उत्तर प्रदेश के कई जिलों में साठा धान की फसल पर रोक है। तराई क्षेत्र में भूजल की कमी के कारण साठा धान की फसल पर रोक है।
बड़ी खबर : यूपी के इन जिलों साठा धान की खेती पर पाबंदी, जानें क्या है कारण...
![यूपी के इन जिलों साठा धान की खेती पर पाबंदी, जानें क्या है कारण...](https://image.uttarpradeshtimes.com/-27157.jpg)
Jun 27, 2024 13:27
Jun 27, 2024 13:27
इन जिलों में है प्रतिबंध
पर्यावरणविदों और जल संरक्षण के लिए सक्रिय गैर सरकारी संगठनों के निरंतर संघर्ष के कारण रामपुर और लखीमपुर खीरी के जिलाधिकारियों ने साठा धान की फसल पर प्रतिबंध लगा दिया है। साठा धान की फसल में सिंचाई के लिए भू-जल का उपयोग किया जाता है। ऐसे में पानी का अनावश्यक दोहन देखने को मिलता है। साथ ही यह फसल कृषि भूमि के पोषक तत्वों का दोहन करती है और उसकी उर्वरता भी कम करती है।
60 दिनों में तैयार होता है साठा धान
साठा चावल की फसल 60 दिन में तैयार हो जाती है, लेकिन इसे तैयार करने के लिए रोजाना पानी की जरूरत होती है। किसान इस फसल को लगातार 60 दिनों तक पानी देता है। साठा चावल के पौधे फरवरी में ही रोपने शुरू हो जाते हैं। पौधे करीब 30 दिन में तैयार हो जाते हैं। इसके बाद किसान सरसों, गेहूं और गन्ना काटकर महज 60 दिन में साठा चावल की फसल तैयार कर लेता है। इसके बाद उसी खेत में तुरंत चावल की दूसरी किस्म की फसल तैयार कर ली जाती है।
प्रकृति के विरुद्ध खिलवाड़
कृषि विज्ञान केंद्र ठाकुरद्वारा के प्रभारी डॉ. रविंद्र सिंह ने बताया कि गर्मी में धान की खेती पर रोक के बावजूद क्षेत्र के किसान प्रकृति से खिलवाड़ कर रहे हैं। भूगर्भ जलस्तर लगातार घट रहा है। उत्तराखंड से सटे यूपी के सीमावर्ती इलाकों के किसान ज्यादातर यह खेती कर रहे हैं। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि रोक के साथ ही सरकार को इस पर सख्त कानून भी बनाना चाहिए, तभी इस पर पूरी तरह से रोक लग सकती है। जैसे पंजाब सरकार ने गर्मी में धान की फसल उगाने पर कानून बनाकर पूरी तरह से रोक लगा दी है।
किसान संगठन पक्ष में नहीं
किसान संगठन भी साठा धान की खेती के पक्ष में नहीं है। लेकिन प्रदेश सरकार और खासकर कृषि मंत्री को इस नकदी फसल की जगह कोई और नकदी फसल की खेती का विकल्प बताना चाहिए जिससे किसान को साठा धान के बराबर आमदनी हो सके। यूपी के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि गिरता भू-जल स्तर सभी के लिए चिंता का विषय है। लगातार गिरते भू-जल स्तर के लिए साठा धान की बढ़ती खेती भी एक बड़ी वजह बन रही है। हम किसानों को साठा धान की जगह मोटे अनाज की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। जहां गिरते भू-जल स्तर के कारण समस्या बढ़ रही है, वहां जिलाधिकारी भी अपने स्तर पर फैसले ले रहे हैं।
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