बसपा की कमान फिर पांच साल के लिए मायावती के हाथों में : सर्वसम्मति से चुनी गईं राष्ट्रीय अध्यक्ष

सर्वसम्मति से चुनी गईं राष्ट्रीय अध्यक्ष
UPT | Mayawati

Aug 27, 2024 14:52

मायावती वर्ष 2003 से पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की कमान संभाल रही हैं। वह लगातार पांचवी बार पार्टी की अध्यक्ष चुनी गई हैं। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में सभी वरिष्ठ पदाधिकारी और सदस्य शामिल हुए। बसपा में इससे पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव वर्ष 2019 में हुआ था, जिसमें मायावती को सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुना गया था।

Aug 27, 2024 14:52

Lucknow News : बसपा सुप्रीमो मायावती एक बार फिर अगले पांच साल के लिए पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन ली गई हैं। उन्हें सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुना गया है। पार्टी मुख्यालय में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में महासचिव सतीश चंद्र मिश्र ने इसका प्रस्ताव रखा, जिस पर सभी ने अपनी सहमति दी। मायावती का अध्यक्ष पद पर निर्विरोध चुना जाना पहले से तय था। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में इसकी औपचारिक रूप से घोषणा की गई।

2003 से पार्टी की कमान संभाल रही हैं मायावती
मायावती वर्ष 2003 से पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की कमान संभाल रही हैं। वह लगातार पांचवी बार पार्टी की अध्यक्ष चुनी गई हैं। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में सभी वरिष्ठ पदाधिकारी और सदस्य शामिल हुए। बसपा में इससे पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव वर्ष 2019 में हुआ था, जिसमें मायावती को सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुना गया था। अब एक बार फिर अगले पांच सालों के लिए पार्टी की कमान उनके हाथ में आ गई है।

एक दिन पहले इरादे किए जाहिर
इससे पहले मायावती ने सोमवार को राजनीति से संन्यास लेने की खबरों को अफवाह और षड्यंत्र करार देकर अपने इरादे स्पष्ट कर दिए थे। उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि उनके राजनीति से संन्यास लेने का सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने कहा कि जब से उन्होंने आकाश आनंद को अपने गैरहाजिर या अस्वस्थ होने पर बसपा के उत्तराधिकारी के रूप में आगे किया है, तबसे जातिवादी मीडिया, उनके राजनीति से संन्यास लेने की फेक न्यूज प्रचारित कर रहा है। इस तरह की अफवाहें षड्यंत्र के तहत केवल पार्टी के लोगों का मनोबल गिराने के लिए होती हैं। पार्टी के संविधान के अनुसार, हर पांच साल में राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होता है। इसी प्रक्रिया के तहत राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में मंगलवार को अध्यक्ष का चुनाव किया गया।

आकाश आनंद चार राज्यों के प्रभारी की संभालेंगे जिम्मेदारी
आकाश आनंद को लेकर भी अहम फैसला किया गया है। उन्हें उन्हें चार राज्यों का प्रभारी बनाया गया है। इस तरह आकाश आनंद हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड और जम्मू कश्मीर में पार्टी के एजेंडे को धार देते नजर आएंगे। बसपा जम्मू-कश्मीर, हरियाणा और महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर गहन मंथन कर रही है। पार्टी ने हरियाणा में इंडियन नेशनल लोकदल के साथ गठबंधन किया है। जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव को लेकर भी मायावती पदाधिकारियों के साथ बैठक करके जल्द फैसला करेंगी। महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर भी पार्टी रणनीति बना रही है। ऐसे में आकाश आनंद को अहम जिम्मेदारी सौंपी गई है। लोकसभा चुनाव के दौरान मायावती ने आकाश आनंद से उत्तराधिकारी सहित अन्य जिम्मेदारी वापस ले ली थी। इसके बाद उन्हें फिर पार्टी में नंबर दो का स्थान​ मिला और मायावती ने उन्हें नेशनल कोऑर्डिनेटर और अपना उत्तराधिकारी घोषित किया। तभी से आकाश आनंद का पार्टी में रुतबा बढ़ता जा रहा है।  

