पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम के अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि 23 अक्टूबर तक 34836 स्मार्ट मीटर लगाए गए थे। इनमें से केवल 36 मीटर ही चेक मीटर के रूप में स्थापित किए गए हैं। यह संख्या कुल मीटरों का सिर्फ 0.1 प्रतिशत है। इसी प्रकार मध्यांचल और पूर्वांचल में भी अधिकारियों ने 30 से 35 मीटर चेक मीटर के रूप में लगाने की बात स्वीकार की।
यूपी में 1.50 लाख से ज्यादा प्रीपेड मीटर में सिर्फ 100 ही चेक मीटर : घटिया क्वालिटी छुपाने को कंपनियां कर रहीं खेल
Oct 29, 2024 18:10
Oct 29, 2024 18:10
उत्तर प्रदेश में स्मार्ट मीटर स्थापना में अनियमितता
उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल, दक्षिणांचल, मध्यांचल और पश्चिमांचल क्षेत्रों में लाखों स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जा चुके हैं। पूर्वांचल में एक लाख से अधिक, दक्षिणांचल और मध्यांचल में 10 से 20 हजार और पश्चिमांचल में 34,836 स्मार्ट मीटरों की स्थापना हो चुकी है। लेकिन कंपनियां, 5 प्रतिशत सीमा तक चेक मीटर स्थापित नहीं कर रही हैं, जिससे उपभोक्ताओं को आशंका हो रही है कि स्मार्ट मीटर अधिक तेजी से चल सकते हैं। कंपनियों की इस लापरवाही पर बिजली कंपनियों के उच्च अधिकारी भी चुप्पी साधे हुए हैं।
उपभोक्ता परिषद ने उठाए सवाल
उत्तर प्रदेश विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष और राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने सभी बिजली कंपनियों में स्मार्ट प्रीपेड मीटरों का कार्य देख रहे उच्च अधिकारियों से संपर्क किया। वर्मा ने कहा कि मध्यांचल विद्युत वितरण निगम (MVVNL), पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम (PUVVNL), दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम (DVVNL) व पावर कारपोरेशन (UPPCL) के निदेशक कमर्शियल निधि कुमार नारंग को एक बार फिर मामले से अवगत कराया है। अधिकारियों ने दबी जुबान में स्वीकार किया कि 5 प्रतिशत चेक मीटर का मानदंड पूरी तरह से लागू नहीं किया गया है। पूरे प्रदेश में मुश्किल से 100 स्मार्ट प्रीपेड मीटर चेक मीटर के रूप में स्थापित किए गए हैं, जो कि निर्धारित सीमा से बेहद कम है।
पश्चिमांचल में चौंकाने वाला खुलासा
पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम के अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि 23 अक्टूबर तक 34836 स्मार्ट मीटर लगाए गए थे। इनमें से केवल 36 मीटर ही चेक मीटर के रूप में स्थापित किए गए हैं। यह संख्या कुल मीटरों का सिर्फ 0.1 प्रतिशत है। इसी प्रकार मध्यांचल और पूर्वांचल में भी अधिकारियों ने 30 से 35 मीटर चेक मीटर के रूप में लगाने की बात स्वीकार की। परिषद के अनुसार, बिजली कंपनियां स्मार्ट मीटर निर्माता कंपनियों पर कोई सख्त कार्यवाही नहीं कर रही हैं, जो कि उपभोक्ताओं की हितों के खिलाफ है।
कठोर कार्रवाई और उच्च स्तरीय जांच की मांग
अवधेश कुमार वर्मा ने इस पूरे मामले पर उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उपभोक्ताओं को पुराने मीटर और स्मार्ट प्रीपेड मीटर की तुलना से उनकी विश्वसनीयता का विश्वास दिलाना आवश्यक है। इसके साथ ही, स्मार्ट मीटर लगाने वाली कंपनियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई का आह्वान किया गया है ताकि इस अनियमितता को दूर किया जा सके।
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