किसानों में बढ़ा केले की खेती का क्रेज : यूपी में 3.172 लाख मीट्रिक टन उत्पादन

यूपी में 3.172 लाख मीट्रिक टन उत्पादन
UPT | यूपी में 3.172 लाख मीट्रिक टन हो रहा केले का उत्पादन

Oct 07, 2024 16:13

किसानों के लिए केले की खेती एक लाभदायक विकल्प बन चुकी है, क्योंकि यह कम समय में तैयार होने वाली नकदी फसल है। इसके साथ ही, पूरे साल मांग बनी रहती है, जिससे किसानों को स्थिर आय की संभावना मिलती है।

Oct 07, 2024 16:13

Lucknow News : उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए केले की खेती एक लाभदायक विकल्प बन चुकी है, क्योंकि यह कम समय में तैयार होने वाली नकदी फसल है। इसके साथ ही, पूरे साल मांग बनी रहती है, जिससे किसानों को स्थिर आय की संभावना मिलती है। प्रदेश के विभिन्न जिलों जैसे कुशीनगर, गोरखपुर, देवरिया, बस्ती, और अन्य क्षेत्रों में केले की खेती तेजी से बढ़ रही है।   

सरकार की सहायता से फसल की वृद्धि
सरकार, केले की प्रति हेक्टेयर खेती पर करीब 31 हजार रुपये का अनुदान दे रही है। पारदर्शी तरीके से अनुदान पर मिलने वाले कृषि यंत्रों का वितरण और सिंचाई के अपेक्षाकृत प्रभावी ड्रिप और स्प्रिंकलर और सोलर पंप पर मिलने वाले अनुदान से किसानों का क्रेज केले जैसी नकदी फसलों की ओर और बढ़ा है।



दक्षिण से उत्तर भारत तक का सफर
परंपरागत रूप से केला दक्षिण भारत की फसल मानी जाती थी। लेकिन कुछ दशकों पहले महाराष्ट्र के भुसावल क्षेत्र में इसकी खेती शुरू हुई, और वहां का हरी छाल केला उत्तर भारत के बाजार में प्रसिद्ध हो गया। करीब 20 साल पहले, बिहार के नौगछिया के केले ने भुसावल के हरी छाल को प्रतिस्पर्धा में पीछे छोड़ दिया, और अब कुशीनगर के किसान बड़े पैमाने पर केले की खेती कर रहे हैं।

यूपी में केला उत्पादन का आंकड़ा  
केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ के आंकड़ों के अनुसार भारत में लगभग 3.5 करोड़ मीट्रिक टन केले का उत्पादन होता है, जिसमें यूपी में करीब 70 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल पर केले की खेती की जा रही है। राज्य का कुल उत्पादन 3.172 लाख मीट्रिक टन है, और प्रति हेक्टेयर उपज 45.73 मीट्रिक टन है।

आर्थिक-धार्मिक महत्त्व रखता है केला
केला केवल आर्थिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि धार्मिक और पोषण के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। कई धार्मिक अनुष्ठानों में केला और इसके पत्ते का उपयोग होता है। इसके अलावा, केला नाश्ते में शामिल किया जाता है और व्रतों के दौरान भी इसका सेवन होता है। केले के कच्चे और पके फल, साथ ही तने से निकलने वाले रेशे से कई सह उत्पाद बनाए जा रहे हैं। केला उन कुछ फलों में से है जो पूरे साल उपलब्ध रहता है, जबकि अधिकांश मौसमी फल सीमित समय तक ही मिलते हैं। केले को बिना धोए या काटे ही खा सकते हैं, जो इसे विशेष बनाता है।

हृदय रोग के जोखिम को करता है कम 
केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के निदेशक टी. दामोदरन ने बताया की केला पोषण के लिए महत्वपूर्ण है। यह पोटैशियम, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन बी-6 का अच्छा स्रोत है। पोटैशियम उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है और हृदय रोग के जोखिम को 27 प्रतिशत तक कम कर सकता है। संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक प्रभात कुमार शुक्ला ने बताया की केला दैनिक विटामिन बी-6 की आवश्यकताओं का लगभग एक चौथाई प्रदान कर सकता है। यह विटामिन लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन और शरीर में कार्बोहाइड्रेट और वसा के चयापचय के लिए आवश्यक है, और ऊर्जा के उत्पादन में मदद करता है।

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