नई फाइब्रो स्कैन मशीन विशेष रूप से मोटे व्यक्तियों के लिवर की जांच के लिए डिजाइन की गई है। यह लिवर में वसा की मात्रा और कठोरता की सटीक जानकारी प्रदान करती है। इसके जरिए लिवर से संबंधित बीमारियों का शुरुआती चरण में ही पता लगाया जा सकता है, जिससे समय पर इलाज संभव हो सकेगा।
मोटापे से जूझ रहे मरीजों के लिए राहत : केजीएमयू में अत्याधुनिक फाइब्रो स्कैन मशीन से होगी जांच
Dec 11, 2024 11:16
Dec 11, 2024 11:16
सामान्य फाइब्रो स्कैन की सीमाएं
मेडिकल गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभागाध्यक्ष, डॉ. सुमित रुंगटा ने बताया कि सामान्य फाइब्रो स्कैन मशीन से केवल 85 किलोग्राम तक वजन वाले मरीजों की जांच सटीक रूप से की जा सकती है। इससे अधिक वजन वाले मरीजों के लिए जांच में कठिनाई होती है। इस समस्या को हल करने के लिए एक्सएल प्रोब फाइब्रो स्कैन मशीन की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी।
एक्सएल प्रोब फाइब्रो स्कैन : इस तरह करेगी मदद
नई फाइब्रो स्कैन मशीन विशेष रूप से मोटे व्यक्तियों के लिवर की जांच के लिए डिजाइन की गई है। यह लिवर में वसा की मात्रा और कठोरता की सटीक जानकारी प्रदान करती है। इसके जरिए लिवर से संबंधित बीमारियों का शुरुआती चरण में ही पता लगाया जा सकता है, जिससे समय पर इलाज संभव हो सकेगा। डॉ. रुंगटा ने बताया कि इस अत्याधुनिक मशीन के लिए शासन को भेजे प्रस्ताव को मंजूरी मिल चुकी है। सरकार ने इस परियोजना के लिए 49 लाख रुपये स्वीकृत किए हैं। वर्तमान में मशीन की खरीद प्रक्रिया शुरू हो गई है और इसके अगले तीन महीनों में केजीएमयू में उपलब्ध होने की संभावना है।
लिवर जांच की प्रक्रिया होगी आसान
एक्सएल प्रोब फाइब्रो स्कैन सिस्टम मोटापे से पीड़ित मरीजों के लिवर में जमा वसा की सही मात्रा और कठोरता को मापने में सक्षम होगी। इससे लिवर से संबंधित गंभीर बीमारियों जैसे फैटी लिवर, सिरोसिस और अन्य विकारों की पहचान करना आसान हो जाएगा। बताया जा रहा है कि नई मशीन न केवल मोटे मरीजों के लिए वरदान साबित होगी, बल्कि लिवर से संबंधित बीमारियों के इलाज के तरीकों में भी बड़ा बदलाव लाएगी। इससे पहले, अधिक वजन वाले मरीजों की जांच में सटीकता की कमी के कारण उपचार में देरी या गलतियां होने की संभावना रहती थीं।
मोटापे से लिवर को होने वाले नुकसान
चिकित्सकों के अनुसार, मोटापा सिर्फ शरीर के वजन को बढ़ाने का ही कारण नहीं बनता, बल्कि यह लिवर के स्वास्थ्य को भी गंभीर रूप से प्रभावित करता है। जब शरीर में अतिरिक्त वसा जमा होती है, तो यह लिवर में वसा की परत के रूप में संग्रहित हो सकती है। इसे फैटी लिवर कहा जाता है, जो आगे चलकर लिवर की गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है।
फैटी लिवर : मोटापे का पहला प्रभाव
फैटी लिवर (Non-Alcoholic Fatty Liver Disease - NAFLD) मोटापे के कारण होने वाली सबसे सामान्य समस्या है। यह स्थिति तब पैदा होती है जब लिवर में वसा की मात्रा सामान्य से अधिक हो जाती है। यदि समय पर इसका इलाज न किया जाए, तो यह समस्या गंभीर सिरोसिस या लिवर फेल्योर का रूप ले सकती है।
लिवर सिरोसिस का खतरा
मोटापे से प्रभावित लिवर में सूजन और घाव बनने लगते हैं, जिसे स्टीटोहेपेटाइटिस कहा जाता है। यदि यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहती है, तो लिवर में स्थायी क्षति हो सकती है, जिसे सिरोसिस कहा जाता है। सिरोसिस के कारण लिवर के सही तरीके से काम करने की क्षमता खत्म हो जाती है।
लिवर कैंसर का बढ़ा जोखिम
मोटापा और फैटी लिवर के मामलों में लिवर कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है। अतिरिक्त वसा लिवर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाकर कैंसरकारी परिवर्तनों का कारण बन सकती है।
मोटापे से लिवर फेल्योर का खतरा
यदि मोटापे और लिवर की समस्याओं को समय पर नियंत्रित न किया जाए, तो यह लिवर फेल्योर का कारण बन सकता है। लिवर फेल्योर एक खतरनाक स्थिति है, जिसमें लिवर शरीर से विषैले पदार्थों को हटाने और पोषण को संसाधित करने में असमर्थ हो जाता है।
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