सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियन को सही ठहराते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला पलट दिया है। देश की सबसे बड़ी अदालत से आए फैसले के बाद बसपा, सपा और कांग्रेस ने भाजपा पर निशाना साधा है।
सुप्रीम कोर्ट का यूपी मदरसा एक्ट पर फैसला : मायावती बोलीं- सही से अमल जरूरी, सपा-कांग्रेस ने भाजपा पर साधा निशाना
Nov 05, 2024 15:49
Nov 05, 2024 15:49
सुप्रीम कोर्ट ने निजी सम्पत्ति के अधिग्रहण को रोका
मायावती ने आगे लिखा-सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब खासकर यूपी के मदरसों को मान्यता मिलने और उनके सुचारू संचालन में स्थायित्व आने की संभावना है। अदालत ने कहा कि मदरसा एक्ट के प्रावधान संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप हैं और ये धार्मिक अल्पसंख्यकों के शैक्षिक अधिकारों की सुरक्षा करते हैं। साथ ही सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों की बेंच द्वारा हर निजी सम्पत्ति को संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) के तहत सामुदायिक सम्पत्ति का हिस्सा नहीं मानना व इसका अधिग्रहण करने से रोकने के फैसले का भी स्वागत। अब तक सरकार के पास आम भलाई के लिए सभी निजी सम्पत्तियों को अधिगृहित करने का अधिकार था।
भाजपा को सवाल से दिक्कत
सपा नेता फखरुल हसन चांद ने कहा कि शिक्षा सवाल खड़े करती है। सवाल पूछती है। भाजपा को सवाल से दिक्कत है। फिर वो शिक्षा चाहे प्राथमिक विद्यालय से मिल रही हो या मदरसे से। सुप्रीम कोर्ट से मदरसा एक्ट पर आए फैसले का हम खुले दिल से स्वागत करते हैं। भाजपा ने हमेशा लोगों को शिक्षा से वंचित करने का काम किया है। सपा प्रवक्ता फखरुल हसन ने कहा कि राज्य में जब सपा की सरकार थी तब मदरसों के आधुनिकीकरण को लेकर फैसले किए गए। भाजपा ने प्राथमिक विद्यालयों और मदरसों को लेकर हमेशा राजनीति की है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अगस्त 2015 में मदरसों में शिक्षा कैसी दी जाए और कंप्यूटर की हिंदी इंग्लिश की पढ़ाई लागू करने का काम किया था। भाजपा ने लोगों को शिक्षा से वंचित करने का काम किया है।
भाजपा शिक्षा से कोई लेना देना नहीं
कांग्रेस प्रवक्ता अंशू अवस्थी ने कहा कि भाजपा सरकार को अपनी जन विरोधी मानसिकता के चलते बार-बार उच्चतम न्यायालय से फटकार पड़ती है। इसके बावजूद वह व्यवस्थाएं बिगाड़ने से बाज नहीं आ रही है। 69 हजार शिक्षक भर्ती और बुलडोजर के मामले में उच्चतम न्यायालय ने फटकार लगाई। आज मदरसों के मामले में फिर भाजपा की किरकिरी हुई है। लेकिन ये स्कूलों के बंद करने की नियत रखने वाले शिक्षा विरोधी लोग सबक नहीं लेते। भाजपा की नीतियां जनविरोधी हैं। उसे शिक्षा से कोई लेना देना नहीं है। शिक्षा व्यवस्था को रोकने का किसी को अधिकार नहीं है। उच्चतम न्यायालय का निर्णय स्वागत योग्य है। भाजपा को अदालत के फैसले से सीख लेनी चाहिए।
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