एनसीपीसीआर ने की मदरसों को बंद करने और सरकारी फंडिंग रोकने की सिफारिश : जानिए यूपी में मदरसों की स्थिति

जानिए यूपी में मदरसों की स्थिति
UPT | एनसीपीसीआर के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो।

Oct 13, 2024 19:04

एनसीपीसीआर ने यूपी सहित सभी राज्य सरकारों से मदरसों को मिलने वाली निधि (फंड) को फ्रीज करके मदरसा बोर्डों को बंद करने की सिफारिश की है।

Oct 13, 2024 19:04

Lucknow News : राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने यूपी सहित सभी राज्य सरकारों से मदरसों को मिलने वाली निधि (फंड) को फ्रीज करके मदरसा बोर्डों को बंद करने की सिफारिश की है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी सुझाव दिया है कि मदरसों में पढ़ने वाले गैर मुस्लिम छात्रों को सरकारी स्कूलों में दाखिला दिलाया जाए। इस बाबत उन्होंने सभी राज्यों सहित केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र भी लिखा है। पत्र में प्रियांक ने मदरसों के बारे में एनसीपीसीआर की एक रिपोर्ट का भी हवाला दिया है। 

मदरसा छात्रों को नहीं मिल रही गुणवत्ता वाली शिक्षा
प्रियांक कानूनगो ने आयोग की एक रिपोर्ट भी पेश की है। रिपोर्ट का शीर्षक है- ‘आस्था के संरक्षक या अधिकारों के उत्पीड़क:  बच्चों के अधिकार बनाम मदरसा’। उन्होंने दावा किया है कि बच्चों के मौलिक अधिकार और अल्पसंख्यक समुदाय के हक के बीच विरोधाभास दिख रहा है। ऐसे में मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा नहीं मिल पा रही है। रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया गया है कि केवल एक मदरसा बोर्ड का गठन या यू-डाइस कोड प्राप्त करना यह सुनिश्चित नहीं करता कि मदरसे शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम की शर्तों का पालन कर रहे हैं।



मदरसा बोर्ड भी बंद किए जाए
अपने पत्र में प्रियांक कानूनगो ने सिफारिश की है कि राज्य सरकारों द्वारा मदरसों को दी जाने वाली वित्तीय सहायता को रोक दिया जाए और राज्य के सभी मदरसा बोर्डों को बंद किया जाए। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मदरसों में पढ़ने वाले सभी गैर मुस्लिम छात्रों की पहचान कर उन्हें सरकारी स्कूलों में भर्ती किया जाए। उनके अनुसार ऐसा एक रोडमैप तैयार किया जाना चाहिए जो देश के सभी बच्चों के भविष्य के लिए अनुकूल माहौल बनाए।

मदरसों में आरटीई अधिनियम के अनुसार नहीं पाठ्यक्रम 
आयोग की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मदरसे बच्चों के शैक्षिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं। मदरसों में पाठ्यक्रम आरटीई अधिनियम के अनुसार नहीं है। मदरसों के पाठ्यक्रम की दीनियत पुस्तकों में आपत्तिजनक कंटेंट की मौजूदगी है। साथ ही मदरसों में ऐसे पाठों का शिक्षण होता है। जिसमें इस्लाम की सर्वोच्चता बताई जाती है। इतना ही नहीं रिपोर्ट में ये दावा भी है कि बिहार मदरसा बोर्ड उन पुस्तकों को पढ़ाता है जो पाकिस्तान में प्रकाशित होती हैं।

यूपी में मदरसों की स्थिति
राज्य में लगभग 16460 मदरसों को उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद से मान्यता प्राप्त है। जिनमें से 560 मदरसे अनुदानित हैं। हाल ही में झांसी के 242 और मऊ के 10 मदरसों ने स्वयं अपनी मान्यता समाप्त करने के लिए बोर्ड को पत्र भेजा था। इसके अलावा अंबेडकरनगर के जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने 234 मदरसों की मान्यता समाप्त करने की सिफारिश की थी। अधिकांश मदरसों ने यू-डायस कोड के माध्यम से अपने छात्रों के दस्तावेज वेबसाइट पर अपलोड नहीं किए थे। सितंबर महीने में इंदिरा भवन स्थित अल्पसंख्यक कल्याण निदेशालय में हुई मदरसा बोर्ड की बैठक में इन मदरसों की मान्यता समाप्त करने को मंजूरी दी गई थी।

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