यूपी में बिजली दरें नहीं बढ़ेंगी: विद्युत नियामक आयोग ने आदेश किया जारी, उपभोक्ता परिषद बोला- रंग लाई लड़ाई

विद्युत नियामक आयोग ने आदेश किया जारी, उपभोक्ता परिषद बोला- रंग लाई लड़ाई
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Oct 10, 2024 20:40

विद्युत नियामक आयोग ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए राज्य की बिजली वितरण कंपनियों (DISCOMs) के लिए नई टैरिफ दरें जारी की हैं। इस नए आदेश में उपभोक्ताओं के लिए राहत की खबर है, क्योंकि लगातार पांचवें वर्ष भी बिजली दरों में कोई वृद्धि नहीं की गई है।

Oct 10, 2024 20:40

Lucknow News : उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (UPERC) ने अहम फैसला करते हुए उपभोक्ताओं को बड़ी राहत प्रदान की है। आयोग ने राज्य में बिजली दरे नहीं बढ़ाने का निर्णय किया है। इस संबंध में गुरुवार को आदेश जारी कर दिया गया। इसके तहत अगले एक वर्ष के लिए उपभोक्ताओं पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं डाला जाएगा। 

वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए नई टैरिफ दरें जारी 
विद्युत नियामक आयोग ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए राज्य की बिजली वितरण कंपनियों (DISCOMs) के लिए नई टैरिफ दरें जारी की हैं। इस नए आदेश में उपभोक्ताओं के लिए राहत की खबर है, क्योंकि लगातार पांचवें वर्ष भी बिजली दरों में कोई वृद्धि नहीं की गई है। त्योहारों के मौसम में नियामक आयोग के इस फैसले का उपभोक्ता संगठनों ने स्वागत किया है। वहीं आयोग का फैसला उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। यूपीपीसीएल के अधिकारी पहले दिन से आयोग के समक्ष ​दरें ​बढ़ाने के लिए कई तर्कों का सहारा ले रहे थे। इसे लेकर सुनवाई में भी उन्होंने कई बार अपना पक्ष रखा, वहीं उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद इसका पुरजोर विरोध करता नजर आया। संगठन से इसे उपभोक्ताओं की जीत करार दिया है। 



काम नहीं आया पावर कारपोरेशन का दबाव
उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग का यह फैसला इसलिए भी अहम है, क्योंकि लगातार पांचवें साल बिजली की दरों को नहीं बढ़ाने का निर्णय किया गया है। इसके लिए आयोग के कार्यालय में कई दिनों से माथा पच्ची हो रही थी और पावर कारपोरेशन के अधिकारी अपने तर्कों के जरिए दबाव बनाने में जुटे थे। उपभोक्ता परिषद बिजली दरें बढ़ाने के बजाय कम करने की दलील दे रहा था। संगठन ने हर सुनवाई में तर्क दिया कि उपभोक्ताओं के हजारों करोड़ रुपये पावर कारपोरेशन पर पहले से ही सरप्लस के रूप में मौजूद हैं। ऐसे में राज्य में बिजली दरें बढ़ाने का सवाल ही नहीं उठता, बल्कि इसमें कमी की जानी चाहिए। 

यूपीपीसीएल ने 11203 करोड़ के घाटे का किया जिक्र 
इससे पहले पावर कारपोरेशन के एमडी पंकज कुमार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में 11203 करोड़ के घाटे का जिक्र करते हुए आयोग से इस आधार पर फैसला करने की अपील की थी। वहीं उपभोक्ताओं की तरफ से अवधेश कुमार वर्मा ने बिजली कंपनियों के 11203 करोड़ रुपये के घाटे को दिखावा करार दिया। उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि  मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन के मानक से इसका परीक्षण किया जाएगा तो यह घाटा समाप्त हो जाएगा। उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर सरप्लस है। इस पर बात होनी चाहिए। उपभोक्ताओं की यह रकम लौटाने के लिए या तो एक साथ 40 फीसदी या फिर अगले पांच वर्षों तक बिजली दरें आठ फीसदी कम की जानी चाहिए।

विद्युत नियामक आयोग ने 10 जून को स्वीकार किया था प्रस्ताव
दरअसल बिजली कंपनियों की ओर से दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्यकता और विजली दर संबंधी प्रक्रिया को विद्युत नियामक आयोग ने विगत 10 जून को स्वीकार किया था। विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 64 (3) के अंतर्गत् वार्षिक राजस्व किए जाने के 120 दिन के अंदर नई बिजली दर की घोषण करान जरूरी है। इसके बावजूद 120 दिन पूरे हो जाने के बाद भी आयोग नई बिजली दर को लेकर निर्णय नहीं कर सका। वहीं गुरुवार को अगले एक साल के लिए उपभोक्ताओं को बड़ी राहत प्रदान करते हुए दरों में वृद्धि नहीं करने का आदेश जारी किया गया। 

रंग लाई उपभोक्ता परिषद की लड़ाई
उत्तर प्रदेश विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा ने इसे संगठन की लड़ाई की जीत बताया। उन्होंने कहा कि आयोग के नई बिजली दर के एलान के साथ उपभोक्ता परिषद की लड़ाई रंग लाई है।  इसके साथ ही उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है, जहां पांचवें साल भी बिजली दरों में नहीं कोई वृद्धि नहीं गई है। इस तरह पुरानी बिजली दरें यथावत रहेंगी। अवधेश वर्मा ने कहा कि अब बिजली उपभोक्ताओं का निकल रहे 33122 करोड़ के एवज में दरों में कमी के लिए आगे की लड़ाई लड़ी जाएगी।

प्रमुख बिंदु:
  • सभी उपभोक्ता श्रेणियों के लिए बिजली दरें अपरिवर्तित रखी गई हैं।
  • हरित ऊर्जा टैरिफ को 0.44 रुपये प्रति यूनिट से घटाकर 0.36 रुपये प्रति यूनिट किया गया है।
  • राज्य परिवहन विभाग के इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशनों पर सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों के समान टैरिफ दरें लागू होंगी।
  • क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) पर मेट्रो रेल सेवाओं के समान टैरिफ लागू होगा।
  • वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए कुल 96,225.02 करोड़ रुपये का वार्षिक राजस्व आवश्यकता (ARR) मंजूर किया गया है।
  • राज्य सरकार 17,511.88 करोड़ रुपये की सब्सिडी प्रदान करेगी, जो पिछले वर्ष से 2,900 करोड़ रुपये अधिक है।
  • 3 से 5 किलोवाट के अनुबंधित लोड वाले उपभोक्ता अब तीन-फेज कनेक्शन के लिए आवेदन कर सकेंगे।
  • बिलों का वितरण ई-मेल या व्हाट्सएप सहित इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से किया जा सकेगा।
  • स्मार्ट मीटर के डिस्कनेक्शन और रीकनेक्शन से संबंधित 50 रुपये का शुल्क समाप्त कर दिया गया है।
  • सभी टैरिफ आदेश UPERC की वेबसाइट www.uperc.org पर अपलोड कर दिए गए हैं।

 

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