ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने उत्तराखंड में मदरसों में श्लोक पढ़ाने जाने के सरकार के फैसले पर आपत्ति जताई है।
मदरसों में श्लोक पढ़ाने के फैसले का विरोध : मौलाना शहाबुद्दीन बोले- बिगड़ सकता है माहौल
Oct 18, 2024 19:12
Oct 18, 2024 19:12
शिक्षा से बनता है उज्ज्वल भविष्य
मौलाना ने कहा कि उत्तराखंड सरकार ने मदरसों में संस्कृत लागू करने की बात कही है। संस्कृत एक भाषा है जिसे सीखने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हर प्रकार का ज्ञान जरूरी है। पैगंबर-ए-इस्लाम ने भी इल्म प्राप्त करने की अहमियत पर जोर दिया था। मौलाना के अनुसार ज्ञान बच्चों के भविष्य को उज्जवल बनाता है। भाषाएं सीखने से बाहरी दुनिया से संवाद में कोई कठिनाई नहीं होती।
संस्कृत पढ़ाए जाने में कोई हर्ज नहीं
मौलाना रिजवी ने कहा कि मदरसों में संस्कृत पढ़ाए जाने के उत्तराखंड सरकार के फैसले का हम स्वागत करते हैं। इसमें कोई हर्ज नहीं है। पर श्लोक और मंत्र पढ़ाने को लेकर उनका विरोध है। उन्होंने कहा कि श्लोक और मंत्र विशेष रूप से एक धर्म से जुड़े हैं। मदरसों में इन्हें पढ़ाए जाने से टकराव की स्थिति पैदा हो सकती है।
मदरसों में श्लोक पढ़ाना मुमकिन नहीं
मौलाना ने कहा कि जैसे संस्कृत स्कूलों में कुरआन की शिक्षा नहीं दी जा सकती। वैसे ही मदरसों में श्लोक और मंत्र पढ़ाना मुमकिन नहीं है। ये दोनों धार्मिक मामलों से जुड़े हैं। इन्हें अलग-अलग रखना जरूरी है। शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि उत्तराखंड की सरकार को मदरसों में श्लोक और मंत्र पढ़ाने का फैसला वापस लेना ही पड़ेगा।
400 से अधिक मदरसों में पढ़ाई जाएगी संस्कृत
उत्तराखंड सरका ने मदरसों में संस्कृत की शिक्षा को वैकल्पिक विषय के रूप में शामिल किए जाने का फैलसा किया है। उत्तराखंड मदरसा बोर्ड राज्य भर के 400 से अधिक मदरसों में वैकल्पिक आधार पर संस्कृत शिक्षा शुरू करने की योजना बना रहा है।
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