टूटने का तो सवाल ही पैदा नहीं
मायावती ने अध्यक्ष चुने जाने के बाद अपने संबोधन में कहा कि बहुजन महापुरुषों के मानवतावादी व समतामूलक मिशन को बसपा की मूवमेन्ट के माध्यम से आगे बढ़ाने के लिए वह हमेशा हर प्रकार की कुर्बानी देने को तैयार हैं। पार्टी व मूवमेन्ट के हित में न तो वह कभी रुकने वाली हैं और न ही झुकने वाली हैं, टूटने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। उन्होंने कहा कि देश के बहुजनों के हित के लिए डॉ. भीमराव अम्बेडकर के आत्म-सम्मान व स्वाभिमान का मूवमेन्ट अब इतना मजबूत करना है कि इसको अब विरोधी साम, दाम, दण्ड, भेद आदि अनेक प्रकार के जबरदस्त हथकण्डे भी कमजोर नहीं कर सके। मायावती ने कहा कि चुनावी आघातों के बावजूद भी बसपा 'बहुजन समाज' व सभी शोषित पीड़ित गरीबों व मेहनतकशों के बल पर 'बहुजन हिताय व बहुजन सुखाय' के कल्याणकारी सिद्धान्त एवं लक्ष्य की प्राप्ति पर डटे रहकर अपना संघर्ष इस उम्मीद पर लगातार जारी रखे है कि यह संघर्ष एकदिन बहुजनों के पक्ष में जरूर रंग लाएगा।

गैर-भाजपावाद में उलझ कर रह गई देश की राजनीति
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि पहले के गैर-कांग्रेसवाद की तरह ही अब देश की राजनीति गैर-भाजपावाद में उलझ कर रह गई है, जबकि ये दोनों ही पार्टियां व इनके गठबंधन देश के बहुजन यानी दलितों, आदिवासियों, ओबीसी, मुस्लिम व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के सच्चे हितैषी न कभी थे और न ही कभी इनके सच्चे हितैषी हो सकते हैं, क्योंकि इन बहुजनों के प्रति इनकी सोच हमेशा ही किसी की खुलकर तो किसी की भीतर ही भीतर संकीर्ण, जातिवादी, सांप्रदायिक द्वेषपूर्ण व तिरस्कारी रही है जो संविधान की असली मंशा से कतई भी मेल नहीं खाती हैं। उन्होंने कहा कि यही वह प्रमुख कारण है कि देश में ज्यादातर समय तक रहे इन दोनों पार्टियों व इनके गठबंधनों के शासनकाल में बहुजनों की हालात में अपेक्षित जरूरी सकारात्मक सुधार अभी तक भी नहीं हो पाया है तथा समाज एवं देश में हर प्रकार की गैर-बराबरी बढ़ रही है, हालांकि इनके वोट के नाम पर राजनीति आज यूपी व देश भर में काफी चरम पर है।

आरक्षण का लाभ न्यूनतम स्तर पर ही
मायावती ने कहा कि खासकर आरक्षण के संवैधानिक सकारात्मक प्रावधानों के जरिए इनकी सामाजिक, आर्थिक व शैक्षणिक हालत में सुधार का लक्ष्य न्यूनतम स्तर पर ही बना हुआ है और अब तो इन्होंने आपस में मिलकर षड्यंत्र के तहत आरक्षण की व्यवस्था को ही पूरी तरह से निष्क्रिय व निष्प्रभावी बना दिया है। सरकार में इनकी बैकलाग के खाली पड़े पदों को भी भरा नहीं जा रहा है, यह स्थिति काफी दुःखद ही नहीं बल्कि अति चिन्ताजनक भी है जिसके विरुद्ध अभियान को हर हाल में लगातार जारी रखने की जरूरत है।

बहुजन समाज के पिछड़ने के कारण बनी जातिवादी व अहंकारी सरकार
मायावती ने कहा कि अभी हाल में 2024 के लोकसभा आमचुनाव में केंद्र में भाजपा व कांग्रेस दोनों की ही जातिवादी एवं अहंकारी सरकार बनाने से रोकने में बहुजन समाज काफी हद तक पिछड़ गया। बसपा अगर चुनाव में मजबूती से आगे बढ़ती, तो ऐसी परिस्थिति को रोका जा सकता था। देश में कोई अहंकारी सरकार की बजाय बहुजन हितैषी मजबूर सरकार बनती, जिससे यहां देश में व्याप्त व्यापक महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, शोषण व लाचारी आदि के जीवन से लोगों को मुक्ति मिलने की आशा बंध सकती थी।

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