अडानी पावर की फिक्स कास्ट की दर 3.727 रुपये प्रति यूनिट रही। वहीं दूसरी न्यूनतम निविदा टोरेंट पावर की थी, जिसने फिक्स कास्ट की दर 4.06 रुपये प्रति यूनिट रखी थी। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि अडानी पावर ने अक्टूबर में खुलने वाले टेंडर से संबंधित टरबाइन मशीन का आर्डर जून 2024 में ही किस आधार पर दे दिया।
मिर्जापुर थर्मल पावर प्रोजेक्ट : अक्टूबर में खुलने वाले टेंडर की टरबाइन मशीन का ऑर्डर अडानी ग्रुप ने जून में कैसे दिया? CBI जांच की मांग
Dec 16, 2024 18:35
Dec 16, 2024 18:35
अडानी ग्रुप 1600 मेगावाट थर्मल पावर प्रोजेक्ट का टेंडर हासिल करने में सफल
इसमें कहा गया है कि अडानी पावर ने मिर्जापुर में 800 मेगावाट की दो इकाई यानी कुल 1600 मेगावाट का थर्मल पावर प्लांट लगाने के लिए जून 2024 में भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल) को लगभग 7000 करोड़ का दोनों टरबाइन और प्लांट इक्विपमेंट का ऑर्डर दिया। हैरानी वाली बात है कि प्रदेश में लगने वाले 1600 मेगावाट के इस ग्रीन फील्ड अल्ट्रा सुपरक्रिटिकल पावर हाउस का टेंडर 10 अक्टूबर 2024 में खुला। इसमें अडानी पावर न्यूनतम निविदा के आधार पर टेंडर हासिल करने में सफल रहा।
उपभोक्ता परिषद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से विशेष निगरानी की अपील
अडानी पावर की फिक्स कास्ट की दर 3.727 रुपये प्रति यूनिट रही। वहीं दूसरी न्यूनतम निविदा टोरेंट पावर की थी, जिसने फिक्स कास्ट की दर 4.06 रुपये प्रति यूनिट रखी थी। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि अडानी पावर ने अक्टूबर में खुलने वाले टेंडर से संबंधित टरबाइन मशीन का आर्डर जून 2024 में ही किस आधार पर दे दिया। उसे कैसे पता था कि कुछ महीने बाद उसे ही ये टेंडर मिलने वाला है। उपभोक्ता परिषद ने पूरे मामले की उच्च स्तरीय या सीबीआई से जांच करने की मांग की है। मिर्जापुर प्लांट का विकास अडानी पावर की सब्सिडरी मिर्जापुर थर्मल एनर्जी (यूपी) (एमटीईयूपीएल) कर रही है, जिसे अडानी पावर ने जून में अडानी इंफ्रा (इंडिया) से हासिल किया था। उपभोक्ता परिषद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि कुछ उच्चाधिकारी जल्दबाजी में इसके प्रस्ताव को कैबिनेट से मंजूर कराने की कोशिश में लगे हैं। इसलिए इस पूरे मामले पर विशेष निगरानी बरतने की जरूरत है।
उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखना जरूरी
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने सोमवार को कहा कि उत्तर प्रदेश को जो डॉमेस्टिक कॉल अलर्ट है वह इन्हें आसानी से मिलेगा, क्योंकि वह 1600 मेगावाट के लिए ही पहले से आवंटित है। ऐसे में यह भी कहना पूरी तरह उचित होगा कि कोयला भी सस्ती दर पर मिलेगा। लेकिन वर्तमान में जब यह पावर हाउस लगभग चार साल में बनकर तैयार होगा और उसे समय वेरिएबल कास्ट को भी इसमें जोड़ी जाएगी तो इस पावर हाउस से जो बिजली मिलेगी, इसकी दर 6 रुपये प्रति यूनिट से कम तो होना ही नहीं है। उन्होंने कहा कि आज भी अगर बात कर ली जाए पीक ऑवर्स को छोड़ दिया जाए तो पावर एक्सचेंज पर बिजली आसानी से 4 रुपये प्रति यूनिट में उपलब्ध हो रही है। ऐसे में इस बात की जांच परख करना बहुत जरूरी है कि उत्तर प्रदेश में जो यह पावर हाउस लग रहा है, वह प्रदेश के उपभोक्ताओं के हित में होगा या नहीं।
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