MONDAY UPT SPECIAL : बस तीन दिन का इंतजार... राजनीति का रहस्यमयी तिलिस्म समेटे आयेगा गुरुवार!

बस तीन दिन का इंतजार... राजनीति का रहस्यमयी तिलिस्म समेटे आयेगा गुरुवार!
UPT | 27 फरवरी को होंगे राज्यसभा के चुनाव

Feb 14, 2024 10:24

15 फरवरी को राज्यसभा के लिए होने वाले चुनाव के लिए नामांकन की अंतिम तारीख है। इस दिन उत्तर प्रदेश की राजनीति नई करवट लेगी।

Feb 14, 2024 10:24

Short Highlights
  • राज्यसभा में उत्तर प्रदेश के लिए होने हैं चुनाव
  • 15 फरवरी है नामांकन की अंतिम तारीख
Lucknow News (परवेज अहमद) : गुरुवार, 15 फरवरी। यही दिन और तारीख है, जब उत्तर प्रदेश की राजनीति नई करवट लेती दिखेगी। दरअसल, इसी दिन उत्तर प्रदेश के कोटे से राज्यसभा की 10 सीटों के लिये नामांकन का अंतिम दिन है। भाजपा के नौ और समाजवादी पार्टी के एक सदस्य का कार्यकाल खत्म होने के कारण यह चुनाव हो रहा है। संख्या बल के हिसाब से देखें, तो भाजपा सात और सपा तीन सदस्यों को राज्यसभा भेज सकती है। लेकिन नामांकन से पहले नौ विधायकों वाले राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया जयंत चौधरी, जिस तरह से भाजपा से दिल हार बैठे हैं और उधर कांग्रेस के विधायक पार्टी नीति के विपरीत रामलला के दर्शन करने अयोध्या गये हैं, उससे बने समीकरणों के बाद भाजपा के आठ सदस्यों के जीतने और सपा के दो ही सदस्य रह जाने की संभावना जताई जा रही है।

भाजपा के प्रत्याशी घोषित लेकिन...
यूपी की राजनीति में तेजी से बदली परिस्थितियों का ताप सपा और भाजपा आंकने का प्रयास में हैं। रविवार की शाम भाजपा ने सात प्रत्याशियों की घोषणा कर दी लेकिन भाजपा चौंकाने वाली राजनीति के लिये जानी जाती है। अगर उसने बचे हुये विधायकों के भरोसे दसवे प्रत्याशी के रूप में किसी निर्दल को समर्थन दे दिया, तो चुनावी रंग में तड़का लग सकता है। वैसे भी भाजपा इनडायरेक्ट रूप से पूर्व के राज्यसभा चुनावों में ऐसे दांव आजमा चुकी है। 

सपा तीन प्रत्याशी उतारने को तैयार
सपा अपने विधायकों के डोलते मन से परेशान हैं। कई विधायकों ने हाल के दिनों में जिस तरह से आंखे तरेरी हैं, उससे उनकी निष्ठा सवालों के घेरे में है। बावजूद इसके सपा ने तीन प्रत्याशियों को मैदान में उतारने की तैयारी कर ली है।
  राज्यसभा में नहीं होता है गुप्त चुनाव
सपा के पास इस समय 108 विधायक हैं और नियमों के हिसाब से राज्यसभा के एक प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित करने के लिए 38 विधायकों की जरूरत है। इस हिसाब से तीन प्रत्याशियों की जीत के लिए उसे 114 विधायकों की जरूरत पड़नी चाहिए. लेकिन राज्यसभा के चुनाव में द्वितीय और तृतीय वरीयता के वोटों की भी गिनती होती है. ऐसे में राजनीतिक रणनीतिकार विधायकों का आवंटन उसी संख्या के आधार पर करते हैं। सबसे खास बात यह है कि राज्यसभा की वोटिंग गोपनीय नहीं होती है, लिहाजा मतदान के समय ही यह पता हो जाता है कि किस विधायक ने किसे वोट दिया है। इसीलिए राज्यसभा के चुनाव में पार्टी के निर्देशों के विपरीत वोट देने वाले को ‘बागी’ कहा जाता है और दल-बदल कानून के तहत उसकी सदस्यता भी रद्द हो सकती है. हॉर्स ट्रेडिंग ने नहीं किया जा सकता इंकार
उत्तर प्रदेश में अभी विधायकों का कार्यकाल तीन साल से भी अधिक समय के लिए बाकी है। ऐसे में कोई बगावत उन्हीं परिस्थितियों में करेगा, जब उसे कोई ठोस आश्वासन मिले। सूत्रों का कहना है कि राज्यसभा के चुनाव के फौरन बाद ही विधान परिषद की दस सीटें भी रिक्त हो रही हैं. इसमें भी भाजपा सात लोगों को सदन में भेजने की हैसियत रखती है। विधान परिषद भेजे जाने के आश्वासन व सत्ता के साथ जुड़ने के लोभ में विधायकों के बागी हो जाने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है। राजनीति के इन रहस्यों का खुलासा 15 फरवरी को नामांकन के साथ ही होगा। अगर भाजपा ने आठ और सपा ने तीन प्रत्याशी उतार दिये तो न सिर्फ चुनाव होंगे, बल्कि हॉर्स ट्रेडिंग से भी इंकार नहीं किया जा सकता है।

समाजवादी पार्टी से संभावित प्रत्याशी
आलोक रंजन, पूर्व मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश
जय बच्चन, फिल्म अभिनेत्री व सपा से लगातार राज्यसभा सदस्य
राम लाल जी सुमन, आलू पट्टी के दलितों खासकर जाटव समाज में पकड़ रखने वाले बुजुर्ग समाजवादी पार्टी के नेता
बलराम यादव, आजमगढ़ के सपा नेता व पूर्व मंत्री
​​​​​​किरनमय नंदा, सपा के उपाध्यक्ष

भाजपा के घोषित सात प्रत्याशी
अमर पाल मौर्य, आरएसएस पृष्ठभूमि और भाजपा के प्रदेश महामंत्री। सुधांशु त्रिवेदी भाजपा प्रवक्ता व रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के अति करीबियों में शुमार। आरपीएन सिंह, यूपीए-2 में गृहराज्य मंत्री, अब भाजपा के सदस्य। बिंद समाज से ताल्लुक रखने वाली डॉ.संगीता बलवंत जो गाजीपुर सदर से भाजपा की विधायक रह चुकी हैं। चौधरी तेजवीर सिंह, मथुरा के पूर्व सांसद, जाट समुदाय से ताल्लुक, आरएसएस बैकग्राउंड। आगरा निवासी नवीन जैन, वैश्य समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। राजपूत समुदाय से ताल्लुक रखने वाली साधना सिंह, पूर्व विधायक रही हैं। 

3 अप्रैल 2024 को रिटायर हो रहे यूपी कोटे के सदस्य
जया बच्चन (सपा),  डॉ.अनिल अग्रवाल, अशोक वाजपेयी, सकलदीप राजभर, जीवीएल नरसिम्हा, हरिनाथ सिंह यादव, विजय पाल सिंह तोमर, डॉ. सुधांशु त्रिवेदी, श्रीमती कांता कर्दम, डॉ.अनिल जैन (सभी भाजपा)

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