डॉ. शैलेंद्र भटनागर ने बताया कि इलाज शुरू करने के शुरुआती दो महीनों में 80 प्रतिशत बैक्टीरिया मर जाते हैं और मरीज खुद को स्वस्थ महसूस करने लगता है, जिसके कारण वह इलाज बंद कर देता है। हालांकि, शेष 20 प्रतिशत बैक्टीरिया को खत्म करने के लिए इलाज का कोर्स पूरा करना अनिवार्य है।
Tuberculosis : फेफड़े का टीबी मरीज एक साल में बना सकता है 15 नए रोगी, कम्युनिटी रेडियो के जरिए भ्रांतियां दूर करने पर जोर
Jan 20, 2025 18:40
Jan 20, 2025 18:40
भारत में सबसे ज्यादा टीबी मरीज
डॉ. भटनागर ने कहा कि राज्य सरकार का 100 दिवसीय सघन टीबी अभियान का मुख्य उद्देश्य अधिक से अधिक टीबी के लक्षण वाले मरीजों की पहचान करना, टीबी से मृत्यु दर को कम करना और संक्रमण को रोकना है। उन्होंने रेडियो प्रतिनिधियों को बताया कि फेफड़े के टीबी के मरीज, यदि इलाज न कराएं तो एक साल में 15 नए लोगों को संक्रमित कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि भारत में दुनिया के सबसे ज्यादा टीबी मरीज हैं। यह बीमारी महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को अधिक प्रभावित करती है। कमजोर प्रतिरोधक क्षमता के कारण इन वर्गों में संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है। साथ ही, महिलाओं में बांझपन का एक मुख्य कारण टीबी हो सकता है। रेडियो के माध्यम से इस जानकारी को समाज के हर कोने तक पहुंचाना बेहद जरूरी है।
इलाज छोड़ने की समस्या और समाधान
एक प्रतिभागी ने पूछा कि टीबी के मरीज अक्सर बीच में इलाज क्यों छोड़ देते हैं और उन्हें वापस इलाज के लिए कैसे प्रेरित किया जा सकता है। इसके जवाब में डॉ. भटनागर ने बताया कि इलाज शुरू करने के शुरुआती दो महीनों में 80 प्रतिशत बैक्टीरिया मर जाते हैं और मरीज खुद को स्वस्थ महसूस करने लगता है, जिसके कारण वह इलाज बंद कर देता है। हालांकि, शेष 20 प्रतिशत बैक्टीरिया को खत्म करने के लिए इलाज का कोर्स पूरा करना अनिवार्य है। इलाज छोड़ने से बीमारी ड्रग रजिस्टेंट हो जाती है, जो इलाज को और कठिन बना देती है। मरीजों को वापस इलाज में लाने के लिए सुपरवाइजर उनकी काउंसलिंग करते हैं और उन्हें प्रेरित करते हैं।
टीबी विजेताओं की कहानियां बनी प्रेरणा, निक्षय पोषण योजना की जानकारी का प्रचार
बैठक में टीबी के लक्षणों, इलाज की उपलब्धता और मिथकों को तोड़ने पर जोर दिया गया। इसके साथ ही, टीबी विजेताओं की प्रेरणादायक कहानियां सुनाई गईं, ताकि लोग समझ सकें कि सही इलाज से यह बीमारी पूरी तरह ठीक हो सकती है। डॉ. भटनागर ने सामुदायिक रेडियो को सरकारी योजनाओं, जैसे निक्षय पोषण योजना, की जानकारी को प्रसारित करने के लिए प्रेरित किया। इस योजना के तहत टीबी मरीजों को इलाज के दौरान पोषण सहायता के रूप में धनराशि प्रदान की जाती है।
स्थानीय भाषाओं और गीतों का उपयोग करें
डॉ. भटनागर ने कहा कि सामुदायिक रेडियो स्थानीय भाषाओं, गीतों और पैनल चर्चाओं के माध्यम से टीबी जागरूकता के संदेशों को अधिक प्रभावी ढंग से फैला सकते हैं। यह विधि ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाले लोगों तक पहुंचने के लिए बेहद कारगर होगी।
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