उत्तर प्रदेश में धर्म परिवर्तन या लव जिहाद रोकने के लिए विधेयक लाया गया है। यूपी ऐसा कानून बनाने वाला दसवां राज्य है। यह नया विधेयक धर्म परिवर्तन से जुड़े अपराधों में सजा...
यूपी विधानसभा में लव जिहाद विधेयक पास : पुराने कानून में बदलाव के बाद ये प्रावधान, पहले इन राज्यों में लागू हो चुका...
Jul 31, 2024 00:43
Jul 31, 2024 00:43
धर्म परिवर्तन से जुड़े अपराधों की सजा बढ़ाई
सरकार ने सोमवार को विधानसभा में धर्म परिवर्तन या लव जिहाद विरोधी विधेयक पेश किया। इस विधेयक का नाम "उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक" है। यह विधेयक मौजूदा कानून में बदलाव करने के लिए लाया गया है, जिसमें धर्म परिवर्तन से जुड़े अपराधों की सजा बढ़ाई गई है। इस नए प्रस्तावित कानून में आजीवन कारावास और एक लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। साथ ही, विदेशों से धर्म परिवर्तन के लिए होने वाली फंडिंग पर अंकुश लगाने के लिए भी सख्त प्रावधान शामिल किए गए हैं।
सजा और जुर्माने में वृद्धि
यह नया विधेयक 2021 में बने मूल कानून को और मजबूत करता है। पुराने कानून में एक से 10 साल तक की सजा और एक लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान था। नए प्रावधानों के अनुसार, यदि किसी नाबालिग, दिव्यांग, मानसिक रूप से दुर्बल व्यक्ति, महिला, या अनुसूचित जाति/जनजाति के व्यक्ति का धर्म परिवर्तन कराया जाता है, तो दोषी को आजीवन कारावास और एक लाख रुपये जुर्माने से दंडित किया जा सकेगा। इसी तरह, सामूहिक धर्म परिवर्तन पर भी आजीवन कारावास और एक लाख रुपये जुर्माने की सजा का प्रावधान है।
विदेशी फंडिंग और गंभीर अपराधों पर कड़ी कार्रवाई
विधेयक में विदेशी या गैरकानूनी संस्थाओं से फंडिंग हासिल करने पर 14 वर्ष तक की सजा और 10 लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा, यदि कोई धर्म परिवर्तन के लिए किसी व्यक्ति के जीवन या संपत्ति को भय में डालता है, हमला या बल प्रयोग करता है, शादी करने का झूठा वादा करता है, या प्रलोभन देकर किसी नाबालिग, महिला या व्यक्ति की तस्करी करता है, तो उसे न्यूनतम 20 साल की सजा होगी, जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है।
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कानूनी प्रक्रिया और अनुमोदन
यह विधेयक विधानसभा से पारित होने के बाद विधान परिषद को भेजा जाएगा। दोनों सदनों से पारित होने के बाद यह राज्यपाल के पास जाएगा और फिर इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। इससे पहले, उत्तर प्रदेश सरकार ने नवंबर 2020 में इसके लिए अध्यादेश जारी किया था, जिसके बाद फरवरी 2021 में उत्तर प्रदेश विधानमंडल के दोनों सदनों से विधेयक पारित किया गया और उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम-2021 को कानूनी रूप में मान्यता मिली।
सरकार का दृष्टिकोण: राष्ट्रहित और कमजोर वर्गों की सुरक्षा
यूपी सरकार का कहना है कि यह संशोधन विधेयक धर्म परिवर्तन के अपराध की संवेदनशीलता और गंभीरता के मद्देनजर लाया गया है। इससे विदेशी एवं राष्ट्रविरोधी ताकतों की संगठित साजिश रोकी जा सकेगी। साथ ही, नाबालिग, दिव्यांग, मानसिक रूप से अस्वस्थ लोगों को भी अपराध का शिकार होने से बचाया जा सकेगा।
विपक्ष की प्रतिक्रिया: आलोचना और चिंताएं
विपक्ष ने इस प्रस्तावित कानून पर सवाल उठाए हैं। समाजवादी पार्टी के नेता फखरुल हसन चांद ने कहा कि भाजपा केवल नकारात्मक राजनीति करना चाहती है और बेरोजगारी तथा पेपर लीक जैसे मुद्दों से ध्यान भटकाना चाहती है। कुछ मुस्लिम संगठनों ने भी प्रस्तावित कानून का विरोध जताया है। इसके विरोधियों का कहना है कि यह कानून अनावश्यक है और कुछ समुदायों को भयभीत करने का प्रयास है।
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अब तक दस राज्यों ने कानून बनाए
उत्तर प्रदेश एकलौता राज्य नहीं है जहां लव जिहाद या धर्मांतरण विरोधी कानून है। अगस्त 2023 तक देशभर में 10 राज्यों में ऐसे कानून लागू हो चुके थे। इन राज्यों में उत्तर प्रदेश के अलावा उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, हरियाणा, गुजरात, झारखंड, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश और ओडिशा शामिल हैं। पिछले साल अगस्त में महाराष्ट्र ने भी लव जिहाद के खिलाफ कानून लाने का ऐलान किया था। महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि राज्य अन्य राज्यों में लव जिहाद विरोधी कानूनों का अध्ययन कर रहा है और जल्द ही एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) लेकर आएगा।
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