इस बीच बाघ के आतंक को रोकने और उसे पकड़ने के लिए वन विभाग के साथ अब पीएसी की टीमों ने रहमानखेड़ा में डेरा डाल दिया है। इसके साथ ही बाघ पकड़ने में विशेषज्ञ और डब्लूटीआई के साथ काम कर चुके प्रेम चंद्र पाण्डेय को दुधवा टाइगर रिजर्व से बुलाया गया है।
बाघ की दहशत के बीच पीएसी ने डेरा डाला : वन महकमे की हर रणनीति फेल, अब आम के बाघ में किया 12वां शिकार
Jan 13, 2025 10:04
Jan 13, 2025 10:04
50 मीटर तक दिखे संघर्ष के निशान
आबादी वाली इलाके में दाखिल होकर बाघ ने शीतला और हेमराज के बाग में मवेशी को मारकर उसका 15 किलो मांस खाया और फिर भाग निकला। जब ग्रामीणों ने मवेशी का क्षत-विक्षत शव देखा, तो इलाके में सनसनी फैल गई। घटनास्थल पर बाघ और मवेशी के संघर्ष के निशान 50 मीटर तक दिखे।
वन विभाग और पीएसी की तैनाती, रेस्क्यू अभियान तेज
इस बीच बाघ के आतंक को रोकने और उसे पकड़ने के लिए वन विभाग के साथ अब पीएसी की टीमों ने रहमानखेड़ा में डेरा डाल दिया है। पीएसी के जवानों ने हथिनी डायना और सुलोचना के साथ इलाके में कॉम्बिंग भी की। वन विभाग की टीम ने भी रेलवे लाइन पार करते हुए बाघ के नए पगचिह्न देखे। वन विभाग ने जंगल के जोन-2 में एक नया मचान भी तैयार किया है, जहां से वनकर्मी बाघ की गतिविधियों पर नजर रखेंगे।
पगचिह्नों से मिल रहे बाघ की मौजूदगी के संकेत
रहमानखेड़ा जंगल के चारों ओर लगाए गए पिंजरे के बावजूद बाघ अभी तक पकड़ा नहीं जा सका है। यहां काम करने वाले मजदूरों को रोज अलग-अलग जगहों पर बाघ के नए पगचिह्न देखने को मिल रहे हैं। हरदोई रोड के पास बहता नाला और सीआईएसएच के फर्स्ट ब्लॉक में बाघ की मौजूदगी के सबसे ज्यादा संकेत मिले हैं। ऐसी स्थिति में सीआईएसएच के वैज्ञानिकों और ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है क्योंकि बाघ के चलते आम की फसल और किसानों की दिनचर्या बुरी तरह प्रभावित हो रही है। वन विभाग ने एक और पिंजरे में भैंस के पड़वे को बांधकर बाघ को पकड़ने की कोशिश की है, लेकिन अब तक बाघ पिंजरे के पास नहीं आया है।
ग्रामीणों में दहशत, वन विभाग की कोशिशें जारी
बाघ के एक के बाद एक शिकार और उसके पगचिह्न मिलने से ग्रामीणों में दहशत है। बाघ के डर से लोगों की रातों की नींद उड़ी हुई है। यहां के लोग अब बाहर निकलने से डरने लगे हैं। वन विभाग और प्रशासन की टीमें लगातार अपनी कोशिशें कर रही हैं, लेकिन अब तक कोई सफलता हाथ नहीं लगी है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक अनुराधा बेमुरी, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक रेनू सिंह, प्रभागी निदेशक डॉ. सितांशु पांडेय लगातार मौके पर जाकर मुआयना कर रहे हैं। नए पगचिह्न और स्थितियों के आधार पर विभाग ने बाघ को पकड़ने के लिए अब विशेष योजना बनाई गई है।
बाघ की तलाश में जुटी विशेषज्ञों की टीम
बाघ को पकड़ने के लिए रेनू सिंह की अध्यक्षता में नई पांच सदस्यीय विशेष समिति गठित की जा चुकी है। बाराबंकी के प्रभागीय निदेशक आकाशदीप वधावन, अवध लखनऊ के प्रभागीय निदेशक सितांशु पांडेय, अपर प्रभागीय निदेशक चंदन चौधरी और नामित पशु चिकित्सक भी इस समिति का हिस्सा हैं। इसके साथ ही बाघ पकड़ने में विशेषज्ञ और डब्लूटीआई के साथ काम कर चुके प्रेम चंद्र पाण्डेय को दुधवा टाइगर रिजर्व से बुलाया गया है। प्रेम चंद्र पांडेय कई सफल बाघ रेस्क्यू ऑपरेशन कर चुके है। 2012 में रहमान खेड़ा में आये बाघ को ट्रैंकुलाइज कर पकड़ने में इनकी अहम भूमिका रही है। इसके अलावा कुकरैली, दुधवा, लखीमपुर खीरी, कन्नौज, शाहजहांपुर से विशेषज्ञ बाघ की तलाश में बुलाए गए हैं।
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