बारिश बाढ़ और लैंडस्लाइड का कहर : केदारनाथ में बादल फटने से सहारनपुर के एक श्रद्धालु की मौत, कई जिलों के लोग गायब

केदारनाथ में बादल फटने से सहारनपुर के एक श्रद्धालु की मौत, कई जिलों के लोग गायब
UPT | बारिश बाढ़ और लैंडस्लाइड का कहर

Aug 03, 2024 11:20

31 जुलाई की रात को केदारनाथ यात्रा मार्ग पर बादल फटने की घटना के बाद भारी तबाही हुई। इस आपदा में सहारनपुर के एक श्रद्धालु की मौत हो गई, जबकि एक ही परिवार के तीन सदस्य...

Aug 03, 2024 11:20

Lucknow News : 31 जुलाई की रात को केदारनाथ यात्रा मार्ग पर बादल फटने की घटना के बाद भारी तबाही हुई। इस आपदा में सहारनपुर के एक श्रद्धालु की मौत हो गई, जबकि एक ही परिवार के तीन सदस्य अभी भी लापता हैं। इसके अलावा एक अन्य परिवार घायल होकर सकुशल अपने घर वापस लौट आया है। आपदा के तुरंत बाद एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, डीडीआरएफ और स्थानीय पुलिस राहत एवं बचाव कार्य में जुटी हुई है। शुक्रवार शाम तक विभिन्न स्थानों से 4280 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है।

आपदा की चपेट में आया परिवार
सरसावा के मोहल्ला काजियांन निवासी शिवकुमार अपने परिवार के साथ 30 जुलाई को केदारनाथ यात्रा पर निकले थे। यात्रा के दौरान 31 जुलाई की रात लगभग 11 बजे रामबाड़ा में बादल फट गया। इस घटना में शिवकुमार की पत्नी पूजा और बेटा सार्थक पानी के तेज बहाव में बह गए, जिन्हें बामुश्किल बाहर निकाला गया। वहीं शिवकुमार के भाई अंकित और उनकी पत्नी नैना को पानी में बहकर आए पत्थरों से गंभीर चोटें आईं। बाद में इन सभी को हेलीकॉप्टर द्वारा फाटा हेलीपैड पर पहुंचाया गया, लेकिन उनकी बाइक सोनप्रयाग में पार्क की हुई थी। फाटा से सोनप्रयाग पहुंचने में 400 रुपये प्रति यात्री का खर्च आया। अंततः परिवार शुक्रवार को अपने घर पहुंच सका। शिवकुमार ने बताया कि उनकी आंखों के सामने बादल फटते हुए देखकर उनकी रूह कांप गई और वे मान रहे थे कि वे जीवित नहीं बचेंगे। 

ये लोग हैं लापता
इस आपदा में संदीप कुमार, उनकी पत्नी ममता, और उनके दो बेटे विजय (20 वर्ष) और दीपांशु (14 वर्ष) लापता हैं। परिवार की तलाश जारी है।

एसडीआरएफ द्वारा रेस्क्यू अभियान जारी
एसडीआरएफ की टीम ने गुरुवार रात को केदारनाथ में फंसे चौसाना के दस युवकों को सुरक्षित बाहर निकाला। ये युवक कांवड़ यात्रा के दौरान हरिद्वार से केदारनाथ की ओर बढ़े थे और वापसी के समय गौरीकुंड के पास बादल फटने के कारण भूस्खलन में फंस गए थे। संचार सेवा बंद होने के कारण परिजनों से उनका संपर्क टूट गया था। एसडीआरएफ ने पहाड़ों के रास्ते को सुगम बनाकर उन्हें गौरीकुंड से जंगल के रास्ते सोनप्रयाग तक सुरक्षित पहुंचाया।

अपनों की चिंता में परेशान परिवार
देवेंद्र सैनी के दो बेटे सन्नी और बॉबी भी केदारनाथ में फंस गए थे। देवेंद्र, जो चौसाना में मोमोज बेचते हैं, पिछले दो दिन से काम नहीं कर पा रहे थे और उनकी चिंता लगातार बढ़ती जा रही थी। शुक्रवार को बेटों के सुरक्षित घर आने की सूचना पर उन्हें राहत मिली।

पैदल यात्रा कर निकाले गए
केदारनाथ में फंसे कमल पुत्र प्रमोद ने बताया कि उन्हें गौरीकुंड से पहाड़ों को काटकर निकाला गया। एसडीआरएफ के बचाव दल ने उन्हें पैदल चलने के लिए प्रेरित किया और पांच किलोमीटर की कठिन यात्रा और ऊंची पहाड़ियों को पार करते हुए सोनप्रयाग तक पहुंचाया।

बिजनौर के लोग अब भी लापता
बिजनौर के दो लोग बुड़गरा निवासी इरशाद उर्फ बुन्दू और मंडावली निवासी शहजाद इस आपदा में बह गए थे और अब तक उनका पता नहीं चल सका है। तीन दिन बाद भी उनके परिवार वालों को कोई सूचना नहीं मिल पाई है और वे केदारनाथ में राहत और बचाव कार्यों की निगरानी कर रहे हैं।

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