सुभासपा ने उत्तर प्रदेश कार्यकारिणी के साथ साथ पूर्वांचल, मध्यांचल, बुंदेलखंड और पश्चिमांचल की मुख्य इकाई के साथ सभी मोर्चों एवं प्रकोष्ठों को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया है।
UP Politics: सुभासपा ने यूपी सहित अन्य कार्यकारिणी की भंग, लोकसभा चुनाव में हार के बाद बड़ा फैसला
Jun 22, 2024 12:05
Jun 22, 2024 12:05
- लोकसभा चुनाव में पार्टी खाता खोलने में रही नाकाम
- विधानसभा चुनाव 2027 को लेकर संगठन को मजबूत करने की कोशिश
ये कार्यकारिणी की गई भंग
सुभासपा के राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव डॉ. अरविंद राजभर ने शनिवार को बताया कि उत्तर प्रदेश कार्यकारिणी के साथ-साथ पूर्वांचल, मध्यांचल, बुंदेलखंड और पश्चिमांचल (प्रदेश मंडल, जिला, विधानसभा, ब्लॉक) की मुख्य इकाई के साथ सभी मोर्चों एवं प्रकोष्ठों को तत्काल प्रभाव से भंग किया जाता है। लोकसभा चुनाव में हार के बाद अब पार्टी का फोकस आने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर है। मिशन 2027 के तहत पार्टी नई कार्यकारिणी का गठन करेगी। बताया जा रहा है कि हार की समीक्षा में सामने आए कई बिंदुओं के आधार पर नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।
जातीय समीकरण साधने में फेल हुई सुभासपा
इस बार का लोकसभा चुनाव सुभासपा के लिए निराशाजनक रहा। एनडीए गठबंधन के सहयोगी के रूप में उसे घोसी लोकसभा सीट मिली थी। लेकिन, जाति विशेष की राजनीति करने वाले ओमप्रकाश राजभर अपने बेटे अरविंद राजभर तक को जीत दिलाने में नाकाम रहे। यहां की तक भाजपा की ओर से उनके पक्ष में की गई कोशिश भी बेकार साबित हुई। सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर खुद को भर व राजभर की 17 जातियों का नेता बताने का दावा करते रहे हैं। पूर्वांचल की वाराणसी, जौनपुर, चंदौली, गाजीपुर, आजमगढ़, देवरिया, बलिया, मऊ, गोरखपुर सहित करीब 24 सीटों पर इन जातियों का प्रभाव माना जाता है। हालांंकि लोकसभा चुनाव में राजभर का दावा पूरी तरह फेल साबित हुआ।
अरविंद राजभर को मिली घोसी से शिकस्त
सुभासपा प्रत्याशी अरविंद राजभर यहां समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी राजीव राय से 162943 मतों से हार गए। राजीव राय को 503131 मत और अरविंद राजभर को 340188 वोट मिले। इसके अलावा अरविंद राजभर आस-पास की सीटों सलेमपुर, बलिया, गाजीपुर, चंदौली, जौनपुर में भी भाजपा को राजभर अपनी बिरादरी के वोट नहीं दिलाने में सफल नहीं हुए। इसकी वजह से भाजपा को भी नुकसान हुआ और पार्टी यूपी में 33 सीटों पर सिमट गई, जबकि समाजवादी पार्टी 37 सीटों के साथ यूपी में सबसे बड़ी पार्टी बनने में कामयाब हुई।
हार के बाद सहयोगी दल दबाव में
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक अपेक्षित परिणाम नहीं मिलने के बाद भाजपा संगठन जहां हार की समीक्षा करने में जुटा हुआ है और हारने वाले प्रत्याशियों से लेकर अन्य नेताओं से फीडबैक लिए जा रहे हैं, जनपदों में भेजी गई टास्क फोर्स की रिपोर्ट के आधार पर आगे का कदम उठाया जाएगा। वहीं उसके सहयोगी दलों पर भी दबाव है। अपना दल सोनेलाल की सुप्रीमो अनुप्रिया पटेल भी कार्यकारिणी भंग कर चुकी हैं। अब सुभासपा ने भी यही कदम उठाया है। लोकसभा चुनाव में लचर प्रदर्शन के बाद सहयोगी दल भाजपा पर विधानसभा चुनाव 2027 को लेकर ज्यादा दबाव बनाने की स्थिति में नहीं हैं। इसलिए वह अभी से संगठन में बदलाव कर नई कार्यकारिणी के जरिए संतुलन साधने में जुट गए हैं, जिससे विधानसभा चुनाव तक पार्टी को मजबूती दी जा सके।
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