लखनऊ में फिर ट्रैप कैमरे में दिखा बाघ : ट्रैंकुलाइज करने को नई जगह मचान बनाने की तैयारी, ग्रामीणों ने बयां किया दर्द

ट्रैंकुलाइज करने को नई जगह मचान बनाने की तैयारी, ग्रामीणों ने बयां किया दर्द
UPT | लखनऊ में बाघ को पकड़ने में वन महकमे को अब तक नहीं मिल कामयाबी

Dec 31, 2024 11:58

वन विभाग ने बाघ को पकड़ने के लिए तीन जगहों पर शिकार (पड़वा) बांधने की योजना बनाई है। इस कार्य में कानपुर, लखनऊ और पीलीभीत के विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम को तैनात किया गया है। वहीं, नाले के पास लगे कैमरे में बाघ की तस्वीर भी कैद हुई है।

Dec 31, 2024 11:58

Lucknow News : शहर में दहशत का पर्याय बने बाघ को पकड़ने में वन महकमा अभी भी सफल नहीं हो सका है। विभाग के लिए फिलहाल राहत की बात है कि दहशत का कारण बना बाघ अब अपने पुराने ठिकाने, रहमानखेड़ा स्थित केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (सीआईएसएच) लौट आया है। वन विभाग की टीम ने परिसर में उसके पगचिह्नों की पहचान की है। अधिकारियों का मानना है कि बाघ अब संस्थान की सीमा में होने से इसे पकड़ना अधिक आसान होगा।

मीठेनगर से बेहता नाले तक बाघ की गतिविधि
वन विभाग के अनुसार, बाघ के पगचिह्न मीठेनगर गांव से बेहता नाले की ओर जाते हुए देखे गए हैं। इसके बाद, निगरानी के लिए नई मचान बनाने की योजना बनाई गई। विशेषज्ञों ने चौथे ब्लॉक के बेल वाले खेत के पास मचान के लिए जगह तय की है। प्रभागीय निदेशक डॉ. सितांशु पांडेय ने पुष्टि की कि बाघ संस्थान के भीतर सक्रिय है।



बाघ को पकड़ने के लिए तीन जगह लगाए जाएंगे शिकार
वन विभाग ने बाघ को पकड़ने के लिए तीन जगहों पर शिकार (पड़वा) बांधने की योजना बनाई है। इस कार्य में कानपुर, लखनऊ और पीलीभीत के विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम को तैनात किया गया है। वहीं, नाले के पास लगे कैमरे में बाघ की तस्वीर भी कैद हुई है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक सुनील चौधरी ने समीक्षा बैठक कर इस ऑपरेशन की रणनीति तय की है।

ग्रामीणों में डर : सामान्य जीवन प्रभावित, खेतों में खराब हो रही फसल
रहमानखेड़ा और आसपास के 15 किमी के दायरे में बाघ की मौजूदगी से 12 गांवों के लोग दहशत में हैं। बाघ के खौफ के कारण ग्रामीण शाम ढलते ही घरों में कैद हो जाते हैं। व्यापार, खेती और बच्चों की पढ़ाई पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ा है। किसान मंडी नहीं जा पा रहे, जिससे फसलें बर्बाद हो रही हैं। मीठेनगर निवासी किसान अयोध्या प्रसाद ने बताया कि पहले खेतों में मचान बनाकर फसलों की रखवाली करते थे। लेकिन, अब बाघ की आहट के बाद मचान खाली पड़े हैं। मटर और गोभी जैसी सब्जियां खेतों में ही खराब हो रही हैं क्योंकि किसान उन्हें मंडी तक नहीं पहुंचा पा रहे। 

मवेशियों के लिए चारे और जलाने की लकड़ी का संकट
ग्रामीण महिलाएं जैसे कौशल्या देवी ने अपनी समस्या बताई कि वे मवेशियों के लिए जंगल से घास काटकर लाती थीं। लेकिन, अब जंगल जाने का साहस नहीं कर पा रही हैं। मवेशियों को चारे की कमी हो रही है और ठंड के लिए लकड़ियां भी नहीं मिल पा रही हैं। उलरापुर निवासी संतोष कुमार ने बताया कि जंगल से होकर स्कूल जाने वाले छोटे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हुई है। छोटे बच्चों का स्कूल जाना बंद हो गया है, जबकि बड़े बच्चे समूह बनाकर साइकिल से स्कूल जा रहे हैं। यह स्थिति बच्चों के भविष्य पर असर डाल रही है।

वन विभाग का प्रयास : बाघ को सुरक्षित पकड़ने की योजना
वन विभाग ने बाघ की सुरक्षा और ग्रामीणों की चिंता को ध्यान में रखते हुए बाघ को पकड़ने के लिए नए कदम उठाए हैं। नई मचान बनाने और बाघ के मूवमेंट को ट्रैक करने के लिए विशेष टीमें तैनात हैं। रहमानखेड़ा संस्थान में बाघ की वापसी ने इस अभियान को नई दिशा दी है।
 

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