एसओपी के अनुसार, किसी घटना या शिकायत की सूचना प्राप्त होते ही थाना प्रभारी जनरल डायरी में इसका संक्षिप्त विवरण दर्ज करेगा, ताकि यह पता लगाया जा सके कि प्रथमदृष्टया संज्ञेय अपराध बनता है या नहीं। इसके बाद प्रारंभिक जांच के लिए पर्यवेक्षणीय अधिकारी से लिखित अनुमति प्राप्त करनी होगी।
यूपी पुलिस इन मामलों में 14 दिनों में पूरी करेगी जांच : लापरवाही पर थाना प्रभारी को नोटिस, जानें डीजीपी की जारी एसओपी में क्या है खास
Nov 08, 2024 09:31
Nov 08, 2024 09:31
थाना प्रभारी को करना होगा ये काम
एसओपी के अनुसार, किसी घटना या शिकायत की सूचना प्राप्त होते ही थाना प्रभारी जनरल डायरी में इसका संक्षिप्त विवरण दर्ज करेगा, ताकि यह पता लगाया जा सके कि प्रथमदृष्टया संज्ञेय अपराध बनता है या नहीं। इसके बाद प्रारंभिक जांच के लिए पर्यवेक्षणीय अधिकारी से लिखित अनुमति प्राप्त करनी होगी।
चौबीस घंटे के भीतर करना होगा मंजूर-नामंजूर
थाना प्रभारी के प्रारंभिक जांच का अनुरोध मिलने पर संबंधित क्षेत्राधिकारी (सीओ) या उससे वरिष्ठ अधिकारी 24 घंटे के भीतर इसकी अनुमति देंगे या अस्वीकार करेंगे। यदि 24 घंटे में अनुमति नहीं मिलती है, तो थाना प्रभारी एफआईआर दर्ज करेंगे।
प्रथमदृष्टया संज्ञेय अपराध बनने की होगी जांच
अनुमति मिलने पर, थाना प्रभारी स्वयं या किसी उपनिरीक्षक से जांच कराएंगे। इसका उद्देश्य केवल यह सुनिश्चित करना होगा कि प्रथमदृष्टया संज्ञेय अपराध बनता है या नहीं। जांच के दौरान, अधिकारी आवश्यक दस्तावेज या साक्ष्य मांग सकता है।
इस आधार पर एफआईआर दर्ज कर शुरू होगी विवेचना
यदि जांच में प्रथमदृष्टया संज्ञेय अपराध बनता है, तो थाना प्रभारी सीओ से एफआईआर दर्ज करने की अनुमति लेंगे और केस दर्ज कर विवेचना शुरू करेंगे। एफआईआर की एक प्रति सूचना देने वाले को इलेक्ट्रॉनिक या लिखित माध्यम से भेजी जाएगी। यदि संज्ञेय अपराध का मामला नहीं बनता, तो थाना प्रभारी एफआईआर दर्ज नहीं करने की अनुमति लेंगे और सूचना देने वाले को इसकी जानकारी दी जाएगी।
14 दिन में जांच पूरी नहीं होने पर एफआईआर
यदि प्रारंभिक जांच 14 दिनों में पूरी नहीं होती है, तो थाना प्रभारी तत्काल एफआईआर दर्ज कराएगा। जांच पूरी न करने पर सीओ थाना प्रभारी को कारण बताओ नोटिस जारी करेंगे। यदि संतोषजनक उत्तर नहीं मिलता है, तो संबंधित के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की संस्तुति एसपी से की जाएगी।
निगरानी और रिकॉर्ड प्रबंधन
प्रारंभिक जांच की दैनिक रिपोर्ट पर्यवेक्षण अधिकारी और एसपी को प्रस्तुत की जाएगी। इसका रिकॉर्ड संबंधित अधिकारियों द्वारा अपने कार्यालय में रखा जाएगा और इसे बाद में डिजिटल रूप में संकलित किया जाएगा, जिसकी देखरेख तकनीकी सेवाएं मुख्यालय द्वारा की जाएगी।
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