यूपी केजीबीवी की 76 हजार छात्राओं को मिला गाइड प्रशिक्षण : भर्तियों में दी जाएगी वरीयता, रोजगार के बढ़ेंगे अवसर

भर्तियों में दी जाएगी वरीयता, रोजगार के बढ़ेंगे अवसर
UPT | कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय

Oct 10, 2024 19:06

केजीबीवी में पढ़ रही पिछड़े इलाकों से आने वाली वंचित वर्ग की बालिकाओं को गाइड प्रशिक्षण दिलाकर उनके भविष्य को सुरक्षित किया गया है। तीन दिवसीय आवासीय गाइड प्रशिक्षण में तीन से दस अक्टूबर तक 76 हजार से अधिक बालिकाओं ने भाग लिया।

Oct 10, 2024 19:06

Lucknow News : प्रदेश सरकार ने मिशन शक्ति के तहत कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों (केजीबीवी) में पढ़ रही पिछड़े इलाकों से आने वाली वंचित वर्ग की बालिकाओं को गाइड प्रशिक्षण दिलाकर उनके भविष्य को सुरक्षित किया गया है। तीन दिवसीय आवासीय गाइड प्रशिक्षण में तीन से दस अक्टूबर तक 76 हजार से अधिक बालिकाओं ने भाग लिया। इस योजना के तहत प्रशिक्षण ले चुकी बालिकाओं को जहां बीएड, डीएलएड में नंबर पर छुट मिलने की राह आसान हुई है, वहीं सड़क परिवहन एवं रेलवे की स्काउट-गाइडिंग की भर्ती में इन्हें वरीयता मिलेगी। 

मिशन शक्ति के तहत गाइड प्रशिक्षण
योजना के तहत तीन से दस अक्टूबर तक तीन दिवसीय गाइड प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।   प्रदेश के विभिन्न जिलों से 76 हजार से अधिक बालिकाओं ने भाग लिया। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य बालिकाओं को न केवल शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक रूप से सशक्त बनाना है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनाना और भविष्य में बेहतर करियर के अवसर प्रदान करना भी है। प्रदेश के सभी 746 केजीबीवी में इस गाइड प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया, कुल 2 हजार 238 गाइड यूनिट्स पंजीकृत की गईं। प्रत्येक विद्यालय में तीन गाइड यूनिट्स बनाई गईं, जिनमें प्रत्येक यूनिट में 32 बालिकाओं को शामिल किया गया। छोटे समूहों में विभाजित कर इन्हें स्काउटिंग और गाइडिंग के जरुरी सिद्धांतों की शिक्षा दी गई।



बालिकाओं ने सीखे गाइडिंग के नियम 
इस प्रशिक्षण के दौरान बालिकाओं को स्काउटिंग और गाइडिंग के नियम, प्रतिज्ञा और सिद्धांतों के साथ-साथ प्राथमिक चिकित्सा, गांठ बांधने की तकनीक और संकट के समय जीवन यापन के कौशल भी सिखाए गए। शिविर के दौरान रात के समय कैंप फायर आयोजित किया गया, जहां बालिकाओं ने खुले में भोजन बनाने का अभ्यास किया और विपरीत परिस्थितियों में कैसे जीवित रहना है, इसके गुर सीखे। यह प्रशिक्षण केवल शारीरिक कौशलों तक सीमित नहीं था, बल्कि इसका उद्देश्य बालिकाओं को मानसिक रूप से सशक्त बनाना और उनमें आत्मनिर्भरता का विकास करना भी था।

प्रशिक्षण से शैक्षिक कार्यक्रमों में होगा लाभ  
इस गाइड प्रशिक्षण के माध्यम से बालिकाओं को बीएड और डीएलएड जैसे शैक्षिक कार्यक्रमों में प्रवेश के लिए अंक भारांक मिलने की सुविधा मिलेगी, जो उनके प्रवेश को आसान बनाएगा। इसके साथ सड़क परिवहन और रेलवे की स्काउट-गाइडिंग भर्तियों में भी उन्हें वरीयता दी जाएगी, जिससे उनके रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। इस योजना से केवल शैक्षिक और रोजगार के अवसर ही नहीं खुलेंगे, बल्कि बालिकाओं में आत्मविश्वास और आत्म निर्भरता की भावना का भी विकास होगा। यह प्रशिक्षण उनके सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन को भी सशक्त बनाने का प्रयास है, जिससे वे अपने जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना कर सकें और समाज में अपनी पहचान बना सकें।

त्वरित गति से प्रशिक्षण का आयोजन
बालिकाओं के हित को ध्यान में रखते हुए सरकार ने प्रशिक्षण कार्यक्रम को जल्दी और प्रभावी तरीके से पूरा करने का प्रयास किया। बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह के नेतृत्व में इस कार्यक्रम का संचालन हुआ। प्रत्येक केजीबीवी में पंजीकृत गाइड यूनिट्स ने बालिकाओं को समयबद्ध तरीके से प्रशिक्षित किया, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि बालिकाओं को गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण मिले और वे समाज में सशक्त भूमिका निभा सकें।

शिक्षकों की भी हुई भूमिका तय
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम की योजना और तैयारी जून माह में ही कर ली गई थी। 24 से 30 जून के मध्य सात दिवसीय आवासीय शिविर में प्रत्येक मंडल से चयनित शिक्षिकाओं को गाइड कैप्टन के रूप में प्रशिक्षित किया गया। इन शिक्षिकाओं को विशेष रूप से प्रशिक्षित कर बालिकाओं के लिए प्रशिक्षण की रूपरेखा तैयार की गई, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि उन्हें उच्च गुणवत्ता वाला प्रशिक्षण मिले।

सशक्त भविष्य की ओर एक कदम
सरकार की यह पहल एक समग्र दृष्टिकोण का हिस्सा है, जो बालिकाओं को केवल शिक्षा तक सीमित नहीं रखता, बल्कि उन्हें रोजगार और आत्मनिर्भरता की ओर भी अग्रसर करता है। इस योजना का उद्देश्य बालिकाओं के शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास को प्रोत्साहित करना है, जिससे वे भविष्य में अपने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफल हो सकें। मिशन शक्ति के तहत चलाए जा रहे इस तरह के कार्यक्रम केवल बालिकाओं के सशक्तिकरण का ही नहीं, बल्कि एक समावेशी और समान समाज के निर्माण का भी प्रतीक हैं, जहां हर बालिका को शिक्षा और अवसरों का अधिकार मिले।

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