मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने का चलन खास है। पुराने लखनऊ में इस दिन आकाश में रंग-बिरंगी पतंगें उत्सव के माहौल को और भी खुशनुमा बना देती हैं। त्योहार की तैयारियों के तहत चावल, तिल, गुड़ और पतंगों की खरीदारी जोर-शोर से जारी है।
मकर संक्रांति पर बाजार में रौनक : तिल के लड्डुओं और गुड़ के दाम में इजाफा, पतंगों से पटा दिखेगा लखनऊ का आसमान
Jan 13, 2025 11:59
Jan 13, 2025 11:59
मकार संक्राति पर दान और पुण्य का महत्व, बाजार में तिल और गुड़ की बढ़ी मांग
मकर संक्रांति पर दान-पुण्य का विशेष महत्व है। इस दिन तिल, गुड़, कपड़े, अन्न, और धन का दान करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन दान करने से कई जन्मों के पाप मिट जाते हैं। विशेष रूप से गंगा स्नान और सूर्य को जल अर्पित करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ से बनी मिठाइयों का सेवन और वितरण किया जाता है। यह परंपरा न केवल मिठास का प्रतीक है, बल्कि ठंड के मौसम में ऊर्जा प्रदान करने का भी माध्यम है। तिल और गुड़ से बने लड्डू, गजक, और रेवड़ी खाने से शरीर गर्म रहता है। साथ ही यह आपसी प्रेम और सौहार्द का प्रतीक है।
खिचड़ी का सांस्कृतिक महत्व
इस पर्व पर खिचड़ी पकाने और खाने की परंपरा भी है। यह व्यंजन सादगी और समर्पण का प्रतीक माना जाता है। मूंग दाल और चावल से बनी खिचड़ी में घी और तिल का तड़का डालकर इसे खास बनाया जाता है। यह न केवल स्वादिष्ट होती है, बल्कि इसे पचाना भी आसान है, जो सर्दियों में सेहत के लिए फायदेमंद है। लखनऊ के मंदिरों और सामाजिक संगठनों द्वारा खिचड़ी भोज का आयोजन किया जा रहा है। अमीनाबाद स्थित ब्रह्मेश्वर शनि मंदिर और दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर में खिचड़ी का वितरण किया जाएगा।
पुराने लखनऊ में पतंगबाजी की परंपरा
मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने का चलन खास है। पुराने लखनऊ में इस दिन आकाश में रंग-बिरंगी पतंगें उत्सव के माहौल को और भी खुशनुमा बना देती हैं। पतंग उड़ाना केवल मनोरंजन नहीं है, बल्कि यह जीवन में ऊंचाई तक पहुंचने के संदेश का प्रतीक है। इस बार पतंगबाजी के कई आयोजन किए जा रहे हैं।
अलग-अलग राज्यों में मकर संक्रांति, सूर्य उपासना से जुड़ी मान्यताएं
देश के विभिन्न राज्यों में मकर संक्रांति अलग-अलग नामों से मनाई जाती है। उत्तर भारत में इसे खिचड़ी पर्व कहा जाता है, तो दक्षिण भारत में यह पोंगल के रूप में मनाया जाता है। महाराष्ट्र में तिल-गुड़ बांटकर 'तिळगुळ घ्या आणि गोड बोला' की परंपरा निभाई जाती है। गुजरात और राजस्थान में पतंगबाजी का जोश देखने लायक होता है।धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि से मिलने जाते हैं। इसे पिता-पुत्र के संबंधों को सुदृढ़ करने का प्रतीक माना जाता है। मकर संक्रांति पर सूर्य देव को अर्घ्य देने से सभी कष्टों का निवारण होता है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
लखनऊ में तिल और चावल की मांग में जबरदस्त इजाफा
लखनऊ में मकर संक्रांति को लेकर प्रमुख बाजार जैसे हजरतगंज, अमीनाबाद और चौक में खासा उत्साह देखा जा रहा है। त्योहार की तैयारियों के तहत चावल, तिल, गुड़ और पतंगों की खरीदारी जोर-शोर से जारी है। हर ओर रंग-बिरंगी पतंगों की दुकानें, तिल-गुड़ के लड्डुओं की महक और चावल की विभिन्न किस्में त्योहार की उमंग को बढ़ा रही हैं। व्यापारियों के मुताबिक, इस बार तिल और चावल की मांग में जबरदस्त इजाफा हुआ है। व्यापारी बताते हैं कि लोग बासमती और कामिनी भोग चावल को ज्यादा पसंद कर रहे हैं। इसके साथ ही तिल-गुड़ के लड्डू और गजक की दुकानें ग्राहकों से भरी पड़ी हैं। तिल के लड्डुओं की कीमत 300 से 350 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई है, जबकि रामदाना लड्डू 200 रुपये और लइया के लड्डू 100 रुपये प्रति किलो में बिक रहे हैं।
स्नान और दान का महापुण्यकाल
पंडित गणेशदत्त त्रिपाठी के अनुसार, मकर संक्रांति का पुण्यकाल 14 जनवरी की सुबह 6:58 बजे से शुरू होकर 15 जनवरी की सुबह 6:58 बजे तक रहेगा। इस दौरान स्नान, दान और सूर्य को जल अर्पित करना अत्यंत शुभ माना गया है। इस महापुण्यकाल में किए गए धार्मिक कार्यों से मनोकामनाएं पूर्ण होने का विश्वास है। पंडित जी बताते हैं कि इस बार का संक्रांति मुहूर्त विशेष फलदायी है और गंगा स्नान या तीर्थों पर जाकर दान करने से पुण्य की प्राप्ति होगी।
Also Read
13 Jan 2025 10:29 PM
ठाकुरगंज के गुलाल घाट इलाके में सोमवार रात पुलिस और बदमाशों के बीच मुठभेड़ हुई। इस दौरान एक बदमाश करण उर्फ कल्लू को पैर में गोली लगने के बाद गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस के मुताबिक, आरोपी ने वजीरगंज इलाके में मुनीम से लूट की घटना को अंजाम दिया था। और पढ़ें