उपभोक्ता परिषद ने हाल ही में बिहार में घटित घटना का उल्लेख करते हुए बताया कि वहां 18 लाख स्मार्ट प्रीपेड मीटरों के रिचार्ज नहीं होने से भारी हंगामा मचा हुआ है। सर्वर के ठप होने के कारण उपभोक्ता परेशान हैं। उत्तर प्रदेश में भी स्मार्ट प्रीपेड मीटर के अंदर आरटीसी (रियल टाइम क्लॉक) में कमियां का मतलब साफ है कि मीटर घटिया क्वालिटी का है।
स्मार्ट प्रीपेड मीटर : घटिया क्वालिटी में सुधार हुए बिना पेमेंट नहीं करेगा UPPCL, निजी घरानों पर कार्रवाई की मांग हुई तेज
Nov 07, 2024 14:59
Nov 07, 2024 14:59
- मीटर की कमियां दूर होने पर ही पास किया जाएगा यूजर एक्सेप्टेंस टेस्ट
- बिहार में खराब गुणवत्ता वाले 18 लाख स्मार्ट प्रीपेड मीटर रिचार्ज नहीं होने से मचा है हंगामा
- जीएमआर, पोलारिस और इंटेली स्मार्ट ने चार नोटिस जारी होने के बाद भी साधी चुप्पी
कंपनियों को भेजे जा चुके हैं कई नोटिस
प्रदेश में मध्यांचल विद्युत वितरण निगम (MVVNL), पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम (PVVNL), पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम (PUVVNL) और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम (DVVNL) में इंटेली स्मार्ट जीएमआर व पोलारिस टेंडर मिलने के बाद स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने का काम कर रहे हैं। यूपीपीसीएल की उच्च स्तरीय टीम की जांच में एलाइड इंजीनियरिंग वर्क्स (एईडब्ल्यू) में कमियां निकालने के बाद इन कंपनियों को इसे ठीक करने के लिए तीन से चार नोटिस भेजा जा चुके हैं। इसके बाद भी कंपनियां चुप्पी साधे हुए हैं। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने कंपनियों के इस रवैये पर नाराजगी जताई है। संगठन के कहना है कि कंपनियों का जवाब नहीं देना यह साबित करता है देश के निजी घराने कठोर कार्रवाई के बाद ही लाइन पर आएंगे। संगठन ने यूपीपीसीएल के अध्यक्ष और बिजली कंपनियों के प्रमुखों से घटिया स्मार्ट प्रीपेड मीटरों को तत्काल सही करने या उनकी जगह उच्च गुणवत्ता वाले मीटर लगाने की मांग की है। उपभोक्ता परिषद ने घटिया मीटर लगाने वाली निजी कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।
बिहार की घटना से सबक लेने की जरूरत
परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने पावर कॉरपोरेशन अध्यक्ष डॉ. आशीष कुमार गोयल से इस मामले पर चर्चा करते हुए कहा कि यदि घटिया मीटरों के कारण उपभोक्ता को किसी भी प्रकार की परेशानी होती है, तो इसके लिए जिम्मेदार कौन होगा? परिषद ने हाल ही में बिहार में घटित घटना का उल्लेख करते हुए बताया कि वहां 18 लाख स्मार्ट प्रीपेड मीटरों के रिचार्ज नहीं होने से भारी हंगामा मचा हुआ है। सर्वर के ठप होने के कारण उपभोक्ता परेशान हैं। उत्तर प्रदेश में भी स्मार्ट प्रीपेड मीटर के अंदर आरटीसी (रियल टाइम क्लॉक) में कमियां का मतलब साफ है कि मीटर घटिया क्वालिटी का है। संगठन ने कहा कि इस पर भी बड़ा सवाल यह है कि पावर कारपोरेशन के बार-बार पत्र लिखने के बाद भी मीटर कंपनियां जवाब तक नहीं दे रही है जो गंभीर मामला है।
275,000 मीटरों में से 1.5 लाख घटिया
उत्तर प्रदेश में वर्तमान में 2.75 लाख स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगे हैं, जिनमें से लगभग 1.5 लाख मीटर एलाइड इंजीनियरिंग वर्क्स (AEW) द्वारा बनाए गए हैं। इन मीटरों में कमियां पाई गईं, जिससे पावर कारपोरेशन में हड़कंप की स्थिति है। परिषद ने सवाल उठाया कि जब मीटरों में कमियां स्पष्ट रूप से सामने आईं, तो बिजली कंपनियां क्यों चुप रहीं और उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई? परिषद ने यह मांग की कि इन कंपनियों को भविष्य में ऐसे घटिया मीटरों की आपूर्ति से रोकने के लिए कड़े प्रतिबंध लगाए जाएं।
पावर कारपोरेशन का जवाब और आश्वासन
पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष डॉ. गोयल ने परिषद को आश्वस्त किया कि किसी भी घटिया मीटर निर्माता कंपनी को उत्तर प्रदेश में काम नहीं करने दिया जाएगा। कहीं भी क्वालिटी के साथ कोई समझौता नहीं होगा। उन्होंने कहा कि जब तक मीटरों की कमियां दूर नहीं होगी, तब तक किसी भी कंपनी को भुगतान नहीं किया जाएगा। ना ही कंपनी का यूजर एक्सेप्टेंस टेस्ट (यूएटी) ही पास किया जाएगा। सबसे पहले उच्च गुणवत्ता का मीटर उत्तर प्रदेश में देना होगा। उन्होंने कहा कि परियोजना की हर स्तर पर निगरानी की जा रही है और उपभोक्ताओं के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा।
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