जसवीर सिंह न केवल पुलिस सेवा में रहे बल्कि उन्हें संगीत का भी गहरा शौक है। उन्होंने अपने म्यूजिक एल्बम भी लॉन्च किए हैं, जो मार्केट में उपलब्ध हैं। हालांकि, उनके कार्यकाल में विवादों की भी कमी नहीं रही और विभिन्न आरोपों के चलते सरकार उनके जवाबों से असंतुष्ट रही।
UP Police : एडीजी जसवीर सिंह को सरकार ने किया सेवामुक्त, पांच साल से चल रहे थे निलंबित, जानें पूरा मामला
Nov 07, 2024 10:11
Nov 07, 2024 10:11
सरकारी नीतियों पर आलोचनात्मक बयानबाजी
फरवरी 2019 में जसवीर सिंह ने एक इंटरव्यू में शासन की नीतियों और कार्यप्रणाली पर खुलकर सवाल उठाए थे। उन्होंने अपनी पूर्व तैनाती के दौरान सामने आए मुद्दों, एनकाउंटर नीति, अधिकारियों के तबादलों और तैनाती में कथित पक्षपात पर खुलकर आलोचना की थी।
बिना अनुमति के छुट्टी लेने का मामला
प्रदेश सरकार ने जसवीर सिंह को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। हालांकि, उन्होंने इसका कोई जवाब नहीं दिया और बिना अनुमति के छुट्टी पर चले गए। इसके चलते उत्तर प्रदेश पुलिस आचरण नियमावली के उल्लंघन में उन्हें 14 फरवरी, 2019 को निलंबित किया गया था। उनके खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू की गई थी।
राजा भैया के खिलाफ कार्रवाई में रहे चर्चा में
प्रतापगढ़ में पुलिस अधीक्षक और फूड सेल में तैनाती के दौरान जसवीर सिंह ने रघुराज प्रताप सिंह 'राजा भैया' के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की, जिससे वे काफी चर्चित रहे। इसके बाद, एडीजी होमगार्ड के पद पर रहते हुए भी उन्होंने भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर किया। बाद में उन्हें रूल्स एंड मैनुअल्स विभाग में भेज दिया गया, जहां उन्हें कम महत्व वाला काम सौंपा गया।
संगीत प्रेमी हैं आईपीएस अफसर जसवीर सिंह
जसवीर सिंह न केवल पुलिस सेवा में रहे बल्कि उन्हें संगीत का भी गहरा शौक है। उन्होंने अपने म्यूजिक एल्बम भी लॉन्च किए हैं, जो मार्केट में उपलब्ध हैं। हालांकि, उनके कार्यकाल में विवादों की भी कमी नहीं रही और विभिन्न आरोपों के चलते सरकार उनके जवाबों से असंतुष्ट रही। इसी आधार पर उनकी सेवाएं समाप्त करने का निर्णय किया गया। बताया जा रहा है कि निलंबन के बाद से जसवीर ने अपनी बहाली की कोशिश भी नहीं की। उन्होंने अपना पक्ष नहीं रखा और निलंबन के विरोध में मुख्यमंत्री या मुख्य सचिव के यहां अपील भी नहीं की।
आधी सैलरी से भी हुए वंचित
निलंबन के दौरान जसवीर सिंह को आधी तनख्वाह मिलती थी, लेकिन सेवामुक्ति के बाद उन्हें पूरी सैलरी से वंचित कर दिया गया है। जानकारी के मुताबिक यूपीएससी में उनकी सेवामुक्ति को मंजूरी मिल चुकी है, जिससे उनकी बहाली की संभावनाएं न के बराबर हैं। अनिवार्य सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें पेंशन का लाभ मिल सकता है, क्योंकि उनके खिलाफ आपराधिक आरोप नहीं थे बल्कि अनुशासनहीनता के आधार पर यह कार्रवाई की गई।
निलंबन की प्रक्रिया और अधिकार
आईपीएस अधिकारियों को अधिकतम 60 दिनों के लिए निलंबित किया जा सकता है। इस अवधि के बाद, मुख्य सचिव की समीक्षा के आधार पर निलंबन को 180 दिनों तक बढ़ाया जा सकता है। छह माह की निलंबन अवधि पूरी होने पर राज्य सरकार को केंद्र सरकार को सूचित करना अनिवार्य होता है। निलंबित अधिकारी अपनी बहाली के लिए केंद्रीय प्रशासनिक ट्रिब्यूनल (कैट) में अपील करने का अधिकार रखता है।
जीवन यापन भत्ता
निलंबन की अवधि में अधिकारी को मूल वेतन का 50 प्रतिशत हिस्सा जीवन यापन भत्ते के रूप में दिया जाता है। यदि अधिकारी जांच में सहयोग करता है, तो यह भत्ता 25 प्रतिशत तक बढ़ सकता है, यानी कुल 75 प्रतिशत तक हो सकता है। यदि देरी जांच अधिकारी की ओर से होती है, तो निलंबित अधिकारी को 90 प्रतिशत तक मूल वेतन दिया जा सकता है।
उत्तर प्रदेश में निलंबित वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी
प्रदेश में जसवीर सिंह के अलावा अन्य आईपीएस अफसरों को भी निलंबित किया जा चुका है। इनमें फिलहाल प्रमुख नाम डीआईजी अनंत देव, एसपी अलंकृता सिंह, एसएसपी पवन कुमार और मणिलाल पाटीदार का है।
मणिलाल पाटीदार : 9 सितंबर, 2020 से निलंबित हैं और उनके खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने व भ्रष्टाचार के आरोपों में केस चल रहा है। पाटीदार फरार हैं और उन पर एक लाख रुपये का इनाम घोषित किया गया है।
डीआईजी अनंत देव : कानपुर के चर्चित बिकरू कांड में संलिप्तता की जांच में दोषी पाए जाने के बाद 12 नवंबर, 2020 को निलंबित किया गया।
एसएसपी पवन कुमार : गाजियाबाद के एसएसपी पद पर रहते हुए लापरवाही के आरोप में 31 मार्च, 2022 को निलंबित किए गए।
एसपी अलंकृता सिंह : 2008 बैच की अधिकारी, जिन्हें पुलिस आचरण नियमावली का उल्लंघन करने के आरोप में अप्रैल 2023 में निलंबित किया गया।
निलंबन में रिटायर हो चुके अधिकारी
दो अधिकारी, अरविंद सेन और दिनेश चंद्र दुबे, अपने निलंबन के दौरान ही सेवानिवृत्त हो गए। अरविंद सेन पशुधन विभाग के घोटाले में निलंबित किए गए थे और उनके खिलाफ केस दर्ज है। वह वर्तमान में जेल में हैं।
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