लखनऊ के अकबरनगर में 10 जून से एलडीए का बुलडोजर चल रहा है। अब तक 870 घरों को तोड़ा जा चुका है। अकबरनगर के लोगों के चेहरों पर निराशा है। लोगों का कहना है कि उनके घर नहीं बल्कि उनकी जिदंगी जा रही है...
अतीत बन जाएंगी अकबरनगर की सघन बस्तियां : LDA ने अब तक 870 आशियानों को ढहाया, पढ़िए बुलडोजर से जंग की पूरी कहानी...
Jun 16, 2024 23:40
Jun 16, 2024 23:40
- अकबरनगर रविवार रात के बाद बन जाएगा अतीत
- हजारों लोगों ने छोड़ा अपना आशियाना
- विस्थापन बना लोगों की मजबूरी
10 जून से चल रहा है काम
लखनऊ में कुकरैल रिवर फ्रंट के दायरे में आए अकबरनगर में अवैध मकानों को 10 जून से तोड़ना शुरू किया गया। पहले से ही कुल 1068 अवैध आवासीय निर्माण चिह्नित किए हुए थे। एलडीए ने सोमवार को अकबरनगर द्वितीय से अवैध आवासीय निर्माणों को तोड़ना शुरू किया। इसके बाद प्रथम को तोड़ा गया। सोमवार से शनिवार तक 870 घरों को तोड़ा जा चुका है। अनुमान लगाया जा रहा है कि रविवार की शाम तक सभी अवैध घरों को तोड़ने का काम पूरा कर लिया जाएगा। इस अभियान की कमान लखनऊ विकास प्राधिकरण के वीसी डॉक्टर इंद्रमणि त्रिपाठी ने संभाल रखी है।
रविवार की रात कर सभी मकान ध्वस्त
मकानों को दो शिफ्टों में तोड़ा जा रहा है। पहली शिफ्ट सुबह 7 बजे से दोपहर 12 बजे तक की है और दूसरी शिफ्ट दोपहर 3 से रात 8 बजे तक की है। वहीं अधिकारियों का कहना है कि मकानों के मलबे को हटाने में कम से कम 15 दिन का समय लग सकता है। अकबरनगर द्वितीय के सभी घरों को तोड़ा जा चुका है। वहीं प्रथम के घर रविवार की शाम तक निपट जाएंगे। अकबरनगर रविवार रात के बाद अतीत बन जाएगा।
लोगों के चेहरों पर मायूसी
अकबरनगर के स्थानीय लोगों का कहना है कि नोटिस मिलने के अगले दिन घरों पर बुलडोजर चलना शुरू हो गया था। घर का सामान चारों तरफ बिखरा पड़ा था। लोगों को आनन-फानन में पलायन करना पड़ा। अकबरनगर सेकेंड की लाइट और पानी कनेक्शन पहले काटा गया क्योंकि पहले बुलडोज़र इधर ही चला। 13 जून को अकबरनगर प्रथम में सुबह बिजली कनेक्शन काट दिया गया, जबकि यहाँ के लोग पैकिंग करने में लगे थे। इस भीष्ण गर्मी में लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा।
लखनऊ के कुकरैल नदी के किनारे पड़ने वाले इलाके में चल रहे ध्वस्तीकरण अभियान के ड्रोन दृश्य, कुकरैल नदी को पुनर्जीवित करने और इसे गुजरात के अहमदाबाद में साबरमती रिवरफ्रंट की तर्ज पर विकसित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
— Uttar Pradesh Times (@UPTimesLive) June 16, 2024
स्रोत: लखनऊ विकास प्राधिकरण@LkoDevAuthority @myogiadityanath… pic.twitter.com/NOPHL8CgQl
मजबूरन बुलडोज़र चलाना पड़ा
वहीं दूसरी तरफ प्रशासन का कहना है कि लोगों को पर्याप्त समय दिया गया लोगों ने खाली नहीं किया इसलिए मजबूरन बुलडोज़र चलाना पड़ा। लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डॉ इंद्रमणि त्रिपाठी ने बीबीसी हिंदी से बात करते हुए कहा कि 'लोगों को शिफ्ट करने थोड़ी परेशानी तो होती ही है। बसंत कुंज में फ्लैट में किसी तरह की कोई कमी नहीं है। लाइट, पानी सब बेहतर इंतजाम हैं। अकबरनगर में रहने वाले परिवारों ने 29 अप्रैल तक 1,818 आवेदन किए थे. उसमें 1806 परिवारों को पीएम आवास योजना के तहत घर उपलब्ध करा दिया गया है. 12 लोगों के दस्तावेजों की जांच हो रही है।'
कहां हैं पीएम आवास योजना के फ्लैट
अकबरनगर से लगभग 13 किलोमीटर दूर लखनऊ से हरदोई जाने वाली सड़क पर स्थित बसंत कुंज योजना सेक्टर आई में पीएम आवास योजना- शहरी में आवंटन किए गए हैं। इन फ़्लैट्स की कीमत चार लाख 79 हजार रुपये है, एक परिवार को 10 साल में किश्तों में रकम चुकानी पड़ेगी।
फ्लैटों में बिजली और पानी का कनेक्शन नहीं
लोगों का कहना है कि उन्हें पलायन करने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ा है। इस बीच मदरसे को भी तोड़ा गया है जिसके कारण बच्चों की पढ़ाई छूट गई है। बसंत कुंज में दिए गए फ्लैटों में बिजली और पानी का कनेक्शन नहीं है। मीडिया से बात करते हुए लोगों का कहना है कि वह इतने साल से यहां पर रह रहे हैं। अगर यह इलाका अवैध ही था तो सरकार द्वारा यहां पर विकास क्यों किया गया। सोलर लाइट और सड़क इंटरलॉक क्यों कराई गईं। कुछ लोगों को फ्लैटों में रहने में दिक्कतें हो रही हैं। बड़े परिवारों को छोटे फ्लैटों में रहने में परेशानी हो रही है।
इलाहाबाद कोर्ट से थी उम्मीद
दरअसल साल 2023 के अंत में कुकरेल रिवरफ्रंट को विकसित करने के लिए अकबरनगर बस्ती के 1400 अवैध निर्माणों को नोटिस दिया गया। वहां के निवासियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी जिसका जवाब आना बाकी थी। हजारों लोगों की उम्मीदें हाईकोर्ट से जुड़ी थी। लेकिन इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने प्रशासन के पक्ष में फैसला दिया। 10 मार्च, 2024 को कुछ दुकानें तोड़ी गईं। लेकिन फिर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला सरकार के पक्ष में आया और यहाँ बने मकानों को अवैध बताया। इस आदेश में तीन महीने का वक़्त दिया गया तब तक आचार संहिता लग गई और यह काम रुक गया था। चुनाव के तुरंत बाद आचार संहिता हटी और 10 जून सुबह 7 बजे से बुलडोज़र चलने शुरू हो गए।
सुप्रीम कोर्ट ने किया किनारा
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हाईकोर्ट के फैसले पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया। जिसके बाद हजारों लोगों की उम्मीद टूट गई। यह फैसला न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने लिया। पीठ ने कहा कि वह इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले से सहमत है कि कॉलोनी का निर्माण बाढ़ क्षेत्र पर किया गया है और याचिकाकर्ताओं के पास कोई दस्तावेज या स्वामित्व नहीं है। पीठ ने कहा, कॉलोनी को बेदखल करने और ध्वस्त करने के इस मामले में हम आक्षेपित फैसले में हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं। क्योंकि प्रभावित लोगों को वैकल्पिक आवास मिल रहा है।
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