आदि का जिक्र किया। उन्होंने रामेश्वरम और भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के योगदान की सराहना की। रामेश्वरम को धार्मिक स्थल के साथ-साथ सांस्कृतिक धरोहर के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत करते हुए, उन्होंने कहा कि डॉ. कलाम की उपलब्धियों ने भारत की सामरिक शक्ति को सुदृढ़ किया।
कर्नाटक की ऐतिहासिक धरोहर
कर्नाटक की विशेषताओं पर राज्यपाल ने मैसूर महल की चर्चा की और इसे कर्नाटक की ऐतिहासिक महिमा का प्रतीक बताया। उन्होंने कर्नाटक के प्रसिद्ध शिव तांडव नृत्य का भी उल्लेख किया और बताया कि कैसे यह नृत्य राज्य की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे राज्यों में कला और संस्कृति के प्रति जागरूकता बढ़ाने पर विशेष जोर दिया जाता है।
भारतीय इतिहास की समृद्धि और सांस्कृतिक धरोहर
राज्यपाल ने कहा कि भारत का प्राचीन इतिहास अत्यधिक समृद्ध था। लेकिन, समय के साथ कई महत्वपूर्ण जानकारियां खो गईं। आजादी के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इन धरोहरों को संरक्षित करने के लिए लगातार प्रयास हो रहे हैं। रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डों पर पेंटिंग और कला के माध्यम से राज्यों की संस्कृति की झलक प्रस्तुत की जा रही है, जिससे यात्रियों को इन राज्यों की सांस्कृतिक विशेषताओं से परिचित होने का अवसर मिलता है।
सांस्कृतिक नृत्य और प्रदर्शन
कार्यक्रम में उत्तर मध्य सांस्कृतिक क्षेत्र प्रयागराज, संस्कृति विभाग और भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय, लखनऊ के कलाकारों द्वारा तमिलनाडु और कर्नाटक के लोक नृत्य प्रस्तुत किए गए। इनमें कर्नाटक के सुग्गी, करगा और तमिलनाडु के कोलाट्टम, भरतनाट्यम, शिवतांडव जैसे नृत्य शामिल थे। इन नृत्यों ने दर्शकों के मन में गहरी छाप छोड़ी।
प्रदर्शनी और रंगोली का आयोजन
कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल ने कर्नाटक और तमिलनाडु की संस्कृति, खान-पान, परिधान और प्रमुख स्थलों पर आधारित प्रदर्शनी का अवलोकन किया। इसके साथ ही रंगोली की सुंदर प्रस्तुतियां भी की गईं, जो इन राज्यों की सांस्कृतिक सुंदरता को और अधिक प्रभावशाली बना रहीं थीं।
विश्वविद्यालयों के विद्यार्थी हुए आयोजन में शामिल
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव राज्यपाल डॉ. सुधीर महादेव बोबडे, एडीजी रेलवे प्रकाश डी, एडीजी सीबीसीआईडी एलवी एंटोनी, आईजी कानून व्यवस्था एलआर कुमार और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। इसके अलावा, लखनऊ के विभिन्न विश्वविद्यालयों के विद्यार्थी भी इस आयोजन में शामिल हुए।
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