मोहन भागवत के बयान पर सपा ने उठाए सवाल : जियाउर्रहमान बर्क बोले- बच्चे ऊपर वाले की देन...

जियाउर्रहमान बर्क बोले- बच्चे ऊपर वाले की देन...
UPT | मोहन भागवत और जियाउर्रहमान बर्क

Dec 02, 2024 18:30

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने भारत में जनसंख्या वृद्धि की कमी को लेकर गहरी चिंता जताई है। रविवार को उन्होंने यह बयान दिया कि भारत की कुल प्रजनन दर (टीएफआर) को वर्तमान 2.1 के स्थान पर कम से कम 3 होना चाहिए...

Dec 02, 2024 18:30

Lucknow News : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने भारत में जनसंख्या वृद्धि की कमी को लेकर गहरी चिंता जताई है। रविवार को उन्होंने यह बयान दिया कि भारत की कुल प्रजनन दर (टीएफआर) को वर्तमान 2.1 के स्थान पर कम से कम 3 होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर जनसंख्या वृद्धि दर में कमी जारी रहती है, तो यह देश के भविष्य के लिए गंभीर समस्याएं उत्पन्न कर सकती हैं। इस पर समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने प्रतिक्रिया दी और मोहन भागवत के बयान पर सवाल उठाए।

बच्चे ऊपर वाले की देन- बर्क
जियाउर्रहमान बर्क ने कहा कि आरएसएस प्रमुख और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह स्पष्ट करना चाहिए कि असल में सही क्या है, क्योंकि उनके बयानों से देशवासियों में असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो रही है। बर्क ने यह भी कहा कि बच्चे ऊपर वाले की देन हैं और किसी को भी दुनिया में आने से रोकना नहीं चाहिए। उनके अनुसार, बच्चे पैदा करने को लेकर किसी भी प्रकार की मनाही या नियम नहीं होना चाहिए, क्योंकि यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है।



अपने स्वयंसेवकों को बच्चे पैदा करने को कहें- राम गोपाल यादव
आरएसएस प्रमुख के बयान पर सपा के महासचिव राम गोपाल यादव ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने मोहन भागवत को सलाह देते हुए कहा कि वह अपने स्वयंसेवकों को बच्चे पैदा करने को कहें। राम गोपाल यादव ने कहा कि अगर देश की जनसंख्या वृद्धि दर कम हो रही है, तो यह गंभीर चिंता का विषय है। मोहन भागवत के मुताबिक, जब किसी समाज की प्रजनन दर 2.1 से नीचे गिर जाती है, तो उस समाज के विलुप्त होने का खतरा बढ़ जाता है और यह बाहरी खतरे से नहीं बल्कि आंतरिक कारणों से हो सकता है।

क्या था मोहन भागवत का बयान
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि प्रजनन दर को 2.1 से ऊपर बनाए रखना देश के लिए आवश्यक है, क्योंकि यह समाज के सशक्त बने रहने के लिए महत्वपूर्ण है। उनके अनुसार, कुटुंब या परिवार समाज का अभिन्न अंग है और हर परिवार समाज के निर्माण में अहम भूमिका निभाता है। उन्होंने यह भी बताया कि भारत की जनसंख्या नीति, जो 1998 या 2002 के आसपास बनाई गई थी, उसके अनुसार जनसंख्या वृद्धि दर 2.1 से नीचे नहीं होनी चाहिए।

जनसंख्या बढ़ी तो संसाधनों की हो सकती है कमी
वहीं, एनसीपी (एसपी) के अध्यक्ष जयंत पाटिल ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय दी है। उनका कहना है कि अगर जनसंख्या वृद्धि दर और बढ़ती है, तो देश की स्थिति और भी जटिल हो सकती है। उन्होंने चेतावनी दी कि देश की आबादी पहले ही बहुत बढ़ चुकी है और अगर इसमें और वृद्धि होती है, तो पानी, अनाज और अन्य आवश्यक संसाधनों की कमी हो सकती है, जो कई समस्याएं उत्पन्न कर सकती हैं।

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