नगर निगम द्वारा व्यापारियों को लेकर लिए गए फैसले के खिलाफ अब उत्तर प्रदेश आदर्श व्यापार मंडल मोर्चा खोलने जा रहा है।
नए लाइसेंस शुल्क को लेकर लखनऊ के व्यापारियों में नाराजगी : मेयर से मिलकर दर्ज कराएंगे विरोध
Sep 03, 2024 18:59
Sep 03, 2024 18:59
मेयर से मुलाकात कर डाला जाएगा दबाव
उत्तर प्रदेश आदर्श व्यापार मंडल व्यापारियों के हितों और उनसे जुड़ी समस्याओं को वक्त वक्त पर उठता रहता है। इस संगठन से सैकड़ों लखनऊ के भी व्यापारी जुड़़े हैं। उत्तर प्रदेश आदर्श व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष संजय गुप्ता वैसे तो भारतीय जनता पार्टी में पिछले कुछ वक्त पहले जुड़े हैं। लेकिन, व्यापारियों से जुड़े मामलों पर वह अपनी ही पार्टी के विरुद्ध भी खड़े हो जाते हैं। नगर निगम के लाइसेंस शुल्क के फैसले के खिलाफ आदर्श व्यापार मंडल खड़ा हो गया है। व्यापार मंडल जल्द ही इसको लेकर भाजपा के नेताओं से भी मुलाकात कर नगर निगम के फैसले को वापस लेने का दबाव डालेगा।
सालाना चार हजार से लेकर 20 हजार तक शुल्क वसूलने की तैयारी
दरअसल लखनऊ में चाय की दुकान से लेकर जिम, ब्यूटी पार्लर, ज्वैलरी शोरूम, कपड़े-जूतों के ब्राण्डेड शोरूम, बेकरी चलाने वालों तक को नगर निगम को लाइसेंस शुल्क देना होगा। सालाना चार हजार से लेकर 20 हजार रुपये तक शुल्क देना होगा। नगर निगम सदन की बैठक में सोमवार को 21 प्रकार के प्रतिष्ठानों पर नया लाइसेंस शुल्क लगाने का प्रस्ताव रखा गया। वहीं, होटलों व अस्पतालों के 10 श्रेणी में शुल्क बढ़ाने का प्रस्ताव भी आया। इनका लाइसेंस शुल्क पांच गुना तक बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया। सदन ने चर्चा के बाद इन प्रस्तावों को परीक्षण के लिए कमेटी के पास भेज दिया। कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद इन्हें लागू किया जाएगा।
21 तरह की दुकानों व प्रतिष्ठानों को बनवाना होगा लाइसेंस
नगर निगम सदन की बैठक में नगर आयुक्त इन्द्रजीत सिंह ने प्रतिष्ठानों व दुकानों पर नए लाइसेंस शुल्क लगाने का ये प्रस्ताव रखा। प्रस्ताव के मुताबिक 21 तरह की दुकानों व प्रतिष्ठानों को प्रति वर्ष एक अप्रैल से 30 जून के बीच लाइसेंस बनवाना होगा। निर्धारित समय में लाइसेंस नहीं बनवाने पर विलम्ब शुल्क व जुर्माना देना होगा। नगर निगम के नोटिस देने के बावजूद लाइसेंस शुल्क नहीं बनवाया जाता है तो इसकी वसूली आरसी जारी करके की जाएगी। फिलहाल इसे लागू होने में कुछ वक्त लगेगा। सदन में इसके लिए कमेटी बनाने का प्रस्ताव पास किया गया। कमेटी प्रस्ताव का परीक्षण कर अपनी रिपोर्ट देगी। फिर इसे मंजूरी के लिए शासन को भेजा जाएगा। शासन से निर्देश मिलने के बाद फिर कार्यकारिणी व सदन से पास कराकर लागू किया जाएगा।
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