सांसद चंद्रशेखर ने कहा कि शिक्षकों की ऑनलाइन उपस्थिति पूरी तरह अनुचित और अव्यवहारिक है। इससे शिक्षकों में भागम-भाग की स्थिति पैदा होगी। समाज में शिक्षकों की गरिमा और विश्वसनीयता खराब होने से शिक्षा प्रभावित हो सकती है।
सांसद चंद्रशेखर ने शिक्षकों की डिजिटल अटेंडेंस के विरोध में सीएम योगी को लिखा पत्र, आदेश निरस्त करने की मांग
Jul 09, 2024 14:36
Jul 09, 2024 14:36
- महानिदेशक स्कूल शिक्षा के आदेश को बताया अनुचित-अव्यवहारिक
- सपा सांसद रामगोपाल यादव बोले- अध्यापकों की स्थिति दयनीय, सीएम योगी से आदेश वापस लेने का अनुरोध
मोबाइल में ही व्यस्त रहेंगे शिक्षक
प्रदेश में डिजिटल अटेंडेंस का मंगलवार को भी विरोध देखने को मिला। अधिकांश जगहों पर शिक्षकों ने टैबलेट पर चेहरा दिखाकर हाजिरी लगाने की व्यवस्था का विरोध किया। वहीं शिक्षकों के समर्थन में मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में सांसद चंद्रशेखर ने कहा है कि महानिदेशक स्कूल शिक्षा, उत्तर प्रदेश के 5 जुलाई 2024 को दिए आदेश में सभी 12 रजिस्टर डिजिटल रूप से बनाना पूरी तरह अनुचित और अव्यवहारिक नजर आते हैं। इसके साथ ही शिक्षकों के बार-बार मोबाइल पर काम करने से अभिभावकों में शिक्षकों के प्रति गलत संदेश जा सकता है।
भागम-भाग की स्थिति पैदा होने का दिया हवाला
उन्होंने कहा कि शिक्षकों की ऑनलाइन उपस्थिति पूरी तरह अनुचित और अव्यवहारिक है। इससे शिक्षकों में भागम-भाग की स्थिति पैदा होगी। समाज में शिक्षकों की गरिमा और विश्वसनीयता खराब होने से शिक्षा प्रभावित हो सकती है। चंद्रशेखर ने इन बिंदुओं के मद्देनजर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से गुजारिश की है कि वह समाज में शिक्षकों की गरिमा, विश्वसनीयता को ध्यान में रखते हुए मामले को संज्ञान में लें और आदेश निरस्तीकरण के लिए संबंधित अधिकारी को निर्देश दें।
रामगोपाल यादव बोले- आदेश वापस लेकर शिक्षकों की समस्याओं का हो समाधान
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और राज्यसभा सांसद प्रो. रामगोपाल यादव ने भी इस संबंध में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से आदेश वापस लेने की मांग की है। उन्होंने मंगलवार को कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार अध्यापकों की उपस्थिति ऑनलाइन दर्ज कराने को आमादा है। जबकि सरकार अध्यापकों की वर्ष में 30 ईएल और हॉफ सीएल देने की मांग मान नहीं रही है। अध्यापकों की स्थिति इतनी दयनीय है कि अपनी शादी के लिए भी टीचर को मेडिकल लीव लेनी पड़ती है। अध्यापकों की कमी के कारण किसी किसी विद्यालय में एक ही टीचर को दर्जा एक से लेकर पांचवीं तक सारे दिन पढ़ाना पड़ता है। मुख्यमंत्री से अनुरोध है कि ऑनलाइन अटेंडेंस के आदेश को वापस लेकर पहले टीचर्स की समस्याओं का निराकरण करने का कष्ट करें।
शिक्षक संगठन पीछे हटने को तैयार नहीं
इस बीच यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र सिंह राठौर ने कहा कि जब तक शिक्षकों की समस्याओं का समाधान नहीं होता, इसका विरोध जारी रहेगा। हम लोग एक सप्ताह लगातार विरोध जारी रखेंगे। विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संतोष तिवारी ने कहा कि सभी शिक्षक इस अव्यवहारिक निर्णय के विरोध में हैं। हम लोग 14 जुलाई तक लगातार विरोध करेंगे। इसके बाद 15 जुलाई को हर जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन कर डीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजेंगे।
शिक्षक संगठनों ने गिनाई समस्याएं
यूपी बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा कि प्रदेश के स्कूलों के बच्चों को अभी तक सभी विषयों की किताब नहीं मिल सकी है। उच्च प्राथमिक विद्यालयों में स्टाफ तक की कमी है। कई जगह स्कूल में हमेशा अच्छा नेटवर्क भी नहीं आता। बारिश में कई जनपदों में स्कूल पानी से लबालब हैं। ऐसे में शिक्षकों को ऑनलाइन उपस्थिति से मुक्त रखना बेहद जरूरी है। अटेवा के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार बन्धु ने कहा कि प्रदेश में कई जगह स्कूल जाने के लिए रास्ता नहीं है। कई जगह जलभराव की समस्या है। इंटरनेट ठीक से काम नहीं करता, ऐसे में इस आदेश का पालन करने में कई दिक्कते हैं।
8 जुलाई से लागू किया गया है नियम
प्रदेश में बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से संचालित विद्यालयों में 15 जुलाई से शिक्षकों, स्टॉफ और बच्चों की डिजिटल हाजिरी लगाने की व्यवस्था की जानी थी। बाद में डिजिटल अटेडेंस की व्यवस्था एक सप्ताह पहले 8 जुलाई से ही लागू कर दी गई। इसमें फिसियल रिकगनिशन यानी चेहरे को ऑनलाइन कैमरे के सामने देखकर अटेंडेंस लगाने को बोला गया। इस संबंध में
महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा की ओर से आदेश जारी किए गए हैं। इसके बाद से ही शिक्षक और कर्मचारी इसका विरोध कर रहे हैं।
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