यूपी में विधानसभा उपचुनाव की तैयारियों को लेकर बसपा ने बुकलेट छपवाई है। इसमें कार्यकर्ताओं और बसपा समर्थकों को पार्टी की रणनीति और अतीत के अहम घटनाक्रम से वाकिफ कराने का प्रयास किया गया है।
अखिलेश यादव ने फोन उठाना बंद कर दिया था : मायावती ने सपा से गठबंधन तोड़ने का किया खुलासा
Sep 12, 2024 10:51
Sep 12, 2024 10:51
बसपा ने छपवाई खास बुकलेट, कही कई ये बात
बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि लोकसभा चुनाव 2019 के बाद अखिलेश यादव ने उनका और पार्टी के अन्य नेताओं का फोन तक उठाना बंद कर दिया था। इसकी वजह से उन्होंने पार्टी के सम्मान के लिए सपा से गठबंधन तोड़ा था। यूपी में विधानसभा उपचुनाव की तैयारियों को लेकर बसपा ने एक 59 पेजों की बुकलेट छपवाई है। इसमें कार्यकर्ताओं और बसपा समर्थकों को पार्टी की रणनीति और अतीत के अहम घटनाक्रम से वाकिफ कराने का प्रयास किया गया है।
स्वाभिमान बरकरार रखने को तोड़ा सपा से गठबंधनअखिलेश यादव ने फोन उठाना बंद कर दिया था : मायावती ने सपा से गठबंधन तोड़ने का किया खुलासाhttps://t.co/PSJ2j58yMh@Mayawati @BSP4India @AnandAkash_BSP @satishmisrabsp @yadavakhilesh @samajwadiparty#Mayawati #akhileshyadav #Lucknow #uttarpradesh #politics pic.twitter.com/hJvPSFpJFA
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ये बुकलेट कार्यकर्ताओं को दी जा रही है, जिससे वह पूर्व में पार्टी सुप्रीमो के बड़े फैसलों की वजह जान सकें। इसके जरिए बताया जा रहा है कि वास्तव में बसपा ही दलितों की सबसे बड़ी हितैषी है। इस बुकलेट में कहा गया है कि 2019 लोकसभा चुनाव में बसपा को 10 और सपा को 5 सीटें मिली थी, जिसकी वजह से अखिलेश यादव ने बसपा से संबंध बनाकर रखना तो दूर बसपा प्रमुख और पार्टी के अन्य प्रमुख नेताओं का फोन तक उठाना बंद कर दिया था। मायावती ने कहा कि इसलिए पार्टी स्वाभिमान को बरकरार रखने के लिए उन्होंने सपा से गठबंधन तोड़ने का फैसला लिया था।
अखिलेश यादव ने कही थी मायावती से ये बात
बुकलेट में मायावती ने गेस्ट हाउस कांड पर भी दुःख जताया गया है। मायावती ने साफ किया कि गेस्ट हाउस कांड के बावजूद क्यों समाजवादी पार्टी से गठबंधन किया था। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी को रोकने के लिए अखिलेश यादव ने उनकी पार्टी की पुरानी गलतियों को भूलकर दोबारा मौका देने की बात की थी। उन्होंने अपने समर्थकों से सपा के पीडीए से सावधान रहने को कहा।
कार्यकर्ताओं में भ्रम की स्थिति दूर करने की कोशिश
बसपा इस बुकेलट के जरिए अपनी नीतियों, पुराने फैसलों को लेकर स्थिति स्पष्ट करना चाहती है। मायावती का उद्देश्य है कि उनके समर्थकों, पार्टी के मतदाताओं और विभिन्न वर्गों में कोई भ्रम की स्थिति नहीं हो। उनके विरोधियों के बयान आदि से लोग प्रभावित नहीं हों और उन्हें वास्तविक कारणों का पता चल सके।
दलित और पिछड़ों पर मायावती का फोकस
इस तरह बसपा सुप्रीमो पार्टी कार्यकर्ता के बीच स्थिति पूरी तरह स्पष्ट करना चाहती हैं। साथ ही उनका मकसद है कि आगे की रणनीति को लेकर भी कार्यकर्ताओं में भ्रम की स्थिति नहीं हो और वह विभिन्न तबके के बीच जाकर बसपा की नीतियों को लेकर उन्हें जागरुक कर सकें। बसपा का फोकस खास तौर पर दलित और पिछड़ें जातियों पर है। पार्टी उनके बीच ये बड़ा संदेश देना चाहती है कि वास्तव में वही उनकी सबसे बड़ी हितैषी है। लोकसभा चुनाव 2024 में जिस तरह से बसपा को नुकसान उठाना पड़ा है और उसके पंरपरागत वोट बैंक में सेंध लगने के साथ अल्पसंख्यकों के बीच सपा अपनी पैठ बढ़ाने में सफल हुई है, उसके मद्देनजर मायावती आगे की रणनीति के तहत बेहद सोच समझकर काम कर रही हैं।
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