केजीएमयू में मरीज की मौत : ब्रजेश पाठक ने लौटाई रिपोर्ट, सवालों के घेरे में डॉक्टर को क्लीन चिट देने वाली जांच कमेटी

ब्रजेश पाठक ने लौटाई रिपोर्ट, सवालों के घेरे में डॉक्टर को क्लीन चिट देने वाली जांच कमेटी
UPT | केजीएमयू में लारी कार्डियोलॉजी में अबरार अहमद का वीडियो हुआ था वायरल

Dec 04, 2024 13:27

डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने भी इस पर नाराजगी जताते हुए रिपोर्ट को वापस भेज दिया है। ऐसे में ये मामला केजीएमयू प्रशासन के गले की हड्डी बन रहा है। मृतक के परिजनों के साथ डिप्टी सीएम ने भी इस पर जिस तरह से सवाल खड़े किए हैं, उससे जांच कमेटी भी संदेह के घेरे में आ गई है।

Dec 04, 2024 13:27

Lucknow News : किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के हृदय रोग विभाग (लारी कार्डियोलॉजी) में मरीज की मौत के मामले में आरोपी डॉक्टर को जांच में क्लीन चिट दिए जाने पर सवाल उठ रहे हैं। बीती 24 नवंबर की रात में मरीज की मौत हो गई थी। इससे पहले उसका इलाज के लिए डॉक्टरों के हाथ जोड़ते वीडियो वायरल हुआ था। मामले में परिजनों ने इलाज नहीं करने और अभद्र व्यवाहर की शिकायत की थी। अब संबंधित  डॉक्टर को क्लीन चिट दिए जाने पर डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने भी रिपोर्ट पर सवाल उठाए हैं।

परिजनों ने जबरन रेफर किए जाने का लगाया आरोप
उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के निर्देश पर केजीएमयू की जांच कमेटी ने चार दिन में रिपोर्ट तैयार कर उन्हें सौंप दी है। हालांकि, इस पर डिप्टी सीएम ने ही सवाल खड़े किए हैं। उधर मृतक के परिजनों ने भी रिपोर्ट में डॉक्टर को क्लीन चिट दिए जाने को गलत बताया है। उनका कहना है वह शुरुआत से इस मामले में लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं। मरीज के साथ अभद्रता की गई। इसका वीडियो तक सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, जिस पर सभी ने देखा। इसके बाद भी जबरन रेफर किए जाने और ठीक से इलाज नहीं किए जाने के बावजूद क्लीन चिट दिया जाना अपने आप में कई सवाल पैदा कर रहा है।

 

डिप्टी सीएम ने रिपोर्ट वापस भेजकर पूछे सवाल
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने भी इस पर नाराजगी जताते हुए रिपोर्ट को वापस भेज दिया है। ऐसे में ये मामला केजीएमयू प्रशासन के गले की हड्डी बन रहा है। मृतक के परिजनों के साथ डिप्टी सीएम ने भी इस पर जिस तरह से सवाल खड़े किए हैं, उससे जांच कमेटी भी संदेह के घेरे में आ गई है। बताया जा रहा है कि डिप्टी सीएम ने सवाल किया है कि ऐसा किया किया जाता जिससे मरीज की जान बच जाती। उन्होंने तत्कालीन परिस्थिति में बेहतर किए जाने की कोशिशों पर सवाल जवाब किया है। उन्होंने कहा कि मेडिकल प्रोटोकॉल के तहत क्या कुछ किया जाना चाहिए था और अगर दूसरे विभाग में वेंटिलेटर मौजूद थे तो मरीज को इतनी गंभीर हालत में अन्य संस्थान में रेफर क्यों किया गया। 

