अवध की शाम शुक्रवार को पजाबी रंग में तब रंगी जब लोकगायक मास्टर सलीम ने अपने सुरों का जलवा बिखेरा। मौका था सोनचिरैया फाउंडेशन की ओर से आयोजित चौथे देशज कार्यक्रम का।
पंजाबी रंग में रंगी अवध की शाम : मास्टर सलीम ने बिखेरा सुरों का जादू, दमा दम मस्त कलंदर गीत पर झूमे दर्शक
Nov 22, 2024 22:10
Nov 22, 2024 22:10
- पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने 'चलो चले कुम्भ चले' गीत से किया महाकुंभ के लिए भक्तों का आवाह्न
- प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने किया देश का उद्घाटन
पंजाबी गायक ने मचाया धमाल
इस मौके पर पंजाबी गायक मास्टर सलीम ने अपने सुरों का जादू बिखेरते हुए संगीत प्रेमियों का दिल जीता। उन्होंने एक से बढ़कर एक गाने गाकर खूब रंग जमाया। मास्टर सलीम ने 'जुगनी, 'दमा दम मस्त कलंदर', और 'छाप तिलक' गाीतों से देशज में धमाल मचाया। इन गानों की धुन और मास्टर सलीम की गायकी ने ऐसा रंग जमाया कि श्रोता उनका हर शब्द, हर सुर, हर लय में खो गए।
मटकी लोकनृत्य ने मोहा मन
इससे पहले कार्यक्रम की शुरुआत मालवा के मटकी लोकनृत्य से हुआ। इसमें हीरामणि वर्मा, खुशी चौहान बाबूलाल देवड़ा, सीमा कुशवाहा सहित कई कलाकारों ने पारम्परिक परिधान और छाता लेकर 'सायबा म्हारो लाइ करण फूल झुमको' जैसे गीतों पर मनमोहक प्रस्तुति दी। इस पारम्परिक लोकनृत्य में मध्य प्रदेश में शादी ब्याह के उत्साह को प्रदर्शित किया गया। इसके बाद मालिनी अवस्थी ने पाई डंडा कला के बारे में बताया। उन्होंने दर्शकों की डिमांड पर 'मंगल भवन अमंगलहारी' चौपाई से शुरुआत करते हुए मानस की चौपाइयों पर एक विशेष प्रस्तुति दी। अपनी प्रस्तुति में उन्होंने दर्शकों को भी चौपाइयां गाने का अवसर दिया।
20 मिनट की विशेष प्रस्तुति
सांस्कृतिक कार्यक्रमों की कड़ी में मैत्रेयी पहाड़ी के निर्देशन में दो दिन में होने वाली प्रस्तुतियों की एक झलक 20 मिनट की विशेष प्रस्तुति में दिखाई गई। इस प्रस्तुति की शुरुआत कथक और उड़ीसा के छउ नृत्य के मिश्रित नृत्य के द्वारा हुई। जिसमें कलाकारों ने शिव स्तुति 'गिरीशं गणेशं गले नीलकण्ठं' पर प्रस्तुति दी। इस प्रस्तुति में समुद्र मंथन की कथा को दिखाया गया। इन कलाकारों के पीछे हरियाणा के कलाकारों ने भी फाग नृत्य की प्रस्तुति दी। इसकी खास बात यह रही कि कथक के बोलों पर सभी लोकनृत्य प्रस्तुत किये गए।
मालिनी अवस्थी के साथ कलाकारों की खास प्रस्तुति
इसके बाद सभी कलाकारों ने लोक गायिका मालिनी अवस्थी के साथ उनके नए गीत 'चलो चले कुम्भ चले' पर प्रस्तुति दी। जिसमें बांदा के पाई डंडा के कलाकार, असम के भाओना नृत्य के कलाकारों ने भी भाग लेते हुए कुम्भ चलने के प्रति उत्साह को प्रदर्शित किया। इस प्रस्तुति ने एक ही मंच पर हर प्रदेश के रंग के साथ महाकुम्भ के आगमन और उसके लिए पूरे भारत के उत्साह का भी प्रतिनिधित्व किया।
केरल के कलाकारों का अनूठा नृत्य
इसके बाद केरल के कलाकारों ने गरूड़न परवा की प्रस्तुति दी। केरल के भद्रकाली मंदिर में होने वाले इस नृत्य में गरुण की कथा को दिखाया गया। जिसमें गरुण ने देवी काली को प्रसन्न करने के लिए एक अनुष्ठानिक नृत्य प्रस्तुत किया। इसके बाद हरियाणा की फाग नृत्य किया गया। इस नृत्य में किसानों की फसल कटाई का जश्न का जोश दिखा। कलाकारों ने 'मैं नई नवेली आए फागण में' के माध्यम से नई दुल्हन और उसके सास के संवाद को दिखाया।
महाकुम्भ स्मारिका का विमोचन
कार्यक्रम की शुरुआत यूपी के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने दीप प्रज्ज्वलित कर की। उन्होंने महाकुम्भ पर एक स्मारिका का विमोचन किया। संस्कृति मंत्री ने कहा कि वह बहुत भाग्यशाली होते हैं, जिनको महाकुंभ में डुबकी लगाने का अवसर मिलता है। उन्होंने पद्मश्री मालिनी अवस्थी को प्रदेश की धरोहर बताया। मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि सोनचिरैया के माध्यम से मालिनी अवस्थी ना सिर्फ संस्कृति को बढ़ावा दे रही हैं बल्कि लोक कथाओं को इतिहास ग्रंथों से निकालकर बाहर भी ला रही हैं।
ये रहे मौजूद
इस दौरान मुख्यमंत्री के सलाहाकार अवनीश अवस्थी, सोनचिरैया की अध्यक्ष डॉ. विद्या विन्दु सिंह, भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. मांडवी सिंह भी उपस्थित रहीं। विद्याविंदु और पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह और बाकी सभी अतिथियों को असम की पारम्परिक झांपी देकर सम्मानित किया।
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