अमेरिका जाएगा कूड़े में मिला बच्चा : नामी कंपनी के सीईओ ने लिया गोद, अब ये नियम पूरे करने होंगे

नामी कंपनी के सीईओ ने लिया गोद, अब ये नियम पूरे करने होंगे
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Jan 07, 2025 17:54

अमेरिका की एक प्रतिष्ठित कंपनी के सीईओ ने उस बच्चे को गोद ले लिया है। गोद लेने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और प्रशासन की मंजूरी भी मिल गई है। अब बच्चे के पासपोर्ट बनवाने का काम जारी...

Jan 07, 2025 17:54

Lucknow News : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में तीन वर्ष पूर्व कूड़े के ढेर में मिले एक नन्हे बच्चे का जीवन अब एक नई दिशा में जा रहा है। उस बच्चे का नाम विवेक (बदला हुआ नाम) है। जिसे एक बड़े अमेरिकी कंपनी के सीईओ ने गोद ले लिया है। यह मामला भारत और अमेरिका के बीच एक अद्भुत संबंध की कहानी है। जिसमें न केवल एक बच्चे की जिंदगी बदल रही है, बल्कि एक परिवार को भी एक नया सदस्य मिल रहा है। नियति ने उस बच्चे के लिए एक असाधारण भविष्य लिख रखा था। वहीं, अब बच्चा अमेरिका में अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करने जा रहा है।

अमेरिकी सीईओ ने लिया गोद
दरअसल, अमेरिका की एक प्रतिष्ठित कंपनी के सीईओ ने उस बच्चे को गोद ले लिया है। गोद लेने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और प्रशासन की मंजूरी भी मिल गई है। अब बच्चे के पासपोर्ट बनवाने का काम जारी है। जैसे ही पासपोर्ट बनकर तैयार होगा, बच्चा अमेरिका के लिए रवाना हो जाएगा। जहां उसकी पढ़ाई-लिखाई और परवरिश एक बेहतर माहौल में होगी। 


विवेक की अनोखी कहानी
विवेक की कहानी तीन वर्ष पहले शुरू हुई, जब वह एक नौनिहाल था और उसे कूड़े के ढेर में फेंक दिया गया था। किस्मत ने इसे और बदल दिया। जब उसे एक शिशु संरक्षण गृह में ले जाया गया। वहां पर उसके जीवन की नई शुरुआत हुई। संरक्षण गृह में रहने के दौरान विवेक को प्यार और देखभाल मिली और अब उसे एक नया परिवार मिलने की उम्मीद है।

गोद लेने की प्रक्रिया
अधिकारियों के अनुसार, अमेरिका के एक दंपति ने विवेक को गोद लेने के लिए आवेदन किया था। गोद लेने वाले दंपति में से पति एक बड़ी कंपनी के सीईओ हैं। उन्होंने अपनी पत्नी के साथ कई बार लखनऊ यात्रा की, जहां उन्होंने विवेक के बारे में जानकारी जुटाई। इस प्रक्रिया में उनके समर्पण और विवेक के प्रति उनके प्यार ने न केवल प्रशासन को प्रभावित किया, बल्कि यह भी साबित किया कि विवेक के लिए एक सुरक्षित और प्यार भरा घर मिल रहा है।

जानिए देश में गोद लेने के क्या है नियम
दत्तक पुत्र अधिनियम : दत्तक पुत्र अधिनियम जिसे भारतीय दत्तक ग्रहण अधिनियम (1956) के तहत नियंत्रित किया जाता है। एक कानूनी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से किसी व्यक्ति को अन्य व्यक्ति का कानूनी और सामाजिक रूप से पुत्र माना जाता है। इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि दत्तक पुत्र को सभी कानूनी अधिकार प्राप्त हों। जो कि किसी अन्य वास्तविक पुत्र को मिलते हैं। इस अधिनियम के तहत एक व्यक्ति या दंपत्ति को किसी अन्य व्यक्ति को दत्तक लेने का अधिकार होता है और यह प्रक्रिया एक कानूनी रूप से निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार की जाती है। दत्तक पुत्र अधिनियम में यह भी तय किया गया है कि दत्तक पुत्र को अपनी दत्तक देने वाली पारिवारिक संपत्ति पर पूर्ण अधिकार होगा और उसे उसी तरह के अधिकार मिलेंगे जैसे किसी वास्तविक पुत्र को मिलते हैं।
  • कानूनी प्रक्रिया : दत्तक पुत्र को अपनाने के लिए कानूनी प्रक्रिया में कोर्ट की मंजूरी शामिल होती है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दत्तक ग्रहण पूरी तरह से वैध है। 
  • संपत्ति अधिकार : दत्तक पुत्र को उसी प्रकार के संपत्ति अधिकार मिलते हैं, जैसे एक जैविक पुत्र को।
  • परिवार का समर्थन : दत्तक पुत्र को उसके दत्तक परिवार से उचित देखभाल और सहायता प्राप्त होती है और उसे परिवार के सदस्य के रूप में माना जाता है।

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