बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के सूक्ष्मजीव विशेषज्ञ डॉ. दिग्विजय वर्मा और सूक्ष्मजीव अनुसंधान में रूचि रखने वाले कम्प्यूटेशनल बायोलॉजिस्ट डॉ. यूसुफ अख्तर को केन्द्र सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय से प्रतिष्ठित कोर रिसर्च ग्रांट मिला है।
Lucknow News : अम्बेडकर विश्वविद्यालय के दो शिक्षकों को मिला शोध अनुदान, धुआं रहित तंबाकू से मौखिक स्वास्थ्य पर प्रभाव का करेंगे अध्ययन
Oct 28, 2024 16:49
Oct 28, 2024 16:49
हर साल तम्बाकू के सेवन से लगभग 80 लाख लोगों की मौत
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, हर साल तम्बाकू के सेवन से लगभग 80 लाख लोगों की मृत्यु होती है, जिनमें से अधिकांश लगभग 80 प्रतिाश्त निम्न और मध्यम आय वाले देशों जैसे भारत से आते हैं। तम्बाकू का जटिल रासायनिक संघटन मानव स्वास्थ्य पर इसके विभिन्न हानिकारक प्रभावों को और अधिक बढ़ाता है। स्मोकलेस टोबैको उत्पादों में अकेले लगभग 4000 रसायन होते हैं। जिनमें से कई हानिकारक मुंह में पाए जाने वाले बैक्टीरिया जैसे स्ट्रेप्टोकोकस म्यूटन्स और स्टैफिलोकोकस ऑरियस के प्रजनन और बायोफिल्म निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए जाने जाते हैं। बायोफिल्म जटिल घटकों से बने ऐसे बहुलक (पॉलीमर) होते हैं जो दवाइयों को रोगजनक बैक्टीरिया तक नहीं पहुंचने देते और ये एंटीबायोटिक प्रतिरोध कारक होते हैं। निकोटीन, तम्बाकू के प्रमुख उत्तेजक पदार्थों में से एक, इन रोगजनक बैक्टीरिया में बायोफिल्म निर्माण को बढ़ावा देता है। लेकिन डॉ. वर्मा और डॉ. अख्तर का अध्ययन अन्य तम्बाकू रसायन की बायोफिल्म निर्माण और विषाणुता से जुड़े प्रोटीन अणुओं के साथ उनके मिलन की अंतः क्रियाओं पर पहली बार रेशनी डालेगा।
प्रोटीन मेटाबोलाइट्स का विश्लेषण
इस परियोजना में प्रोटीन मेटाबोलाइट्स की जटिल अंतः क्रियाओं का विश्लेषण करने के लिए अत्याधुनिक उच्च-थ्रूपुट मॉलिक्यूलर डॉकिंग और डायनामिक्स सिमुलेशन का प्रयोग किया जाएगा। यह अध्ययन हमें यह समझने में मदद करेगा कि स्मोकलेस टोबैको कैसे बैक्टीरिया की विषाणुता और प्रतिरोध को बढ़ावा देता है। इसके बाद सूक्ष्मजीव प्रयोगशाला में विभिन्न बायोफिल्म अध्ययनों का उपयोग करके विशिष्ट मेटाबोलाइट्स का रोगजनक, एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी बैक्टीरिया पर प्रभाव का मूल्यांकन किया जाएगा।
तंबाकू से होने वाले जोखिमों का होगा खुलासा
इस शोध के परिणाम सार्वजनिक स्वास्थ्य जागरूकता पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं। विशेषकर स्मोकलेस टोबैको उपयोगकर्ताओं के बीच क्योंकि इससे तम्बाकू संबंधित बैक्टीरिया द्वारा उत्पन्न मौखिक स्वास्थ्य जोखिमों का खुलासा होगा। ये परिणाम भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) और खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) जैसे नियामक निकायों को सख्त दिशा-निर्देशों को तैयार करने में भी सहायता कर सकते हैं। इस शोध परिणाम भारत सरकार द्वारा सिगरेट और अन्य तम्बाकू उत्पाद अधिनियम, 2003 (COTPA) को और अधिक सख्त बनाने के प्रयासों को और मज़बूती दे सकता है।
मुंह में होने वाले रोगों को कम करने में अहम कदम
यह शोध तम्बाकू खाने वालों में बैक्टीरिया जनित मुंह में होने वाले रोगों को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। साथ ही बायोफिल्म निर्माण और एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी रोगजनकों को लक्षित करने वाली नई दवाओं के विकास में भी सहायक साबित हो सकता है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एनएमपी वर्मा ने विभाग के अन्य शिक्षकों, शोधार्थियों ने भी दोनों शिक्षकों को बधाई और शुभकामनाएं दीं।
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