जुलाई की शुरुआत से ही लखीमपुर की कई तहसीलें जलमग्न हैं। इसमें निघासन, पलियाकलां, धौरहरा शामिल हैं। सदर के फूलबेहड़ और नकहा इलाका भी बाढ़ की चपेट में है। लेकिन बीते कुछ दिनों से हालात बदतर हो गए हैं।
लखीमपुर में बाढ़ से हालात खराब : घरों में घुसा पानी, सरकारी इंतजाम भी फेल, 24 घंटे में सिर्फ एक बार मिल रहा खाना
Sep 18, 2024 10:49
Sep 18, 2024 10:49
- लखीमपुर में बाढ़ से हालात खराब
- घरों में घुस गया बाढ़ का पानी
- प्रशासन कर रहा मदद का दावा
लखीमपुर की कई तहसीलें जलमग्न
जुलाई की शुरुआत से ही लखीमपुर की कई तहसीलें जलमग्न हैं। इसमें निघासन, पलियाकलां, धौरहरा शामिल हैं। सदर के फूलबेहड़ और नकहा इलाका भी बाढ़ की चपेट में है। लेकिन बीते कुछ दिनों से हालात बदतर हो गए हैं। जिले के करीब 250 गांव बाढ़ से जूझ रहे हैं। प्रशासन मदद पहुंचाने के बड़े-बड़े दावे कर रहा है, लेकिन हकीकत ये है कि पीड़ितों के पास 24 घंटे में मात्र एक बार खाना पहुंच रहा है।
कम पड़ रहे खाने के पैकेट
प्रशासन की तरफ से जो खाने के पैकेट दिए जा रहे हैं, उसमें भी केवल 6 पूड़ियां, सब्जी और अचार होता है। लोगों की संख्या इतनी ज्यादा है कि कुछ लोगों को ही खाना नसीब हो पा रहा है। कई लोग भूखे ही रह रहे हैं। गांव की गलियों से लेकर मुख्य सड़क और यहां तक की घरों में भी बाढ़ का पानी भरा हुआ है। घरों में रखे अनाज सड़ गए हैं। लोग घर की छतों या ऊंची जगहों पर रहने को मजबूर हैं। शारदा नदी की उफान से पैदा हुए ये हालात सिर्फ इस बार के नहीं, हर साल की स्थिति है।
घरों में घुस गया बाढ़ का पानी
पलिया, निघासन, फूलबेहड़, बिजुआ और धौरहरा क्षेत्र के बाढ़ प्रभावित गांवों में लोग गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं। घरों में पानी भरने से लोग छतों और सड़कों पर जीवन यापन कर रहे हैं। बाढ़ पीड़ितों को भोजन, पानी और अन्य आवश्यकताओं के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है, जबकि पलिया-भीरा मार्ग पर आवागमन अब भी बाधित है। हालांकि कुछ बाइक चालक जोखिम उठाकर इस मार्ग से गुजर रहे हैं, लेकिन बाढ़ ने जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है।
रास्तों पर चल रही नाव
निघासन तहसील के गांवों में स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। गोतेबाज पुरवा के निवासी छतों पर और बस्तीपुरवा के लोग सड़क किनारे पड़े हैं, उनकी परेशानियों का कोई समाधान नहीं हो रहा। शारदा नदी का जल स्तर तेजी से बढ़ रहा है, जिससे गांवों में पानी भर गया है। रास्तों पर नावों के अलावा कोई परिवहन साधन उपलब्ध नहीं है। बरोठा के मजरा बस्तीपुरवा में भी लोग तीन दिनों से बाढ़ के बीच फंसे हुए हैं, और भोजन के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
प्रशासन कर रहा मदद का दावा
एसडीएम राजीव निगम के अनुसार, तहसील क्षेत्र के 19 गांव जलमग्न हैं, लेकिन प्रशासनिक सहायता कम होने के कारण पीड़ितों को राहत नहीं मिल रही है। पिछले वर्ष भी बाढ़ प्रभावित गांवों की संख्या अधिक थी, लेकिन प्रशासन ने केवल 19 गांवों की रिपोर्ट शासन को भेजी। डीएम दुर्गा शक्ति नागपाल ने आश्वासन दिया है कि सभी प्रभावित गांवों में भोजन पैकेट और अन्य राहत सामग्री भेजी जा रही है, और अगर किसी गांव को सहायता नहीं मिली है, तो वह जल्द ही उपलब्ध कराई जाएगी।
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