मृतक के बेटे ने रिपोर्ट के दावों को झूठा करार दिया
उधर मृतक अबरार अहमद के बेटे सैफ ने कहा है कि उनके पिता की मौत के लिए केजीएमयू प्रशासन ही जिम्मेदार है। अगर उन्होंने लापरवाही नहीं बढ़ती होती तो उनके पिता की जान बचाई जा सकती थी। ऐसे में डॉक्टर को क्लीन चिट दिया जाना बिल्कुल सही नहीं है। मामले में देशों पर जरूर कार्रवाई होनी चाहिए। केजीएमयू की जांच रिपोर्ट में परिजनों के मरीज को रेफर कराने की बात कही गई है। इस पर परिजनों ने इसे गलत ठहराते हुए कहा है कि उन्हें जबरन दूसरे चिकित्सा संस्थान भेजा गया। यह बात अगर वहां लगे सीसीटीवी फुटेज की रिकॉर्डिंग देखी जाए, तो उससे भी साफ हो सकती है। 

जांच कमेटी के सामने बेटे ने दर्ज कराए बयान
सैफ ने कहा कि वह खुद जांच कमेटी के सामने पेश हुआ, जिसमें 5 से 6 डॉक्टर मौजूद थे। उसने उन्हें पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी। खून की उल्टी की बात बताई। यहां तक की जांच टीम के डॉक्टर बीके ओझा ने भी माना कि ऐसी हालत में कभी-कभी ब्लड आ जाता है। जांच रिपोर्ट के मुताबिक करीब सात साल पहले मरीज की एंजियोप्लास्टी हुई थी। यह भी गलत है, क्योंकि उसके पिता की एंजियोप्लास्टी 2022 में हुई थी। 

मरीज की हालत अचानक बिगड़ी
सैफ के अनुसार, इसके बाद उसके पिता पूरी तरह से ठीक थे। 24 नवंबर की रात वह खुद लॉरी कार्डियोलॉजी में मोटरसाइकिल चलाकर पहुंचे थे। यहां आने से पहले उन्होंने करीब 9 किलोमीटर का सफर किया और उसके बाद लॉरी आए। इससे एक दिन पहले वह शाम को पार्टी में भी शामिल हुए थे। तब तक वह पूरी तरह से ठीक थे और उन्हें किसी भी तरह की कोई दिक्कत नहीं थी। ऐसे में अचानक उन्हें हार्ट फेल की कंडीशन बता दिया जाना कहां तक सही है। इस मामले में निष्पक्ष जांच के बाद ही पूरी तरह से सच सामने आ सकेगा और दोषी डॉक्टर कार्रवाई जरूर की जानी चाहिए। 

केजीएमयू ने अपनी रिपोर्ट में दी सफाई
उधर केजीएमयू की जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि मरीज की पहले से ही गंभीर दिल की बीमारी की हिस्ट्री थी। रेगुलर चेकअप नहीं होने के कारण हालात बिगड़े थे। अचानक मरीज की स्थिति क्रिटिकल हो गई, जिसके बाद उन्हें लारी कार्डियोलॉजी लाया गया। केजीएमयू की रिपोर्ट में कहा गया है कि जब जब मरीज लारी कार्डियोलॉजी में लाया गया तो उसका ऑक्सीजन लेवल डाउन हो रहा था और उसकी हालत बिगड़ रही थी। ऐसे में उसे तत्काल राहत देते हुए प्रारंभिक इलाज किया गया और वेंटिलेटर सपोर्ट देने की बात कही गई। उस वक्त मौके पर लारी कार्डियोलॉजी में वेंटिलेटर खाली नहीं था, इस वजह से मरीज को दूसरे संस्थान में ले जाने को कहा गया। 

परिजनों पर मुकरने का आरोप
जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि लोहिया संस्थान में रेफर करने के लिए परिजनों ने ही हामी भरी थी। इसके बाद ही पेपर तैयार किए गए और मौके पर एंबुलेंस भी बुलाई गई। बाद में परिजन मरीज को ले जाने से मुकर गए और वह केजीएमयू में ही इलाज करने का दबाव बनाने लगे। इस दौरान उन्होंने अपने कई रिश्तेदारों को भी बुला लिया और हंगामा खड़ा किया। इससे माहौल बिगड़ गया। केजीएमयू प्रशासन ने इलाज में किसी भी तरह की लापरवाही से इनकार किया है। अब डिप्टी सीएम के रुख के बाद आगे की कारवाई भी सबकी नजरें टिकी हैं।

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